कोरोना काल और लाकडॉउन में आखिर क्या थी भारत की स्थित, यही जानने दिल्ली और कोलकाता के दो समाजसेवी निकल पड़े 25 हजार किलोमीटर की भारत यात्रा पर. और इस यात्रा को नाम दिया गया 'रोड़ आश्रम' (Road Ashram Campaign). इस यात्रा का मकसद था कोरोना काल लॉकडाउन में आखिर देश के अलग अलग राज्यों की स्थिति क्या है.
यात्रा करने वाले सिद्धांत दत्ता (Siddhant Dutta) के मुताबिक कोरोना काल लॉकडाउन में देश मे बहुत बदलाव आए. मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों को काफी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा. बच्चों की शिक्षा और इलाज पर असर पड़ा, कुपोषण की दिक्कतें बड़ी, घरेलू हिंसा और मानसिक अवसाद की समस्या बढ़ी, राशन केवल नवंबर तक ही काफी राज्यों के लोगो को मिला.
उन्होंने बताया कि यह यात्रा का एक और मकसद था, जल्द एक डॉक्यूमेंट्री बनाकर कोरोना संकट के बारे में लोगो को बताना. बीते 4 अक्टूबर को दिल्ली से एक कार के जरिए शुरू हुई कोलकाता के रहने वाले सिद्धार्थ दत्ता और दिल्ली के रहने वाले अहमद सिद्दीकी की यह यात्रा, जिसमे बकायदा जिस कार से 25 हजार किलोमीटर का सफर तय किया गया, उस कार पर देश के अलग अलग राज्यों की कलाकृतियों जनजीवन को उकेरा गया था.
करीब 77 दिन की इस यात्रा में देश के 30 राज्यों के साथ-साथ देश के सभी बॉर्डर्स का भी सफर तय किया गया, जिसमें चाइना नेपाल बॉर्डर,पाकिस्तान बॉर्डर, कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर तय किया गया.
रोड़ आश्रम यात्रा में सिद्धार्थ और अहमद ने कई नामचीन लोगो से मुलाक़ात भी की और अपने अनुभव की शेयर किए जिसमे बईचीग भूटिया, फारुख अब्दुल्ला, मिल्खा सिंह कुछ अन्य बुद्धिजीवी लोग और कुछ नेता भी शामिल थे.
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