जुलाई 2009 में संजीत मेइती की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी
इंफाल:
मणिपुर में छह साल पुराने एक फ़र्ज़ी मुठभेढ़ से जुड़ा ख़ुलासा पुलिस के लिए शर्मिंदगी का सबब बनता दिख रहा है। मणिपुर पुलिस के एक पूर्व हेडकॉन्स्टेब ने हीरोजीत सिंह ने अब कबूल किया है कि उसने एक निहत्थे संदिग्ध को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था।
साल 2009 में राजधानी इंफ़ाल की एक भीड़ भरी सड़क पर हुए मुठभेड़ में शामिल इस पूर्व हेड कॉन्स्टेबल ने कबूल किया है कि उसने ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के संदिग्ध संजीत मेइती को गोली मारी थी, जिससे उसकी मौत हो गई। संजीत उस समय कथित तौर एक अस्पताल में काम किया करता था और हीरोजीत के मुताबिक, मुठभेड़ के वक्त संजीत के पास कोई हथियार नहीं था।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार में हिरोजीत के हवाले से छपी खबर के मुताबिक, बहादुरी पुरस्कार जीत चुके इस पुलिसकर्मी का कहना है कि उसे इस घटना को लेकर कोई पछतावा या हमदर्दी नहीं है। उसने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का बस उनका पालन किया। हीरोजीत का कहना है कि उसे तब इंफाल के एडिशनल एसपी ने गोली मारने का आदेश दिया था।
इंफाल में 23 जुलाई, 2009 को हुए इस मुठभेड़ को लेकर उस वक्त काफी गुस्सा उभर आया, जब एक तस्वीर में संजीत को एक दवाई दुकान के अंदर ले जाते हुए और फिर थोड़ी देर बाद उसका शव बाहर निकालते हुए दिखाया गया था। घटनास्थल पर मौजूद एक महिला की भी गोली लगने से मौत हो गई थी।
पुलिस ने दावा किया था पुलिस द्वारा जामातलाशी के दौरान संजीत ने बंदूक निकाल कर गोलियां चलानी शुरू कर दी थी और फिर वहां से भाग गया। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस दस्ता उसका पीछा करते हुए मैमू फार्मेसी के अंदर गया और जब उसने वहां भी उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दी, तो पुलिस को जवाबी कार्रवाई करना पड़ा। पुलिस ने दावा किया था कि संजीत के हाथ में 9 एमएम पिस्तौल मिली थी। हालांकि हीरोजीत ने अब कहा है कि उसके हाथ में बस एक मोबाइल फोन था।
एक्सप्रेस से बातचीत में उसने कहा, 'मैंने उसे छह या सात गोलियां मारी थी, सभी धड़ में। मुझे यकीन है कि संजीत को पक्के से पता था कि मैं उसे मारने ही वापस लौटा हूं। मुझे यकीन है कि वह जानता था मैं उसे कब गोली मारूंगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसके पास कोई हथियार नहीं था, बस हमें उसके पास एक मोबाइल फोन मिला था।'
संजीत मुठभेड़ मामले की जांच सीबीआई कर रही है। हेड कॉन्स्टेबल हीरोजीत सिंह का यह ख़ुलासा कोर्ट और सीबीआई को दिए मणिपुर पुलिस के दावे के ठीक उलट है। इस नए खुलासे के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि वह इस मामले को देखेंगे।
साल 2009 में राजधानी इंफ़ाल की एक भीड़ भरी सड़क पर हुए मुठभेड़ में शामिल इस पूर्व हेड कॉन्स्टेबल ने कबूल किया है कि उसने ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के संदिग्ध संजीत मेइती को गोली मारी थी, जिससे उसकी मौत हो गई। संजीत उस समय कथित तौर एक अस्पताल में काम किया करता था और हीरोजीत के मुताबिक, मुठभेड़ के वक्त संजीत के पास कोई हथियार नहीं था।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार में हिरोजीत के हवाले से छपी खबर के मुताबिक, बहादुरी पुरस्कार जीत चुके इस पुलिसकर्मी का कहना है कि उसे इस घटना को लेकर कोई पछतावा या हमदर्दी नहीं है। उसने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का बस उनका पालन किया। हीरोजीत का कहना है कि उसे तब इंफाल के एडिशनल एसपी ने गोली मारने का आदेश दिया था।
इंफाल में 23 जुलाई, 2009 को हुए इस मुठभेड़ को लेकर उस वक्त काफी गुस्सा उभर आया, जब एक तस्वीर में संजीत को एक दवाई दुकान के अंदर ले जाते हुए और फिर थोड़ी देर बाद उसका शव बाहर निकालते हुए दिखाया गया था। घटनास्थल पर मौजूद एक महिला की भी गोली लगने से मौत हो गई थी।
पुलिस ने दावा किया था पुलिस द्वारा जामातलाशी के दौरान संजीत ने बंदूक निकाल कर गोलियां चलानी शुरू कर दी थी और फिर वहां से भाग गया। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस दस्ता उसका पीछा करते हुए मैमू फार्मेसी के अंदर गया और जब उसने वहां भी उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दी, तो पुलिस को जवाबी कार्रवाई करना पड़ा। पुलिस ने दावा किया था कि संजीत के हाथ में 9 एमएम पिस्तौल मिली थी। हालांकि हीरोजीत ने अब कहा है कि उसके हाथ में बस एक मोबाइल फोन था।
एक्सप्रेस से बातचीत में उसने कहा, 'मैंने उसे छह या सात गोलियां मारी थी, सभी धड़ में। मुझे यकीन है कि संजीत को पक्के से पता था कि मैं उसे मारने ही वापस लौटा हूं। मुझे यकीन है कि वह जानता था मैं उसे कब गोली मारूंगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसके पास कोई हथियार नहीं था, बस हमें उसके पास एक मोबाइल फोन मिला था।'
संजीत मुठभेड़ मामले की जांच सीबीआई कर रही है। हेड कॉन्स्टेबल हीरोजीत सिंह का यह ख़ुलासा कोर्ट और सीबीआई को दिए मणिपुर पुलिस के दावे के ठीक उलट है। इस नए खुलासे के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि वह इस मामले को देखेंगे।
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