नई दिल्ली:
अमेरिका के अलास्का में होने जा रहे रेड फ्लैग अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए भारतीय वायुसेना के 12 लड़ाकू विमान जामनगर से रवाना हो गए। ये दूसरी बार है कि वायुसेना ऐसे कठिन अभ्यास में हिस्सा लेने जा रही है। इससे पहले 2008 में इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना ने हिस्सा लिया था।
रवाना होने वाले विमानों में चार सुखोई, जगुवार, दो सी-17 परिवहन विमान और दो एयर टू एयर रिफ्यूलर विमान आईएल-78 शामिल हैं। विमान के अलावा इस अभ्यास के लिए 200 सपोर्ट स्टॉफ भी अमेरिका गया है जिनमें 71 अधिकारी हैं।
28 अप्रैल से 13 मई तक होने वाले इस अभ्यास में वायुसेना के विमान अमेरिकी अगुवाई वाले नाटों देशों के साथ साझा अभ्यास में अपना दमखम दिखाएंगे। इस अभ्यास को काफी जटिल और अत्याधुनिक माना जाता है जिसमें मशीन और इंसान के स्किल की परीक्षा होती है।
करीब आठ साल बाद वायुसेना इस अभ्यास में हिस्सा ले रही है। वजह है कि बजट में कटौती। इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना पहले की तुलना में अब काफी कम हिस्सा लेती है। अधिकारियों का मानना है कि वैसे ऐसे अभ्यास में जाने से खुद के परखने और आधुनिक तकनीक से रूबरू होने का मौका मिलता है। इससे अपना युद्धकौशल तो निखरता है साथ ही आत्मविश्वास में भी काफी बढ़ोतरी होती है।
रवाना होने वाले विमानों में चार सुखोई, जगुवार, दो सी-17 परिवहन विमान और दो एयर टू एयर रिफ्यूलर विमान आईएल-78 शामिल हैं। विमान के अलावा इस अभ्यास के लिए 200 सपोर्ट स्टॉफ भी अमेरिका गया है जिनमें 71 अधिकारी हैं।
28 अप्रैल से 13 मई तक होने वाले इस अभ्यास में वायुसेना के विमान अमेरिकी अगुवाई वाले नाटों देशों के साथ साझा अभ्यास में अपना दमखम दिखाएंगे। इस अभ्यास को काफी जटिल और अत्याधुनिक माना जाता है जिसमें मशीन और इंसान के स्किल की परीक्षा होती है।
करीब आठ साल बाद वायुसेना इस अभ्यास में हिस्सा ले रही है। वजह है कि बजट में कटौती। इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना पहले की तुलना में अब काफी कम हिस्सा लेती है। अधिकारियों का मानना है कि वैसे ऐसे अभ्यास में जाने से खुद के परखने और आधुनिक तकनीक से रूबरू होने का मौका मिलता है। इससे अपना युद्धकौशल तो निखरता है साथ ही आत्मविश्वास में भी काफी बढ़ोतरी होती है।
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