यह ख़बर 04 जुलाई, 2014 को प्रकाशित हुई थी

जमाखोरी को गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए कानून में संशोधन करेगी सरकार

नई दिल्ली:

महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत सरकार ने जमाखोरी को गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए कानून में संशोधन करने और राज्यों को बाजार में हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाने के वास्ते एक मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने का आज निर्णय किया।

सरकार ने कहा कि उसके पास खाद्यान्न का बड़ा भंडार है, इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है। राज्यों से जमाखोरों पर कड़ी कारवाई करने पर जोर देते हुए केंद्र ने कहा है कि मानसून कमजोर रहने की रिपोर्टों के आधार पर आलू प्याज जैसी वस्तुओं के दाम बढ़ाये जा रहे हैं। उसने इसके लिए जमाखोरों और सटोरियों पर दोष मढ़ा है।

राज्यों के खाद्य मंत्रियों की आज यहां हुई बैठक में जमाखोरी को एक गैर जमानती अपराध बनाने के लिए आवश्यक वस्तु कानून को मजबूत करने का निर्णय किया गया। मंत्रियों ने निर्णय किया कि केंद्र एक मूल्य स्थिरीकरण कोष स्थापित करेगा ताकि राज्य सरकारें फल व सब्जियों की कीमतों में तेजी से निपटने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकें।

केंद्र की एनडीए सरकार ने पिछले कुछ दिनों में प्याज और आलू जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किए हैं और इनके भंडारण की सीमा तय करने के लिये राज्यों से कहा है।

बैठक के बाद खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, 'इस बात पर आम सहमति थी कि आवश्यक वस्तु कानून को मजबूत किया जाय और कानून के तहत और अधिकार दिए जाएं। इस कानून के तहत अपराधों को गैर-जमानती बनाया जाना चाहिए।'

जहां कीमतों में हाल ही में आई तेजी के लिए पासवान ने जमाखोरों को जिम्मेदार ठहराया, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जोर दिया कि 'घबराने जैसी कोई स्थिति नहीं है।'

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कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ बैठक में मौजूद जेटली ने कहा कि किसी भी जिंस की कोई किल्लत नहीं है और कीमतों में तेजी आने के अनुमान में जमाखोरों द्वारा सामान्य आपूर्ति बाधित की गई। उन्होंने कहा, 'किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार के पास खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है। कम बारिश वाले क्षेत्रों के आधार पर अगर ऐसी स्थिति उपजी तो हम उससे निपटने की स्थिति में हैं।'