आयकर विभाग (Income Tax Department) ने स्वतंत्र थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और चैरिटी संगठन ऑक्सफैम इंडिया के दिल्ली स्थित कार्यालयों में छापेमारी की है. इसके अलावा बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF), जो आंशिक रूप से द कारवां, द प्रिंट और स्वराज्य जैसे कई डिजिटल मीडिया आउटलेट्स को फंड करता है, के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है.
हालांकि, इनकम टैक्स की कार्रवाई का सामना कर रहे किसी भी संगठन से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
इनकम टैक्स विभाग के सूत्रों ने NDTV को बताया कि ये कार्रवाई 20 से अधिक पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के वित्त पोषण से जुड़ी है, जिसके तहत हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. उधर, समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि यह कार्रवाई विदेशी चंदे को लेकर जांच का हिस्सा है. हालांकि, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
बेंगलुरु स्थित IPSMF ट्रस्ट इन्वेस्टिगेटिव स्टोरीज के लिए जाने जानेवाले कुछ मीडिया संगठनों को भी फंड करता है, जो सरकारों पर सवाल उठाते रहते हैं.
इस ट्रस्ट से फंड पाने वाली मैग्जीन और पोर्टल 'द कारवां' में सबसे हालिया कवर स्टोरी में साल 2002 के गुजरात दंगों में किसी भी भूमिका से पीएम नरेंद्र मोदी को बरी करने वाली एक जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आगे किसी भी जांच को खारिज करने वाली उस रिपोर्ट की न सिर्फ प्रशंसा की थी बल्कि उस पर भरोसा जताते हुए पीएम के खिलाफ याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
पत्रकार टीएस निनन IPSMF ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जबकि ट्रस्टियों में अभिनेता अमोल पालेकर भी शामिल हैं. इसके दानदाताओं में प्रेमजी, गोदरेज और नीलेकणी कारोबारी परिवार भी शामिल है.
थिंक टैंक सीपीआर भी, आलोचनात्मक नजर से सरकारी नीतियों की जांच करने के लिए जाना जाता है. शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता पहले इसके अध्यक्ष थे, जो वर्तमान भाजपा सरकार के एक प्रमुख आलोचक माने जाते रहे हैं. वर्तमान में इसके गवर्निंग बोर्ड की अध्यक्षता मीनाक्षी गोपीनाथ कर रही हैं, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं और दिल्ली में लेडी श्रीराम कॉलेज की प्रिंसिपल थीं. 1973 में गठित, सीपीआर अपने लक्ष्यों के बीच सरकार से आलोचनात्मक और "प्रासंगिक प्रश्न पूछता" रहा है.
ऑक्सफैम इंडिया भी कार्रवाई का सामना कर रहा है, जो ऑक्सफैम छतरी के तहत गैर सरकारी संगठनों के वैश्विक संघ का हिस्सा है. इसकी वेबसाइट का कहना है कि यह "भारतीय संविधान में कल्पना के अनुसार एक न्यायपूर्ण और समावेशी देश बनाने के लिए सरकारों से नीतिगत बदलाव की मांग करने के लिए जनता के साथ अभियान चलाती है."
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