भारत ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश मुक्ति दिवस के तौर पर शनिवार को विजय दिवस मनाया. एक पखवाड़े की लड़ाई में, पाकिस्तानी सेना (Pakistan army) पर भारतीय थल सेना, वायुसेना और जल सेना के संयुक्त ऑपरेशन और भारत द्वारा समर्थित बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी के प्रयासों से सफलता हासिल की थी. युद्ध आधिकारिक तौर पर 3 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ था और तीन दिनों के भीतर, भारतीय वायु सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र पर एक बढ़त हासिल कर ली थी. आसमान पर भारत के कब्जे ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया.
वायुसेना ने ऐतिहासिक जीत को किया याद
भारतीय वायु सेना ने एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर इसकी चर्चा की है. भारतीय वायु सेना के अभियानों ने लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया था.
जनरल मानेकशॉ ने पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल के आत्मसमर्पण वाले प्रस्ताव पर कहा कि मुझे उम्मीद है कि आप बांग्लादेश में अपनी कमान के तहत सभी बलों को तुरंत युद्धविराम करने और मेरी सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश जारी करेंगे.नियाज़ी के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था और 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण का दिन निर्धारित किया गया.
The temporary halt in air operations till 0900 hrs on 16 Dec 71 was extended to 1500 hrs on request of the Pak Army which wanted time to inform it's troops & arrange a surrender ceremony. This extension meant that the day's first air strike had to be recalled.#1971War… pic.twitter.com/zBy6zvodw4
— Indian Air Force (@IAF_MCC) December 16, 2023
जब पाकिस्तानी जनरल ने मांगा था 6 घंटे का समय
भारतीय वायु सेना ने 16 दिसंबर को सुबह 9:00 बजे तक अपने हवाई अभियान पर अस्थायी रोक लगा दी, अभियान पर यह रोक जनरल मानेकशॉ द्वारा लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी को दिए गए आश्वासन पर लगाई गई थी कि 15 दिसंबर को शाम 5:00 बजे से कोई हवाई अभियान नहीं किया जाएगा. जब "युद्ध विराम" समाप्त होने में बमुश्किल तीस मिनट बचे थे, लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी ने दोपहर 3 बजे तक विस्तार की मांग की और कहा कि वह आत्मसमर्पण के लिए आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उन्हें 6 घंटे का और समय चाहिए.
शाम 4:31 बजे, भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए गए और लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी और उनके 93,000 सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण के बाद, IAF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी से पूछा कि जब उनकी सेना अभी भी यहां मौजूद थी तो उन्होंने आत्मसमर्पण क्यों किया. जनरल ने पायलट की वर्दी पर लगे पंखों की ओर इशारा करते हुए कहा, ''इसकी वजह से, आप भारतीय वायुसेना हैं.''
"BECAUSE OF THIS!” pic.twitter.com/79i0QLOpzN
— Indian Air Force (@IAF_MCC) December 17, 2023
एक सुनयोजित आक्रमण और महीनों की योजना के परिणामस्वरूप यह जीत भारत को मिली. मात्र 13 दिन में युद्ध समाप्त हो गया. दोनों पक्षों के सैनिक वीरतापूर्वक लड़े, कुछ भयंकर युद्ध भी हुए.
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