अमेरिका के पूर्व सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जॉन कैरी ने जलवायु परिवर्तन (John Kerry On Climate Change) की दिशा में भारत के काम को सराहा है. उन्होंने HT समिट में कहा कि भारत इस दिशा में शानदार काम कर रहा है. खास तौर पर अगर बात लोगों में जागरूकता लाने की करें तो भारत ने बीते कुछ सालों में इस मुद्दे को हर किसी तक पहुंचा दिया है. मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि हम जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत, चीन, रूस जैसे देशों की तरफ देख रहे हैं. हमें चाहिए कि हम एक होकर इस मुद्दे पर बगैर किसी राजनीति के काम करें.
इजरायल-गाजा पर क्या बोले जॉन केरी?
जॉन केरी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप पेरिस संधि से बाहर निकल सकते हैं. उन्होंने कहा कि निर्वाचित राष्ट्रपति के बारे में कुछ भी भविष्यवाणी करना मुश्किल होगा. मिडल ईस्ट में चल रहे संघर्षों पर बात करते हुए जॉन केरी ने कहा कि "चीजें बदलेंगी, कुछ अच्छे के लिए और कुछ बुरे के लिए. इजरायल, दो-राज्य समाधान पर जोर दे रहा था, लेकिन अब वह चुनौतियों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों के बीच विश्वास बनाने में समय लगेगा.
ईरान-US के बीच परमाणु डील का रास्ता बंद नहीं
उन्होंने कहा कि युद्ध प्रभावित गाजा में ज्यादा कुछ नहीं बचा है. लोग बाहर जाना नहीं चाहते हैं, इस बीच दो-राज्य समाधान के समर्थक उनके साथ अच्छे व्यवहार पर जोर देते रहेंगे. जॉन केरी ने अमेरिका-ईरान संबंधों पर बात करते हुए कहा कि ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील का रास्ता अभी बंद नहीं हुआ है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ट्रंप ने अमेरिका-ईरान समझौते से बाहर निकलने की गलती की है.
'आपके पास 15 साल थे'
जॉन केरी ने कहा कि समझौते के तहत, ईरान को परमाणु बम के लिए यूरेनियम बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले 13,000 सेंट्रीफ्यूज को नष्ट करना था. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश को अपने प्लूटोनियम रिएक्टर को नष्ट करने, कोर को पाटने की भी जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोबारा इसका इस्तेमाल नहीं हो. अमेरिका के पूर्व सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने कहा, "अगर समझौता पसंद नहीं था, तो इसमें कुछ भी बदलाव करने से पहले आपके पास करीब 15 साल का समय था."
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