आमतौर पर हर राज्य में इस बात की शिकायत मिलती है कि राज्य सरकारें अपने हिसाब से मतदाता सूचियों में हेराफेरी व गड़बड़ी किया करती हैं और विरोधी दलों के समर्थकों को वोटर लिस्ट से हटाने का भरपूर कोशिश करती हैं. अपने समर्थक वोटरों को शामिल भी कराने की पहल करती हैं. कुछ ऐसी ही गड़बड़ी करने का आरोप अबकी बार आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू सरकार पर नेता विरोधी दल वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने लगाया है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आंध्र प्रदेश में मतदाता सूची में की जी रही हेरा फेरी को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त से शिकायत करते हुए पार्टी के सुप्रीमो वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई में मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलकर कई सारे सबूत सौंपे हैं और शिकायत की है कि सत्तारूढ़स टीडीपी मतदाता सूची में गड़बड़ी करने के अलावा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है. सरकार के मुखिया के इशारे पर सरकार के लिए काम करने वाले पुलिस अधिकारियों को नियुक्त कर विपक्ष के नेताओं व समर्थकों को डराने-धमकाने जैसे हथकंडों को भी अपना रही है.
जगन मोहन रेड्डी ने इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को एक ज्ञापन सौंपते हुए इस मामले में हस्तक्षेप कर राज्य में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने की अपील की है.
यह हैं आरोप
1. मतदाता सूची से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के समर्थकों के नाम हटाना
2. असंतुष्टों की पहचान करने और उन्हें निशाना बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग
3. विपक्ष को डराने के अलावा उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल करना शामिल है.
सितंबर 2018 में राज्यभर में कुल 52.67 लाख फर्जी वोटरों का पता लगाया गया और कई बार इस मुद्दे को मुख्य चुनाव आयोग के समक्ष रखा गया. आंध्र प्रदेश में टीडीपी सरकार के इशारे पर इन फर्जी वोटों की संख्या बढ़कर 59.18 लाख तक पहुंच गई.
यह हैं चौकाने वाले आंकड़ें
1. 9,552 ऐसे वोटर हैं, जिनके पास वोटर कार्ड एक है, लेकिन दो जगहों पर वोट हैं.
2. 78,156 फर्जी वोट हैं, जहां वोटर का नाम, पिता/पति का नाम, मकान का नंबर, आयु और लिंग एक ही है.
3. 52,180 फर्जी वोट हैं, जहां वोटर का नाम, पित/पति का नाम, मकान नंबर और लिंग एक ही है, लेकिन उम्र में फर्क है.
4. 1,224 फर्जी वोट हैं, जहां वोटर का नाम, पिता/पति का नाम, घर नंबर और उम्र एक ही है, लेकिन लिंग अलग है.
5. 1,78,868 फर्जी वोट हैं, जहां वोटर का नाम और घर का पता एक है, लेकिन पिता/पति का नाम बदला हुआ है.
6. 1,69,448 फर्जी वोट, जिनका सरनेम और दिए गए नाम बदले हुए हैं.
7. 25,17,630 फर्जी वोट हैं, जहां वोटर का नाम और पिता/पति का नाम एक है, लेकिन बाकी जानकारी उनसे मेल नहीं खाती.
8. 4,49,126 फर्जी वोट है, जहां वोटर का नाम, पिता/पति का नाम, लिंग और उम्र एक है, लेकिन मकान नंबर अलग है.
9. 2,36, 626 फर्जी वोट हैं, जहां वोटर का नाम एक ही तरह बुलाया जाता है, लेकिन नाम में स्पेलिंग अलग है.
10. 3,307 वोटर हैं, जिनकी आयु अमान्य है.
11. 2,15,119 वोटर हैं, जिनका मकान नंबर अमान्य है. आंध्र प्रदेश के सभी 175 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कुल अमान्य वोटों की संख्या -39,11,236 हैं.
12. 20,07,395 वोटर ऐसे हैं, जिनका वोट आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों में है.
कुल फर्जी वोटों की संख्या : 59,18,631 है. आंध्र प्रदेश के कुल 3 करोड़ 69 लाख मतदाताओं में करीब 60 लाख मतदाता अमान्य या फर्जी होने का मतलब चुनाव प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
1.इन सभी को ध्यान में रखते हुए जगन मोहन रेड्डी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि आंध्र प्रदेश की मतदाता सूची से इस तरह के सभी फर्जी और अमान्य वोट हटाए जाए.
2.कई वोटरों को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में वोट होने के मद्देनजर दोनों तेलुगु भाषी राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जाए.
यही नहीं, एक सोची-समझी साजिश के तहत वाईएसआर कांग्रेस के समर्थकों का पता लगाकर सूची से उनके नाम हटाए जा रहे हैं.
3.वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के समर्थकों का पता लगाने में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल.
इसी क्रम में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के करीब 4 लाख समर्थक वोटर सूची से हटाए गये हैं. प्रजा साधिकार सर्वे, परिष्कार मंच और रियल टाइम गवर्नेन्स, पीरियाडिक सर्वे के नाम पर विपक्ष के समर्थकों की जानकारी हासिल कर उनके वोट हटाए जा रहे हैं. मतदाता सूची से वोटरों के नाम हटाने के लिए एक ऐप तक तैयार किया गया है. आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड लिंक करने के नाम पर वोटरों को हटाया जा रहा है.
इन सभी विषयों को सबूतों के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त से शिकायत की गई है. टीडीपी ने अपने वेबसाइट पर पूरी वोटर लिस्ट फोटोग्राफ के साथ अपलोड किया है, जबकि चुनाव आयोग द्वारा सभी राजनीतिक दलों को मुहैया कराई गई ओरिजनल सूची में वोटरों के फोटो नहीं हैं, जोकि वोटरों की प्राइवेसी को नुकसान पहुंचाने के अलावा अनैतिक भी है.
टीडीपी का भ्रष्टाचार और चुनाव पर असर
आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी के 4 साल 8 महीने से संस्थागत भ्रष्टाचार पनपा रहा है. चुने गए लोगों और चुनिंदा पुलिस अधिकारियों के जरिए राज्यभर के सभी 175 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में जरूरी खर्च करने और मतदाताओं में बांटने के लिए भ्रष्टाचार से अर्जित करीब चार से पांच हजार करोड़ रुपये जुटाए हैं.
पुलिस का गलत इस्तेमाल
टीडीपी के वोट बैंक रहने वाले समुदाय के अधिकारियों को ही महत्वपूर्ण पद देकर समाज के अन्य वर्गों से जुड़े अधिकारियों और विपक्षी दल के समर्थक अधिकारियों की अनदेखी की गई है. यही नहीं, कई ईमानदार पुलिस अधिकारियों को धमकी देने और गाली गलौच करने वाले टीडीपी के विधायक के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई तक नहीं की गई है. टीडीपी ने अपने पसंदीदा और चुनिंदा एसपी और डीएसपी शामिल हैं, जिनका वह अपने पक्ष में इस्तेमाल कर रही है.
इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग
जगन मोहन रेड्डी ने पुलिस महानिदेशक आर.पी. ठाकुर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया) ए.बी. वेंकटेश्वर राव और डीआईजी (कानून-व्यस्था) घट्टमनेनी श्रीनिवास सो चुनावी ड्यूटी से दूर रखने की मांग की है और इन पर कई गंभीर आरोप भी लगाते हुए सबूत सौंपे हैं.
1. महत्वपूर्ण राजनीतिक नेताओं के फोन नंबर टैप करने वाले कर्मचारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई.
2. चुनाव आयोग के अनिवार्य याद्च्छिकरण के प्रभाव को कम करने के लिए सेवारत पुलिस अधिकारियों की जाति आधारित जगगणना का संचालन करना.
3. राजनीतिक खुफिया जानकारी हासिल करना, अवैध मामले दर्ज करना और विपक्ष को प्रताड़ित करना.
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