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क्‍या कहता है जम्‍मू-कश्‍मीर का वोटिंग प्रतिशत, बारामूला में सबसे कम पड़ रहे वोट, उधमपुर में 1 बजे तक 51.66% मतदान

Jammu and Kashmir Elections: मतदान के शुरुआती 2 घंटों में जम्‍मू-कश्‍मीर की 40 सीटों पर कुल 28.11 प्रतिशत मतदान हुआ है. सबसे ज्‍यादा वोटिंग प्रतिशत उधमपुर में देखने को मिल रहा है.

क्‍या कहता है जम्‍मू-कश्‍मीर का वोटिंग प्रतिशत, बारामूला में सबसे कम पड़ रहे वोट, उधमपुर में 1 बजे तक 51.66% मतदान
जम्‍मू:

जम्‍मू-कश्‍मीर की 40 विधानसभा सीटों पर जारी वोटिंग की गति काफी कुछ बयां कर रही है. कश्‍मीर के बारमूला जिले की सीटों पर सबसे धीमे वोटिंग हो रही है. यहां कई आतंकवादी हमले होते रहते हैं. वहीं, जम्‍मू के उधमपुर में वोटिंग की रफ्तार काफी तेज है, जहां हिंदू आबादी ज्‍यादा है.  चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में दोपहर 1 बजे तक कुल 44.08% मतदान हुआ. बांदीपोरा में 42.67%, बारामूला में 36.60%, जम्मू में 43.36%, कठुआ में 50.09%, कुपवाड़ा में 42.08%, सांबा में 49.73%, उधमपुर में 51.66% प्रतिशत मतदान हुआ है. इससे पहले 11 बजे तक कुल 28.11 प्रतिशत मदान हुआ है.

मतदान के शुरुआती 2 घंटों में जम्‍मू-कश्‍मीर की 40 सीटों पर कुल 11.60 प्रतिशत मतदान हुआ. सबसे ज्‍यादा वोटिंग प्रतिशत उधमपुर में देखने को मिल रहा है. यहां सुबह 9 बजे तक 14.23% मतदान हुआ है. यहां रामनगर विधानसभा सीट पर सबसे ज्‍यादा 15.27% वोटिंग हुई है. वहीं, सबसे कम मतदान प्रतिशत बारामूला में देखने को मिल रहा है, जहां शुरुआती 2 घंटों में सिर्फ 8.89 प्रतिशत ही मतदान हुआ है.  

जम्मू-कश्मीर चुनाव : 1 बजे तक 44.1 प्रतिशत वोटिंग

जम्‍मू-कश्‍मीर की 40 विधानसभा सीटों पर जारी वोटिंग की गति काफी कुछ बयां कर रही है. कश्‍मीर के बारमूला जिले की सीटों पर सबसे धीमे वोटिंग हो रही है. यहां कई आतंकवादी हमले होते रहते हैं. वहीं, जम्‍मू के उधमपुर में वोटिंग की रफ्तार काफी तेज है, जहां हिंदू आबादी ज्‍यादा है.  चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में दोपहर 1 बजे तक कुल 44.08% मतदान हुआ. बांदीपोरा में 42.67%, बारामूला में 36.60%, जम्मू में 43.36%, कठुआ में 50.09%, कुपवाड़ा में 42.08%, सांबा में 49.73%, उधमपुर में 51.66% प्रतिशत मतदान हुआ.

जिलामतदान प्रतिशत 
उधमपुर51.66%
कठुआ50.09%
 जम्‍मू43.36%
सांबा49.73%
बारामूला36.60%
बांदीपोरा42.67%
कुपवाड़ा42.08%
कुल 44.1 %

11 बजे तक कुल 28.12% मतदान

जम्‍मू-कश्‍मीर में 11 बजे तक 40 विधानसभा सीटों पर 28.12% मतदान हुआ है. उधमपुर में सबसे ज्‍यादा 33.84 प्रतिशत मतदान हुआ है. वहीं बारमूला में सबसे कम 23.20 फीसदी मतदान हुआ. इसके अलावा बारामूला में 23.20%, जम्‍मू में 27.15%, कठुआ में 31.78%, कुपवाड़ा में 27.34%, सांबा में 31.50 प्रतिशत ममदान हुआ है. 

जिलामतदान प्रतिशत 
उधमपुर33.84%
कठुआ31.78%
 जम्‍मू27.15%
सांबा31.50%
बारामूला23.20%
बांदीपोरा28.04%
कुपवाड़ा27.34%
कुल 28.12%

सुबह 9 बजे तक कहां, कितना मतदान

जम्‍मू-कश्‍मीर में सबुह 9 बजे तक उधमपुर में 14.23% , कठुआ में 13.09%, जम्‍मू में 14.46%,  सांबा में 13.31%  और उत्तर कश्मीर के बारामूला में 8.89%, बांदीपोरा में 11.66% और कुपवाड़ा में 11.27% प्रतिशत मतदान हुआ है. रामनगर विधानसभा सीट पर सबसे ज्‍यादा 15.27% वोटिंग और सोपोर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 6.71% मतदान हुआ है.   

जिलामतदान प्रतिशत 
उधमपुर14.23%
कठुआ13.09%
 जम्‍मू14.46%
सांबा13.31%
बारामूला8.89%
बांदीपोरा11.66%
कुपवाड़ा11.27%
कुल 11.60%

 415 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला

केंद्र शासित प्रदेश के 39.18 लाख से अधिक मतदाता 415 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला करेंगे. इन उम्मीदवारों में दो पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद और मुजफ्फर बेग भी शामिल हैं. चुनाव में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, वाल्मीकि समाज और गोरखा समुदाय अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, जिन्हें अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद ही विधानसभा, शहरी स्थानीय निकायों और पंचायत चुनावों में मतदान का अधिकार मिला है. इससे पहले वे क्रमशः 2019 और 2020 में ब्लॉक विकास परिषद और जिला विकास परिषद चुनावों में मतदान कर चुके हैं. मतदान उत्तर कश्मीर के सीमावर्ती जिलों की 16 विधानसभा सीट में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह सात बजे शुरू हुआ.

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जम्मू-कश्मीर के तीसरे चरण के चुनाव के तहत जम्मू क्षेत्र के जम्मू, उधमपुर, कठुआ और सांबा तथा उत्तर कश्मीर के बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा सहित सात जिलों के समूचे 40 विधानसभा सीट पर सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया. मतदान शाम छह बजे खत्म होगा. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव में मतदान करने के पात्र बने पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों, वाल्मीकि और गोरखा समुदाय के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि कुछ मुद्दे 1947 से ही हैं और उनका इस्तेमाल हमेशा विभिन्न दल अपने राजनीतिक लाभ के लिए करते रहे हैं.

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