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ग्रीन एनर्जी में भारत की ऊंची छलांग, अब 50% बिजली गैर-जीवाश्म ईंधन से बन रही, 5 साल पहले ही लक्ष्य पूरा

भारत ने अपनी बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हासिल करने की उपलब्धि कायम की है. इसके लिए पेरिस समझौते में 2030 तक का टारगेट तय किया गया था. लेकिन भारत ने 2025 में ही यह टारगेट पूरा कर लिया है.

ग्रीन एनर्जी में भारत की ऊंची छलांग, अब 50% बिजली गैर-जीवाश्म ईंधन से बन रही, 5 साल पहले ही लक्ष्य पूरा
  • भारत ने अपनी बिजली उत्पादन क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने की उपलब्धि हासिल की है.
  • पेरिस समझौते में इस टारगेट को साल 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन भारत ने 5 साल पहले ही इसे हासिल कर लिया है.
  • भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 484.8 गीगावॉट है, जिसमें से 232.8 गीगावॉट से अधिक सौर, पवन, हाइड्रो और परमाणु ऊर्जा से पैदा हो रही है.
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नई दिल्ली:

भारत ने क्लीन एनर्जी की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए पेरिस समझौते में तय समयसीमा से पांच साल पहले ही एक लक्ष्य हासिल कर लिया है. भारत ने अपनी बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन (Non-Fossil Fuels) स्रोतों से हासिल करने की उपलब्धि कायम की है. इसके लिए पेरिस समझौते में 2030 तक का समय तय किया गया था. लेकिन भारत ने समय से काफी पहले ये टारगेट पूरा कर लिया है. 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता अब 484.8 गीगावॉट हो गई है. इसमें से 232.8 गीगावॉट से अधिक बिजली गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बनने लगी है जिनमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बड़े हाइड्रो पावर प्लांट और न्यूक्लियर पावर प्लांट शामिल हैं. गैर-जीवाश्म ईंधन उन ऊर्जा स्रोतों को कहते हैं, जो जीवाश्म कार्बनिक पदार्थों जैसे कि कोयला, तेल या प्राकृतिक गैस से प्राप्त नहीं होते. ये ईंधन पर्यावरण के अधिक अनुकूल होते हैं क्योंकि ये कम या फिर न के बराबर ग्रीनहाउस गैस पैदा करते हैं. 

केंद्रीय अक्षय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस उपलब्धि को साझा करते हुए कहा कि जलवायु संकट के समाधान की दिशा में भारत अब पूरी दुनिया को राह दिखा रहा है. 2030 के तय लक्ष्य से पांच साल पहले ही 50 फीसदी गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को हासिल करना हर भारतीय के लिए गर्व का मौका है. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत हरित परिवर्तन को आगे बढ़ा रहा है और आत्मनिर्भर व टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि यह उपलब्धि हरित व टिकाऊ भविष्य के निर्माण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता और प्रयासों को दर्शाती है.

भारतीय जनता पार्टी ने इस अवसर पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें भारत की उपलब्धि का जिक्र करते हुए 2021 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में पीएम मोदी के वादे को याद किया गया. 

पीएम मोदी ने तब वादा किया था कि भारत साल 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से हासिल करेगा, कार्बन उत्सर्जन में अनुमानित एक अरब टन की कटौती करेगा, 2005 के स्तर से कार्बन इंटेंसिटी को 45 प्रतिशत कम कर देगा और 2070 तक जीरो एमिशन का टारगेट प्राप्त कर लेगा. 

बीजेपी ने अपनी पोस्ट में लिखा कि स्वच्छ ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता चमकदार तरीके से आगे बढ़ रही है. भारत ने हरित ऊर्जा का अपना लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिया है. 

बता दें कि साल 2025 की पहली छमाही में भारत का अक्षय ऊर्जा उत्पादन काफी तेजी से बढ़ा है. इसमें साल 2022 के बाद सबसे ज्यादा तेजी देखी गई है. वहीं कोयले से बिजली उत्पादन में लगभग 3 प्रतिशत की कमी हुई है. भारत ने 2024 में सौर एवं पवन ऊर्जा से लगभग 28 गीगावॉट बिजली पैदा की थी. इस साल जनवरी से मई के बीच ही इस तरह 16.3 गीगावॉट बिजली उत्पादन हो चुका है. 

बड़े पनबिजली केंद्रों को छोड़ दें तो जून का महीना पूरा होते-होते भारत के कुल बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा का हिस्सा लगभग 184.6 गीगावॉट हो गया है. भारत ने 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें चूक गया था. इसके बाद भारत ने अपने प्रयासों को तेज किया और अब ये उपलब्धि हासिल की है. भारत ने साल 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है. 

हालांकि प्रगति के बावजूद पिछले साल तक भारत में बिजली की डिमांड का दो-तिहाई हिस्सा जीवाश्म ईंधन से पूरा किया गया था. देश की बढ़ती बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए 2032 तक कोयला आधारित उत्पादन क्षमता को 80 गीगावॉट तक बढ़ाने की योजना है.

ग्लोबल थिंक टैंक  IEEFA की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शाम के समय बिजली की पीक डिमांड को पूरा करने के लिए भारत अब भी कोयले पर काफी हद तक निर्भर है. उसका सुझाव है कि भारत को उत्सर्जन कम करने और कीमतों में अस्थिरता घटाने के लिए ऊर्जा के भंडारण और डिमांड मैनेजमेंट क्षमता का विस्तार करना चाहिए.

भारत की स्वच्छ ऊर्जा योजना अब सौर और पवन ऊर्जा से आगे निकल चुकी है और इसमें परमाणु, बड़ी हाइड्रो पावर, ग्रीन हाइड्रोजन, बैटरी स्टोरेज और नई उभरती टेक्नोलोजी भी शामिल हो गई हैं.

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