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This Article is From Mar 01, 2016

इशरत मामले में जांच एजेंसियों की भूमिका पर उठे सवाल, गृह मंत्रालय ने जताई चिंता

इशरत मामले में जांच एजेंसियों की भूमिका पर उठे सवाल, गृह मंत्रालय ने जताई चिंता
इशरत जहां (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: इशरत जहां मामले को लेकर एक-एक कर देश की सभी जांच एजेंसियों सियासी मोहरे की तरह इस्‍तेमाल की जा रही हैं। जहां यूपीए ने अपने शासनकाल के दौरान इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) को कटघरे में खड़ा किया, वहीं अब एनडीए के राज में सीबीआई की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसे लेकर गृह मंत्रालय की चिंता बढ़ती जा रही है।

NDTV इंडिया को पता चला है कि सीनियर अफसरों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि सरकार इस तरह के फ़ैसलों से अपनी ही जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता कम कर रही है। गौरतलब है कि जब यूपीए का शासन था तब सीबीआई ने ने इंटेलीजेंस ब्‍यूरो के अफ़सरों के ख़िलाफ़ आरोप लगाए। अब NDA के कार्यकाल में उस जांच को ख़ारिज कर दिया गया है और सीबीआई के अफ़सरों पर इल्जाम लग रहे हैं।

उधर इशरत मामले में पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम की कथित भूमिका को लेकर बीजेपी का रुख और कड़ा हो गया है। पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद कहा कहना है "देश की सुरक्षा को लेकर जिस तरह की सियासत हो रही है उस पर चिदंबरम और कांग्रेस जवाब देना चाहिए। गृह मंत्रालय का साफ मानना है कि इशरत का नाता आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा  से था। यह बात कई राज्‍यों की जांच में साबित हो चुकी है। इसके लिए उन्‍हें डेविड हेडली के सर्टिफ़िकेट की ज़रूरत नहीं। पूर्व गृह सचिव आरके सिंह का भी कहना है, 'इशरत एक आतंकवादी के साथ थी और ख़ुद लश्कर ने उसे अपना सदस्य बताया है।"

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