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This Article is From Jun 08, 2018

हनीप्रीत की दलील-245 दिन से सलाखों के पीछे हूं और पुलिस को नहीं मिले कोई सबूत, कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

हनीप्रीत की दलील थी कि हिंसा की घटना के आरोप में उसे 245 दिन सलाखों के पीछे रखे जाने के बाद भी हरियाणा पुलिस को अब तक उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. 

हनीप्रीत की दलील-245 दिन से सलाखों के पीछे हूं और पुलिस को नहीं मिले कोई सबूत, कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
हनीप्रीत की फाइल फोटो
नई दिल्ली: दुष्कर्म के दो मामलों में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम इंसां को सजा सुनाए जाने के बाद हुई हिंसा के मामले में पंचकूला की एक अदालत ने गुरुवार को गुरमीत की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत की जमानत याचिका खारिज कर दी. हनीप्रीत की दलील थी कि हिंसा की घटना के आरोप में उसे 245 दिन सलाखों के पीछे रखे जाने के बाद भी हरियाणा पुलिस को अब तक उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. 

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वकील ने अदालत को बताया कि हनीप्रीत को जिन आरोपों में पुलिस ने गिरफ्तार किया है, उन्हीं आरोपों में दूसरे लोगों को जमानत मिल चुकी है. गुरमीत रामरहीम को सजा सुनाए जाने के बाद पंचकूला में अगस्त 2017 में हुई हिंसा की घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हनीप्रीत के खिलाफ पिछले साल राजद्रोह का आरोप लगाया है. 

हनीप्रीत का असली नाम प्रियंका तनेजा है. वजह पिछले साल अक्टूबर से अंबाला केंद्रीय कारा में बंद है. पुलिस का दावा है कि वह डेरा प्रमुख की सबसे नजदीकी सहयोगी थी और डेरा प्रमुख के कार्यकलापों और पंचकूला और अन्य जगहों पर 25 अगस्त को राम रहीम को सजा सुनाए जाने पर हुई हिंसा के बारे में बहुत कुछ जानती थी. 

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हनीप्रीत के खिलाफ हरियाणा पुलिस द्वारा राजद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के बाद वह 38 दिनों तक पुलिस की नजर से बचती रहीं. उनको तीन अक्टूबर 2017 को चंडीगढ़ से 15 किलोमीटर दूर झिरकापुर-पटियाला राजमार्ग से गिरफ्तार किया गया था. 

हनीप्रीत ने खुद को राम रहीम की दत्तक पुत्री बताया है. हालांकि उनके पूर्व पति विश्वास गुप्ता का आरोप है कि उनका डेरा प्रमुख के साथ अवैध संबंध था. राम रहीम को दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सश्रम सजा दी गई है और उन पर 30 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया. सजा सुनाए जाने पर हरियाणा के पंचकूला और सिरसा में हिंसा भड़क उठी, जिसमें 41 लोगों की मौत हो गई और 260 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए. हिंसा की छिटफुट घटनाएं दिल्ली और पंजाब में भी हुई थीं. 

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