वह दिन दूर नहीं जब आपके आसपास स्थित सूक्ष्म, लघु या मध्यम उद्योगों भी प्राकृतिक गैस से संचालित होंगे. यदि सबकुछ ठीक रहा तो आपके घर और वाहन में इस्तेमाल होने वाली प्राकृतिक गैस की दरें भी कम होंगी. दरअसल हमारे दैनिक जीवन से लेकर उद्योग और आर्थिक गतिविधियां ऊर्जा संसाधनों से ही संचालित होते हैं. ऊर्जा की इस अहमियत को पहचानते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने प्राकृतिक गैस की न सिर्फ उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं बल्कि उसे आम नागरिकों और उद्योगों के लिए किफायती बनाने के लिए उसके नए सिरे से उसके मूल्य निर्धारण की समीक्षा भी की जा रही है.
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बुधवार को कहा कि जल्द ही सरकार प्राकृतिक गैस के परिवहन की लागत को कम करने जा रही है. इसके लिए मंत्रालय की ओर से बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं. धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वैश्विक गैस बाजार में बदलावों के बीच भारत में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण के प्रयासों पर केंद्रित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के साथ बढ़ा सहयोग
इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी तेल सुरक्षा, ऊर्जा दक्षता, सांख्यिकी और तकनीक सहयोग समेत कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं. यह सेमिनार हमारे बीच सहयोग का सांकेतिक प्रदर्शन है, जिससे जाहिर होता है कि भारत और आईईए ऊर्जा परिदृश्य में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं.
इकोनॉमी में गैस की हिस्सेदारी बढ़कर 15 फीसदी करने का लक्ष्य
प्रधान ने कहा कि भारत एशिया में ऊर्जा आधारित विकास का नेतृत्व कर रहा है. कोविड-19 से पैदा हुई चुनौतियों के बीच भी मोदी सरकार पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है. आज देश के एनर्जी इकोसिस्टम में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6.3 प्रतिशत है. हमने इसे बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी करने का लक्ष्य है.
प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ने से लागत कम होगी
आत्मनिर्भर भारत में गैस की भूमिका पर विचार व्यक्त करते हुए केंद्रीय पेट्रोलिय एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के आर्थिक स्वावलंबन के आह्वान को साकार करने के लिए हम देश में वस्तुओं के उत्पादन में आने वाली लागत को प्राकृतिक गैस के जरिए कम करने का प्रयास कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि कई उद्योगों में लागत का एक बड़ा हिस्सा ऊर्जा खर्च के रूप में सामने आता है. इसके अलावा पेट्रोलियम मंत्रालय प्राकृतिक गैस के परिवहन लागत को भी किफायती बनाने पर काम कर रही है. यही नहीं प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में हम आगे बढ़ चुके हैं. सरकार देश के अलग-अलग हिस्सों मे एलएनजी टर्मिनल स्थापित करने जा रही है, जिससे देश के हर हिस्से में प्राकृतिक गैस की उपलब्धता आसान हो सके.
एक नहीं कई मोर्चों पर हो रहा है काम
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी समेत ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गज कंपनियों व संस्थानों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा कि भारत ने गैस क्षेत्र से जुड़े जो निर्णय लिए हैं, वह देश के एनर्जी सेक्टर में व्यापक बदलाव लेकर आएंगे. आज दुनिया भर के विशेषज्ञ इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं, कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है. हम उपभोक्ताओं के हित में गैस परिवहन की लागत को कम करने के लिए मूल्य निर्धारण की मौजूदा नीति की समीक्षा कर रहे हैं. प्राकृतिक गैस की नई मूल्य संरचना (टैरिफ स्ट्रक्चर) से हम एक ऐसा गैस बाजार विकसित करने में सफल होंगे. जो नया निवेश आकर्षित कर गैस ग्रिड को मजबूती देने क्षमता से युक्त हो.
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