प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
भारतीय रेलवे की खानपान शाखा आईआरसीटीसी ने पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी की ओर से शिकायत किए जाने के बाद जूस के एक मशहूर ब्रांड को अपनी सूची से हटा दिया है. त्रिवेदी ने शिकायत की थी कि एक प्रीमियम ट्रेन में उन्हें दिए गए पेय में ‘कचरा’ था. बीते 30 सितंबर को दशहरा के दिन काठगोदाम-दिल्ली शताब्दी में सफर के दौरान त्रिवेदी को एक जानेमाने ब्रांड का नींबू जूस दिया गया था, जिसके बारे में पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि उसमें ‘कचरा’ था. त्रिवेदी ने बताया, ‘‘आईआरसीटीसी (भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम) को खुद में सुधार लाने की वाकई जरूरत है. रेलवे को संतुलन साधने की जरूरत है ताकि इसके सहयोगी विभाग थोड़ी जवाबदेही के साथ काम करें.’’
आईआरसीटीसी के प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि रेलवे ने त्रिवेदी की शिकायत पर मुस्तैदी से कार्रवाई की है और प्रयोगशाला में जांच पूरी होने तक उक्त ब्रांड को अपनी सूची से हटा दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रयोगशाला में जांच पूरी होने तक एजेंसी को सूची से हटा दिया है. कुछ वक्त के लिए वह ब्रांड किसी ट्रेन में नजर नहीं आएगा.’’
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यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कुछ ही महीने पहले अपनी जांच में खुलासा किया था कि रेल खानपान सेवाओं में गंभीर खामियां हैं. त्रिवेदी ने कहा कि ऐसी चूकों के लिए रेल मंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि विभागों को जवाबदेह ठहराए जाने की जरूरत है. उन्होंने अफसोस जताया कि ऐसे मुद्दों के बारे में यात्री भी ज्यादा विरोध नहीं करते और ऐसी हालत के लिए एक तरह से वे भी जिम्मेदार हैं.
त्रिवेदी ने कहा, ‘‘कैटरर के साथ-साथ संबंधित ब्रांड के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. ट्रेनों पर कचरे की इजाजत कैसे दी जा सकती है? जूस का उत्पादन करने वाले कारखाने का निरीक्षण होना चाहिए ताकि पता चल सके कि किन हालात में जूस बनाया जा रहा है.’’ साल 2012 में एक विवाद के बाद रेल मंत्री का पद छोड़ चुके तृणमूल कांग्रेस के नेता त्रिवेदी ने कहा कि रेलवे जिन वेंडरों को ठेके देती है, उसे उनका औचक निरीक्षण करना चाहिए.
VIDEO: ट्रेन में IRCTC खिलाएगी खाना, किसी ठेकेदार को अब नया लाइसेंस नहीं
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आईआरसीटीसी के प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि रेलवे ने त्रिवेदी की शिकायत पर मुस्तैदी से कार्रवाई की है और प्रयोगशाला में जांच पूरी होने तक उक्त ब्रांड को अपनी सूची से हटा दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रयोगशाला में जांच पूरी होने तक एजेंसी को सूची से हटा दिया है. कुछ वक्त के लिए वह ब्रांड किसी ट्रेन में नजर नहीं आएगा.’’
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यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कुछ ही महीने पहले अपनी जांच में खुलासा किया था कि रेल खानपान सेवाओं में गंभीर खामियां हैं. त्रिवेदी ने कहा कि ऐसी चूकों के लिए रेल मंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि विभागों को जवाबदेह ठहराए जाने की जरूरत है. उन्होंने अफसोस जताया कि ऐसे मुद्दों के बारे में यात्री भी ज्यादा विरोध नहीं करते और ऐसी हालत के लिए एक तरह से वे भी जिम्मेदार हैं.
त्रिवेदी ने कहा, ‘‘कैटरर के साथ-साथ संबंधित ब्रांड के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. ट्रेनों पर कचरे की इजाजत कैसे दी जा सकती है? जूस का उत्पादन करने वाले कारखाने का निरीक्षण होना चाहिए ताकि पता चल सके कि किन हालात में जूस बनाया जा रहा है.’’ साल 2012 में एक विवाद के बाद रेल मंत्री का पद छोड़ चुके तृणमूल कांग्रेस के नेता त्रिवेदी ने कहा कि रेलवे जिन वेंडरों को ठेके देती है, उसे उनका औचक निरीक्षण करना चाहिए.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)