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2025-2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार 6.4% से 6.7% के बीच रहने का अनुमान : CII

CII अध्यक्ष का मानना है कि दुनियाभर में टैरिफ को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बातचीत चल रही है. अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसकी वजह से बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है और टैरिफ औसतन करीब 10% तक घटने का अनुमान है.

2025-2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार 6.4% से 6.7% के बीच रहने का अनुमान : CII

उद्योग संघ CII का आकलन है कि वित्तीय साल 2025-2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार 6.4% से 6.7% के बीच रहने का अनुमान है. CII के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव मेमानी ने पदभार संभालने के बाद गुरुवार को दिल्ली में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्तीय साल के दौरान दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में लगातार तीसरे साल सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी, हालांकि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उथल पुथल, युद्ध की अनिश्चितताएं और आर्थिक अनिश्चितता का खतरा अर्थव्यवस्था पर बना रहेगा.

CII अध्यक्ष का मानना है कि दुनियाभर में टैरिफ को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बातचीत चल रही है. अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसकी वजह से बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है और टैरिफ औसतन करीब 10% तक घटने का अनुमान है.

राजीव मेमानी ने कहा कि भारत और UK के बीच FTA को लेकर समझौता हुआ है और अमेरिका और EU के साथ नए ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है. इसकी वजह से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं. इसका फायदा उठाने के लिए ये बेहद ज़रूरी होगा कि भारत अपनी Competitiveness बढ़ाए और सरकार आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए पहल करे.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्रोडक्ट्स की Competitiveness बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर विशेष फोकस देने की ज़रुरत होगी. इसके लिए सबसे ज़रूरी होगा कि देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विस्तार के लिए ज़मीन, बिजली और लोजिस्टिक्स पर खर्च कम किया जाए. इसके साथ ही, इकनोमिक रिफॉर्म्स की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाना, टेक्नोलॉजी और AI का विस्तार, labour-intensive सेक्टर पर फोकस बढ़ाना, एनर्जी ट्रांजीशन और सरकार और उद्योग जगत के बीच आपसी विश्वास मज़बूत करना बेहद ज़रूरी होगा.

सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि AI का इस्तेमाल बिज़नेस में तेज़ी से बढ़ता जा रहा है और ये उद्योग जगत के लिए अवसर भी है और चुनौती भी. इसे रेगुलेट करने के लिए एक नए NAIAI गठित करना ज़रूरी होगा, क्योंकि इससे AI से जुड़ी पॉलिसी, इंफ्रास्ट्रक्चर और उसके अडोप्शन की प्रक्रिया के बीच बेहतर समन्वय बनाना संभव हो सकेगा. उनका आंकलन है कि AI का जॉब मार्किट पर असर पड़ेगा और जॉब डिसप्लेसमेंट के असर को कम करने के लिए एआई स्किलिंग और रिल स्कीलिंग की दिशा में कदम उठाना ज़रूरी होगा. CII के मुताबिक, AI रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना भी बेहद ज़रूरी है।

उद्योग जगत भारत और अमेरिका के बीच नए ट्रेड डील को लेकर जारी निर्णायक दौर की बातचीत पर भी कड़ी नज़र रख रहा है. भारत और अमेरिका के बीच "अंतरिम ट्रेड डील" पर पूछे गए सवाल पर राजीव मेमानी ने कहा, हम डील को लेकर उत्सुक हैं. हमारे पास इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है। लेकिन वाणिज्य मंत्रालय ने अच्छी तैयारी की है और उद्योग जगत के साथ बातचीत बहुत विस्तृत रही है. हमें विश्वास है कि सरकार उद्योग की चुनौतियों को समझती है और उनका समाधान किया जाएगा. सरकार ने जिस तरह से तैयारी की है, उससे हमें उम्मीद है. हमें याद रखना चाहिए कि ऐसे मामलों में किसी की 100% जीत नहीं होती है. यह 80%-20% हो सकता है..."
 

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