- राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे पर रोजगार को लेकर करार हो सकता है, रूस को 10 लाख भारतीय कुशल श्रमिक चाहिए.
- भारत रूस से 5 अतिरिक्त S-400 रडार सिस्टम खरीदना चाहता है. उसे 5 में से 3 सिस्टम मिल चुके हैं.
- भारत 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत को देखते हुए सुखोई-57 के भारत में सह-उत्पादन पर निर्णय ले सकता है.
भारत और रूस की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. यहां तक की अमेरिका के साथ बेहतर हुए संबंधों के दौर में भी रूस हमारा विश्वस्त साझीदार बना रहा है. अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से दोनों देशों की दोस्ती में नई गरमाहट आने की संभावना है. गौरतलब है कि भारत में इन दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा की तैयारियां तेज हैं. 4-5 दिसंबर को रूसी राष्ट्रपति 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने आ रहे हैं. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान भारत और रूस के बीच रोजगार, S-400 सिस्टम और सुखोई-57 लड़ाकू विमानों पर तीन बड़े समझौते हो सकते हैं.
आपको बता दें कि पुतिन आखिरी बार 2021 में भारत आए थे. रूस–यूक्रेन युद्ध के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी. यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर टैरिफ व जुर्माना लगाया है और भारत तेल आयात में कमी करके दोनों देशों के साथ संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है.
रूस के साथ संभावित तीन प्रमुख करार
1. रोजगार करार: रूस अपने उद्योगों के लिए 10 लाख भारतीय कुशल श्रमिकों को काम पर रखना चाहता है. इसके लिए लेबर मोबिलिटी समझौता तैयार है. इसमें श्रमिकों की आवाजाही से लेकर सुरक्षा से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे.
2. S-400 सिस्टम: भारत रूस से 5 और S-400 रडार सिस्टम खरीदना चाहता है. पहले लिए गए 5 सिस्टम में से 3 मिल चुके हैं, 2 की आपूर्ति बाकी है. ऑपेरशन सिंदूर में जिस तरह से S-400 ने अपनी काबलियत दिखाई उससे भारत की नजर न केवल इस सिस्टम के और अधिक लेने की है बल्कि वह चाहता है कि पुराने करार में दो S 400 की जल्द डिलीवरी रूस करें.
3. सुखोई-57 लड़ाकू विमान: भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत को देखते हुए सुखोई-57 के भारत में सह-उत्पादन पर निर्णय ले सकता है. खासकर उस हालत में जब भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमान की भयंकर कमी है. मिग-21 के दो स्क्वाड्रन हाल ही में रिटायर हो चुके हैं. इनकी जगह लेने के लिए एलसीए मार्क 1ए कब तक भारतीयों वायु सेना में शामिल हो पाएगा इसका कोई अभी अता पता नहीं है. यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय वायुसेना के सामने चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं, उसे टू फ्रंट वॉर पर एक साथ जूझना पड़ रहा है.
इसके अलावा रूस के साथ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, नई ऊर्जा, आपदा प्रबंधन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी कई समझौते या पुराने करारों का नवीनीकरण हो सकता है. भारत अब तय कर चुका है अपने पुराने भरोसेमंद साझीदार के साथ रिश्ते को और मजबूत बनाएगा भले ही किसी और खराब लगे तो लगे.
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