भारत और चीन के बीच बीते कुछ दिनों में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब हालात सामान्य होते दिख रहे हैं. LAC पर दोनों ही देशों की सेनाओं की तरफ से डिसइंगेजमेंट (Disengagement) की प्रक्रिया पूरी हो गई है. आज यानी बुधवार से दोनों ही देशों की तरफ से प्रेट्रोलिंग की शुरुआत हो जाएगी. आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच आपसी रिश्तों में आए इस सुधार की एक वजह ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत को भी माना जा रहा है. आज हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं कि आखिर ये पूरा विवाद था क्या...
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पूरी हुई डिसइंगेजमेंट
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद से पूर्वी लद्दाक में एलएसी पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया का मतलब सैनिकों की वापसी से होता है. भारतीय सेना के अधिकारी देपसांग और डेमचौक में इस डिसइंगेजमेंट पर नजर रख रहे हैं. इन सब के बीच डेमचौक में दोनों ही तरफ से अभी तक कई टेंट हटाए जा चुके हैं. हालांकि, ये प्रक्रिया अब पूरी कर ली गई है.
कई प्वाइंट्स से पीछे हट रही है दोनों देशों की सेनाएं
इस डिसइंगेजमेंट के तहत भारतीय सेना चार्डिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर पीछे हट चुकी हैं. वहीं चीनी सेना सैनिल नाला के पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हटी है. दोनों ही तरफ बने कई अस्थाई ढांचों को भी हटा लिया गया है. वहीं बात अगर देपसांग की करें तो चीनी सेना के पास टेंट नहीं है. यही वजह है कि वहां पर चीन ने अपने ढांचे हटा लिए हैं. बताया जा रहा है कि चीनी सेना ने इलाके में अपने वाहनों की संख्या भी कम कर दी है वहीं भारत ने भी अपने कुछ सैनिकों को वहां कम कर दिए हैं.
भारत-चीन के बीच क्या रहा है सीमा विवाद?
पूर्वी लद्दाख में 7 ऐसे पॉइंट हैं, जहां चीन के साथ टकराव की स्थिति रहती है. ये हैं पेट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी गलवान, 15 यानी हॉट स्प्रिंग, 17A यानी गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक में चारदिंग नाला हैं, जहां तनाव रहता है.अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था. 2022 तक 4 इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई. दौलत बेग ओल्डी और डेमचॉक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी.अप्रैल 2020 से पहले सैन्य अभ्यास के नाम पर चीनी सेना हजारों की तादाद में सीमा पर जमा हो गई. जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी तैनाती की. जून 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प हुई. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए. जबकि चीन के इससे भी दोगुनी संख्या में सैनिक मारे गए थे. हालांकि, चीन ने सिर्फ 3 सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी. फिर कई दौर की बातचीत के बाद सितंबर 2022 में गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर डिसएंगेजमेंट की सहमति बन चुकी थी, जिसके तहत चीन की सेना वहां से पीछे हट गई थी. फिर दो अहम पॉइंट डेपसांग, डेमचॉक बचे रह गए थे. इनपर 21 अक्टूबर को डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है. और डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है.
डिसइंगेजमेंट के बाद शुरू की गई गश्त
एलएसी पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही यहां गश्त भी शुरू हो गई है. बताया जा रहा है कि कि देपसांग और डेमचोक में 4 से पांच दिन बाद गश्त फिर से शुरू हो चुकी है. आपको बता दें कि भारत की तरफ से 21 अक्टूबर को ही घोषणा की थी कि वह चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने के समझौते पर पहुंच गया है.
चीन और भारत के बीच समझौते में क्या कुछ हुआ था तय?
भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर 2024 के बीच हुए समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए दोनों देश राजी हो गए हैं. इस समझौते के बाद अब चीन की सेना उन इलाकों से पीछे हटेगी जहां उसने अतिक्रमण किया था. इस समझौते को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्त्री ने बताया था कि सीमा से लगने वाले इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है. अब इस समझौते के तहत ही दोनों देश कदम उठाएंगे. आपको बता दें कि अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में आधा दर्जन इलाकों में अतिक्रमण किया था. 2022 में चीन की पीएलए इन छह में से चार स्थानों से पीछे हट गई थी. लेकिन दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक के फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर गश्त को लेकर सहमति नहीं बनी थी. और इसके बाद से ही भारतीय सेना को कई स्थानों पर रोका जा रहा था.
पेट्रोलिंग प्वाइंट्स का मामला है क्या?
आपको बता दें कि चीन के साथ लगने वाली सीमा तीन (ईस्टर्न, मीडिल और वेस्टर्न) सेक्टर्स में बंटी हैं. लद्दाख से लगने वाली चीन की सीमा वेस्टर्न सेक्टर में आती है. वेस्टर्न सेक्टर में एलएसी तय नहीं है. 1962 की लड़ाई के बाद भारत ने एलएसी से अपनी सेना हटा ली थी. यही वजह थी कि चीनी सैनिकों को घुसपैठ करने का मौका मिल गया था. ऐसे में एलएसी पर सीमाएं तय नहीं थी, उस दौरान एलएसी पर पेट्रोलिंग प्वाइंट्स बनाए गए जहां भारतीय सैनिक गश्त कर सकें. 1976 में भारत ने एलएसी पर 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तय किए. इसके बाद 1976 में भारत ने एलएसी पर कुल 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तय किए थे.
डेपसांग में कई किलोमीटर अंदर आया है चीन
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार अगर डेपसांग की बात की जाए तो यहां चीन की पीएलए भारत के नियंत्रण वाले डेपसांग मैदानों में 18 किलोमीटर आगे तक आ चुका था.वो चाहता था कि इस इलाके पर ही बफर जोन तैयार किया जाए. आपको बता दें कि यह इलाका वाई जंक्शन/बॉटलनेक यानी राकी नाला घाटी से पेट्रोलिंग प्वाइंट्स 10, 11,11ए, 12 और 13 तक के अतिरिक्त है. इस समझौते से पहले तक बॉटलनेक से करीब एक किलोमीटर दूर ही चीनी सेना बैठी थी. 2020 में चीनी सेना ने भारतीय सेनाओं को इससे आगे पेट्रोलिंग करने से रोक दिया था. लेकिन अब भारत और चीन के बीच हुए समझौते के बाद भारतीय सेना यहां पेट्रोलिंग कर सकेगी.
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