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This Article is From Dec 19, 2019

CAA के खिलाफ प्रदर्शन के बीच जामिया की वेबसाइट हैक, हैकर ने लिखा- मैं छात्रों का...

नागरिकता संशोधन कानून पर मचे विवाद के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की वेबसाइट हैक कर ली गई है.

CAA के खिलाफ प्रदर्शन के बीच जामिया की वेबसाइट हैक, हैकर ने लिखा- मैं छात्रों का...
प्रतीकात्मक चित्र.
नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन कानून पर मचे विवाद के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की वेबसाइट हैक कर ली गई है. हैकर ने वेबसाइट पर लिखा है कि वो जामिया के छात्रों का समर्थन करता है. आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को पास होने के बाद 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पेश किया जहां एक लंबी बहस के बाद यह बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह नागरिकता संशोधन कानून बन गया. इस कानून के विरोध में असम, बंगाल समेत देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. 15 दिसंबर को जामिया में इस कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई. इस प्रदर्शन में कई छात्रों समेत पुलिस के कुछ जवान भी घायल हो गए.

जामिया की घटना के अगले दिन 16 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीलमपुर में जमकर प्रदर्शन हुए. इस प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना हुई. स्‍कूली बस पर भी पत्‍थर फेंके गए. इस प्रदर्शन में कुछ प्रदर्शनकारियों समेत पुलिस वाले भी घायल हुए. एक पुलिस चौकी को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया. पुलिस ने हालात को काबू में किया और वहां चौकसी बढ़ा दी गई. 17 दिसंबर को देश के दूसरे हिस्‍सों में भी प्रदर्शन शुरू हो गए. जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के समर्थन में देश के कई यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए. कई यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी, 2020 के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से हॉस्‍टल खाली करा लिया गया. इस कानून के विरोध में दिल्‍ली के लाल किला पर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

उधर जमा मस्जिद के इमाम ने कहा है कि इस कानून से देश के मुसलमानों को कोई लेना देना नहीं है. उन्‍हें नहीं डरना चाहिए. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 19 दिसंबर, 2019 को देश के कई हिस्‍सों में धारा 144 लागू कर दी गई है.  उधर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि चाहे जितना भी विरोध हो इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. उनका कहना है कि यह कानून देश की जनता के लिए नहीं है, यह कानून उन अल्‍पसंख्‍यक लोगों के लिए है जो अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश और पाकिस्‍तान में धार्मिक रूप से प्रताडि़त होकर भारत में शणार्थी के रूप में आए हैं.  

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