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This Article is From May 08, 2012

आईएनएस विंध्यागिरी को नष्ट करने की मिली इजाजत

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय नौसेना को अपने एक नौसेनिक जहाज को नष्ट करने की अनुमति दे दी जो एक मालवाहक जहाज से टक्कर के बाद एक साल से भी ज्यादा समय से शहर की गोदी पर खड़ा है।

न्यायमूर्ति रोशन दलवी ने नौसेना की एक अर्जी पर सुनवाई की जिसमें आईएनएस विंध्यागिरि जहाज को इस आधार पर नष्ट करने की अनुमति मांगी गई है कि इसमें गोला-बारूद रखा है।

नौसेना ने यह भी कहा कि जहाज को लंबे समय तक इस स्थिति में रखना सुरक्षित नहीं होगा।

साइप्रस का झंडा लगा मालवाहक पोत एमवी नार्डलेक पिछले साल 30 जनवरी को आईएनएस विंध्यागिरी से टकरा गया था।

टक्कर के बाद नौसेनिक जहाज को गोदी पर खड़ा कर दिया गया। नौसेना को अदालत से जहाज को नष्ट करने की अनुमति इसलिए मांगनी पड़ी क्योंकि फिलहाल उच्च न्यायालय मालवाहक जहाज का स्वामित्व रखने वाली कंपनी से नौसेना द्वारा मांगे गए मुआवजे के विवाद पर सुनवाई कर रहा है।

नौसेना द्वारा दाखिल अर्जी के मुताबिक, ‘जिस गोदी में आईएनएस विंध्यागिरी फिलहाल खड़ा है वहां कई अन्य नौसेनिक युद्धपोत भी हैं। वहां अन्य मालवाहक जहाज भी हैं जो शहर के बंदरगाह से गुजरते हैं, जो इसी इलाके में है। इस तरह से गोला-बारूद को रखना असुरक्षित है और अन्य जहाजों को खतरा हो सकता है।’

नौसेना ने कहा कि पोत में विस्फोट के बिना उसमें से विस्फोटक सामग्री निकालना भी बहुत खतरनाक होगा।

आवेदन के अनुसार, ‘यह न केवल राष्ट्र हित में बल्कि आसपास के क्षेत्र के लोगों की जान और माल की सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है कि नौसेनिक जहाज को इस तरह से नष्ट कर दिया जाए जिस तरह अधिकारी पुराने और सेना से अलग किए गए जहाजों को करते हैं।’

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