कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने को लेकर जद (एस) के भीतर असंतोष के बीच वरिष्ठ नेता एच.डी. कुमारस्वामी (H D Kumaraswamy) ने कहा कि रविवार को हुई पार्टी की बैठक में गठबंधन के फैसले को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई है. पिछले कुछ दिन में स्पष्ट हो रही अंतर्कलह के बीच पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने आज यहां बिदादी में अपने फार्म हाउस में पार्टी के विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व मंत्रियों, जिला अध्यक्षों और नेताओं के साथ बैठक की.
उन्होंने बैठक के बाद कहा, ‘‘आज, सभी ने खुले तौर पर और सर्वसम्मति से (भाजपा के साथ) गठबंधन के फैसले को अपनी मंजूरी दे दी है. मैं राज्य की जनता को स्पष्ट करना चाहता हूं कि राज्य में गठबंधन किया गया है, किसी सत्ता या पद के लिए नहीं.”
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘कोई भी हमारी पार्टी की किसी भी तरह से आलोचना करे, अंततः समय ही जवाब देगा. मैंने फैसला किया है कि मैं यहां किसी भी आलोचना पर प्रतिक्रिया नहीं दूंगा, क्योंकि इसकी कोई जरूरत नहीं है.”
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जद (एस) के संरक्षक और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने भी गठबंधन की आवश्यकता के बारे में व्यक्तिगत रूप से पार्टी के कई नेताओं से बात की. कुमारस्वामी ने कहा कि गठबंधन का एक मकसद राज्य के हितों की रक्षा करना है.
उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि गठबंधन राज्य की सभी 28 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करे, ताकि कई सिंचाई परियोजनाओं की समस्याओं और कर्नाटक से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों का स्थायी समाधान खोजा जा सके.
भाजपा के साथ गठबंधन के बाद जद (एस) के असंतुष्ट नेताओं को लुभाने की कोशिश कर रही कांग्रेस से संबंधित एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी नेता और विधायक पार्टी के साथ एकजुट हैं और किसी के बाहर जाने का कोई सवाल ही नहीं है.
इससे पहले, बैठक में कुमारस्वामी ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वह भाजपा के साथ गठबंधन के बाद उनकी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस के ‘झूठे प्रचार‘ पर ध्यान न दें.
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता इस राज्य के 6.5 करोड़ लोगों के हितों की रक्षा करना है. मैं सिर्फ वोटों के लिए एक समुदाय को खुश नहीं करना चाहता. मुसलमानों को अपने हित के लिए हमारी प्रतिबद्धता को समझना चाहिए.”
कुमारस्वामी ने 22 सितंबर को नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, जिसके बाद जद(एस) और भाजपा के गठबंधन की घोषणा हुई थी. हालांकि, दोनों पार्टियों ने अभी तक 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे पर फैसला नहीं किया है.
पूर्व मंत्री एन. एम. नबी समेत जद (एस) के कई वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने के पार्टी के फैसले के विरोध में इस्तीफा देने का फैसला किया है.
जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष सी. एम. इब्राहिम ने भी भाजपा के साथ गठबंधन पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि उनसे सलाह नहीं ली गई और वह आने वाले दिनों में अपने भविष्य के बारे में फैसला लेंगे.
पिछले कुछ दिनों से पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हो रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री इब्राहिम ने आज की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया. वह पिछले साल कांग्रेस और विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद जद (एस) में शामिल हो गए थे.
भाजपा के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस जद (एस) पर हमलावर है और उसकी धर्मनिरपेक्ष साख पर सवाल उठा रही है.
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