दिल्ली सरकार ने रविवार को धूमधड़ाके के साथ एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर 1031 लॉन्च करके आम आदमी पार्टी का एक बड़ा चुनावी वादा पूरा किया। लेकिन तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले इस बड़े कार्यक्रम में लगे एक बोर्ड को देखकर यह भी लगा कि वीआईपी कल्चर के मुद्दे से शायद पार्टी धीरे-धीरे दूर हो रही है, क्योंकि स्टेडियम के इंट्री पर वीवीआईपी पार्किंग का बोर्ड टंगा था।
इस वीवीआईपी पार्किंग के बोर्ड को देखकर शायद इसलिए भी हैरानी हो रही थी, क्योंकि आम आदमी पार्टी के मुख्य एजेंडे में वीआईपी कल्चर को खत्म करना भी शामिल है। इस पर कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी सवाल खड़े करते हुए ट्वीट किया और लिखा कि 50 दिनों में ही आम आदमी पार्टी VIP और VVIP की पार्टी हो गई।
Just passed through the Talkatora Stadium- Look at the pictures- How in just 50 days AAP became a party of VIP&VVIP? pic.twitter.com/oOGPQewsD5
— Ajay Maken (@ajaymaken) April 5, 2015
हालांकि आम आदमी पार्टी के विधायक आदर्श शास्त्री पार्टी का बचाव करते कहते हैं कि वीआईपी कल्चर को खत्म करने के मुद्दे से पार्टी दूर नहीं गई है। लाल बत्ती का हम उपयोग नहीं करते हैं लेकिन कार्यकर्ताओं की सहूलियत के लिए वीआईपी पार्किंग बनाई गई थी ताकि बड़े नेताओं से उन्हें दिक्कत न हो।
यही नहीं इस कार्यक्रम में भीड़ को इकट्ठा करने के लिए कई बसें भी लगी हुई दिखीं, जो दिल्ली के अलग-अलग जगहों से कार्यकर्ताओं को तालकटोरा स्टेडियम लेकर आई थी। खुद सीलमपुर से आए मुजाहिद ने बताया कि हमारे विधायक ने बस का इंतजाम किया है। इसी तरह कई विधायक अपने-अपने क्षेत्र से कार्यकर्ताओं को बसों में लेकर आए हैं।
इस समारोह में कार्यकर्ताओं के मनोरंजन के लिए भोजपुरी संगीतकारों को भी बुलाया गया था। कार्यक्रम में पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स और बाउंसरों की बड़ी तादाद देखकर दूसरे राजनीतिक पार्टियों के समारोह का अनुभव हो रहा था।
हालांकि कांग्रेस और बीजेपी जैसी बहुत सारी पार्टियों में इसी तरह के चाल-चलन मौजूद है। लेकिन आम आदमी पार्टी की आलोचना इसलिए होगी, क्योंकि इन पार्टियों से अलग राजनीति करने की जिद ही अरविंद केजरीवाल को मुख्तलिफ बनाती है। तो क्या आम आदमी पार्टी भी दूसरे राजनीतिक पार्टियों की तरह व्यवहारिक राजनीति करने की दिशा में चल पड़ी है। खुद आम आदमी पार्टी के नेता प्रो. आनंद कुमार कहते हैं कि पार्टी में आदर्शवाद और व्यवहारवाद राजनीति की एक बहस चल रही है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल व्यवहारवाद की राजनीति अब करना चाहते हैं।
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