दुनिया भर की चेतावनी को नजरअंदाज कर उत्तर कोरिया मिसाइल परीक्षण जारी रखे है
नई दिल्ली:
उत्तर कोरिया ने अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी नज़रअंदाज़ करते हुए फिर से बैलिस्टिक मिसाइल दाग़ी है. ये मिसाइल जापान के ऊपर से होते हुए 3400 किलोमीटर दूर जाकर उत्तरी प्रशांत महासागर में गिरी. लेकिन इससे पैदा सिहरन दुनिया के आर्थिक माहौल में सबसे ज़्यादा महसूस की गई. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की चेतावनियों और पाबंदियों को अंगूठा दिखाकर किए गए इस टेस्ट ने सबसे पहले दुनिया भर के शेयर बाज़ारों को झटका दिया. एशियाई बाज़ारों की कमज़ोरी का असर भारत पर भी दिखा. सुबह सेंसेक्स 68 अंकों की कमी के साथ खुला. उतार-चढ़ाव से भरे दिन में बस 30.68 अंक ऊपर चढ़ सका निफ़्टी लेकिन 1.20 अंक नीचे ही रहा.
माना जा रहा है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के तेवरों ने शेयर बाज़ारों को डरा दिया है. ये संकट ऐसे समय में आया है जब भारत की आर्थिक विकास दर घटती नज़र आ रही है. जेएनयू में सेन्टर फॉर इस्ट एशियन स्टडीज़ के प्रोफेसर जितेंदर उत्तम कहते हैं, 'ये विवाद अगर बढ़ा तो भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा.' गुरुवार को भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों की द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी बयान में उत्तर कोरिया के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की कड़ी निंदा की गयी. ज़ाहिर है इस विवाद से अनिश्चित्ता बढ़ रही है जो पूरे एशिया में भारत के आर्थिक हितों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करेगी.
जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के डीन अजय पटनायक कहते हैं, "ये विवाद ऐसे वक्त पर सामने आया है जब भारत-चीन, भारत-जापान और भारत-दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक संबंधों का दायरा बढ़ रहा था. अगर ये विवाद बढ़ता है तो इसका असर निवेशकों के सेन्टीमेन्ट पर पड़ेगा और इन देशों के साथ भारत के ट्रेड से जुड़े व्यापार पर पड़ेगा."
विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को खड़ा करने में पाकिस्तान ने चोरी-छुपे मदद की. इस बात को भारत को प्रमुखता से अतंरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखनी चाहिये. जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में प्रोफेसर अमिताभ सिन्हा कहते हैं, "पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को तैयार करने में मदद की. अब भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को एक्सपोज़ करना चाहिये.
माना जा रहा है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के तेवरों ने शेयर बाज़ारों को डरा दिया है. ये संकट ऐसे समय में आया है जब भारत की आर्थिक विकास दर घटती नज़र आ रही है. जेएनयू में सेन्टर फॉर इस्ट एशियन स्टडीज़ के प्रोफेसर जितेंदर उत्तम कहते हैं, 'ये विवाद अगर बढ़ा तो भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा.' गुरुवार को भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों की द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी बयान में उत्तर कोरिया के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की कड़ी निंदा की गयी. ज़ाहिर है इस विवाद से अनिश्चित्ता बढ़ रही है जो पूरे एशिया में भारत के आर्थिक हितों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करेगी.
जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के डीन अजय पटनायक कहते हैं, "ये विवाद ऐसे वक्त पर सामने आया है जब भारत-चीन, भारत-जापान और भारत-दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक संबंधों का दायरा बढ़ रहा था. अगर ये विवाद बढ़ता है तो इसका असर निवेशकों के सेन्टीमेन्ट पर पड़ेगा और इन देशों के साथ भारत के ट्रेड से जुड़े व्यापार पर पड़ेगा."
विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को खड़ा करने में पाकिस्तान ने चोरी-छुपे मदद की. इस बात को भारत को प्रमुखता से अतंरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखनी चाहिये. जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में प्रोफेसर अमिताभ सिन्हा कहते हैं, "पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को तैयार करने में मदद की. अब भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को एक्सपोज़ करना चाहिये.
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