बेेटे पृथ्वीराज के साथ धनराज शिंदे
लातूर:
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के किसान खेती बरबाद होने की चिंता से जितना परेशान हैं उतना ही वे अपने बच्चों की नौकरी को लेकर भी परेशान हैं।
ऐसे ही एक किसान ने खेती में 3 साल हुए नुकसान को तो झेल लिया लेकिन बेटी की नौकरी में हुई सरकारी लापरवाही को वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और ख़ुदकुशी की कोशिश की, लेकिन राहत की बात ये रही की जान बच गई।
जानकारी के अनुसार 45 वर्षीय धनराज शिंदे तीन साल से लगातार फसलों के नुकसान के बाद कर्ज से काफी परेशान थे। उन पर फिलहाल 15 लाख का कर्ज है और ऐसे में उनकी बेटी की सरकारी नौकरी के लिए सरकारी अफसरों की आनाकानी ने उन्हें तोड़ दिया और वे मानसिक रूप से काफी परेशान हो गए।
दो दिन पहले वह अचानक तेजी से खेतों की ओर जा ही रहे थे कि उनके 14 वर्षीय बेटे पृथ्वीराज ने यह देखा। बेटे ने ध्यान दिया कि पिता जी बिना कोई औजार और अपने रोज ले जाने वाला बैग लिए बिना ही खेत की ओर तेजी से जा रहे हैं। वह उनके पीछे भागा। और जैसे ही पिता ने रस्सी उठाई तो बेटे ने पिता को खूब समझाया कि उनके जाने के बाद उनका कौन सहारा होगा। और आखिरकार पृथ्वीराज को कामयाबी मिली और पिता मान गए।
चार बेटियों और एक बेटे के पिता ने कहा कि उनके बच्चों के अपने सपने हैं और एक बेटी का वायरलेस ऑपरेटर की नौकरी के लिए चयन हो गया है लेकिन सरकारी लेटलतीफी के कारण मामला अटका हुआ है। इस वजह से किसान धनराज शिंदे पूरी तरह टूट गए थे।
ऐसे ही एक किसान ने खेती में 3 साल हुए नुकसान को तो झेल लिया लेकिन बेटी की नौकरी में हुई सरकारी लापरवाही को वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और ख़ुदकुशी की कोशिश की, लेकिन राहत की बात ये रही की जान बच गई।
जानकारी के अनुसार 45 वर्षीय धनराज शिंदे तीन साल से लगातार फसलों के नुकसान के बाद कर्ज से काफी परेशान थे। उन पर फिलहाल 15 लाख का कर्ज है और ऐसे में उनकी बेटी की सरकारी नौकरी के लिए सरकारी अफसरों की आनाकानी ने उन्हें तोड़ दिया और वे मानसिक रूप से काफी परेशान हो गए।
दो दिन पहले वह अचानक तेजी से खेतों की ओर जा ही रहे थे कि उनके 14 वर्षीय बेटे पृथ्वीराज ने यह देखा। बेटे ने ध्यान दिया कि पिता जी बिना कोई औजार और अपने रोज ले जाने वाला बैग लिए बिना ही खेत की ओर तेजी से जा रहे हैं। वह उनके पीछे भागा। और जैसे ही पिता ने रस्सी उठाई तो बेटे ने पिता को खूब समझाया कि उनके जाने के बाद उनका कौन सहारा होगा। और आखिरकार पृथ्वीराज को कामयाबी मिली और पिता मान गए।
चार बेटियों और एक बेटे के पिता ने कहा कि उनके बच्चों के अपने सपने हैं और एक बेटी का वायरलेस ऑपरेटर की नौकरी के लिए चयन हो गया है लेकिन सरकारी लेटलतीफी के कारण मामला अटका हुआ है। इस वजह से किसान धनराज शिंदे पूरी तरह टूट गए थे।
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