संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) (IndIa In UNSC) में भारत ने बिना नाम लिए चीन को खरी-खरी सुनाईं. भारत ने उन देशों की कड़ी निंदा की, जो साक्ष्य-आधारित आतंकवादी लिस्ट में रुकावट डालने के लिए वीटो (Veto) का इस्तेमाल करते हैं. भारत ने साफ-साफ कहा कि यह गलत है और आतंकवाद की चुनौती से निपटने में UN की प्रतिबद्धता के खिलाफ है.संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक सत्र में कहा, "आइए हम अपने खुद के कस्टम-निर्मित कामकाजी तरीकों और अस्पष्ट प्रथाओं के साथ जमीनी दुनिया में रहने वाले सहायक निकायों की ओर देखें, जिनके पास चार्टर या परिषद के किसी भी संकल्प में कोई कानूनी आधार नहीं है. उदाहरण के लिए, जब हमें लिस्टिंग पर इन समितियों के फैसलों के बारे में पता चलता है, लेकिन लिस्टिंग रिक्वेस्ट को रिजेक्ट करने के फैसलों को सार्वजनिक नहीं किया जाता है.
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"आतंकियों के बैन में रुकावट डालना गलत"
रुचिरा कंबोज ने कहा, "यह एक डिस्गाइज़ वीटो है, लेकिन ज्यादा प्रबल है, जो वास्तव में सदस्यों के बीच चर्चा का विषय है. वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आतंकवादियों के लिए साक्ष्य-आधारित लिस्ट प्रस्तावों को बिना कोई उचित कारण बताए अवरुद्ध करना अनुचित है, यह आतंकवाद की चुनौती से निपटने में परिषद की प्रतिबद्धता की बात के बीच दोहरी लगती है." उन्होंने यह कहकर चीन पर परोक्ष रूप से हमला बोला.
बता दें कि पिछले साल, भारत और अमेरिका ने मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के वांटेड साजिद मीर को आतंकी घोषित करने के लिए UNSC में प्रस्ताव पेश किया था, इस पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए तकनीकी रूप से रोक लगा दी थी. बता दें कि 26/11 आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
UN में चीन को भारत की खरी-खरी
दरअसल चीन ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को प्रभावी ढंग से रोक दिया था. दरअसल किसी भी प्रस्ताव को पास करने के लिए सभी सदस्य देशों की सहमति की जरूरत होती है. UN में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि सहायक निकायों के अध्यक्षों काो चुनने और फैसला लेने की शक्ति एक खुली प्रक्रिया के तहत दी जानी चाहिए, जो पारदर्शी हो.
रुचिरा कंबोज ने कहा, "सहायक निकायों के अध्यक्षों का चयन और पेन होल्डरशिप देना, खुली, पारदर्शी और व्यापक परामर्श प्रक्रिया के जरिए की जानी चाहिए." इसके साथ ही भारत ने यूएनएससी सुधारों के लिए अपने आह्वान को एक बार फिर से दोहराया.
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