गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संसोधन बिल के मुद्दे पर शिवसेना पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'मुझे आश्चर्य होता है कि सत्ता के लिए लोग कैसे-कैसे रंग बदलते हैं. शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था. महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया.' बता दें कि सोमवार को लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन बिल को शिवसेना ने समर्थन दिया था. लेकिन राज्यसभा को लेकर वह रुख स्पष्ट नहीं दिख रहा. लोकसभा में पास होने के बाद शिवसेना ने कहा था कि हमारे कई सवाल हैं, उनके संतोषजनक जवाब मिलने के बाद ही हम तय करेंगे.
मुझे आश्चर्य होता है कि सत्ता के लिए लोग कैसे-कैसे रंग बदलते हैं।
— BJP (@BJP4India) December 11, 2019
शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था।
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शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा, 'वोट बैंक की राजनीति नहीं करनी चाहिए. यह सही नहीं है. दोबारा हिंदू-मुस्लिमों की बांटने की कोशिश मत कीजिए. श्रीलंका के तमिल हिंदुओं के बारे में भी इस बिल में कुछ नहीं है.' साथ ही उन्होंने कहा, 'हमारी शंकाएं दूरी की जानी चाहिए. अगर हमें संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो लोकसभा में हमारा जो रुख था, अब वह अलग होगा.' गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान शिवसेना के सदस्य अनुपस्थित रहे. इस पर शिवसेना के राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने कहा कि उनकी पार्टी विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर उच्च सदन में हुए मतदान के दौरान अनुपस्थित रही क्योंकि सरकार ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. देसाई ने कहा कि शिवसेना ने विधेयक पर मतदान से पहले राज्यसभा से बर्हिगमन किया.
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इन सब के बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल पारित हो गया. बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ 105 सदस्यों ने वोट किया. शिवसेना ने वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वॉकआउट किया. इस बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया. सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया. विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया. इस दौरान सदन में खूब हंगामा भी हुआ.
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गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, 'जो अल्पसंख्यक बाहर से हमारे देश में आए, उन्हें राहत मिली है. तीन पड़ोसी मुल्कों से लोग हमारे देश में आए. वहां उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिला. वो लोग अपने देश में दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. वह लोग उम्मीद लेकर भारत आए थे. यह बिल लाखों लोगों के लिए किसी आशा की किरण जैसा है. ये बिल धार्मिक प्रताड़ितों के लिए है. मैं इस सदन के माध्यम से देश की जनता का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हूं. घोषणा पत्र के आधार पर प्रचार होता है. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र किया था. हम वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहे हैं. हमने जनता के बीच इस मुद्दे को रखा था और हमें मिला जनादेश इसपर हामी का सबूत है.'
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