विज्ञापन
This Article is From Sep 11, 2016

#मैंऔरमेरीहिन्दी : लोकप्रिय भाषा के रूप में हिन्दी का 'कमबैक'

#मैंऔरमेरीहिन्दी : लोकप्रिय भाषा के रूप में हिन्दी का 'कमबैक'

इसकी पूरी संभावना है कि इस लेख में घुसने से पहले ही आप यह सोच बैठें कि एक तरफ 'हिन्दी-का-कुछ-नहीं-हो-सकता' किस्म की चिंता की जा रही है और दूसरी तरफ 'कमबैक' जैसे शब्द का इस्तेमाल करके हम हिन्दी को 'अशुद्ध' करने पर तुले हैं. लेकिन शायद हिन्दी का वर्तमान स्वरूप कुछ ऐसा ही हो गया है या फिर हमेशा से ही ऐसा था. उर्दू के साथ मिलकर हिन्दी बन गई हिन्दुस्तानी और अब अंग्रेजी के साथ मिलकर हिंग्लिश हो गई है. दरअसल हिन्दी स्वभाव से ही काफी 'मिलनसार' है, कोई उसे मिलाए न मिलाए, वह सबको अपने अंदर मिला लेती है.

----- ----- ----- ----- ----- यह भी पढ़ें ----- ----- ----- ----- -----

* यह हिन्दी क्विज़ खेलिए और जांचिए, कितनी हिन्दी जानते हैं आप...
* जब अंडर सेक्रेटरी को मज़ाक में कहते थे 'नीच सचिव'...
* शुक्रिया डोरेमॉन... हम हैरान हैं, बच्चे को इतनी अच्छी हिन्दी आई कैसे...'
* क्या अवचेतन की भाषा को भुला बैठे हैं हम
* इस तरह हिन्दी भारत की राष्ट्रीय भाषा बनते बनते रह गई

----- ----- ----- ----- -----  ----- ----- ----- ----- ----- ----- -----

जहां तक हिन्दी के 'कमबैक' की बात है, यह सवाल उठना जायज़ है कि हिन्दी गई कहां थी. लेकिन अगर हम गौर फरमाए तो 'कमबैक' को अक्सर तब उपयोग में लाया जाता है, जब कोई धमाकेदार तरीके से वापसी करता है, जो गया तो कहीं नहीं था, लेकिन कुछ ऐसा भी नहीं कर रहा था कि चर्चा में आए. ऐसा ही कुछ हिन्दी के साथ हो रहा है, आलोचकों का कहना है कि यह सुप्त अवस्था में पड़ी हुई थी. वैसे तो हिन्दी से हम कभी दूर हुए ही नहीं थे, लेकिन मौजूदा वक्त में जिस तरह और जिन लोगों द्वारा हिन्दी का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसने युवाओं के बीच हिन्दी को 'कूल' बना दिया है. साहित्य, सिनेमा, विज्ञापनों में हिन्दी पहले भी थी, लेकिन धीरे-धीरे उसे अंग्रेजी के तड़के के बगैर, एकदम देसी लिबास में पसंद किया जा रहा है.


शेखर बताते हैं कि किस तरह 'तनु वेड्स मनु' का गीत 'ऐ रंगरेज़ मेरे' शायद कभी श्रोताओं तक पहुंच ही नहीं पाता. वह कहते हैं 'रंगरेज़ को फिल्म से निकालने की पूरी तैयारी हो चुकी थी, क्योंकि बहुत लोगों को लगता है कि उन्हें पता है कि दर्शकों और श्रोताओं को क्या चाहिए. लेकिन फिल्म के निर्देशक आनंद राय अड़ गए कि यह गाना कहीं नहीं जाएगा. गानों को कई बार ओपनिंग के नज़रिये से भी आंका जाता है, लेकिन बात यही है कि खाने में अगर सिर्फ अचार होगा तो वह खाना नहीं कहलाएगा न...'

शेखर के मुताबिक वह खुशनसीब हैं कि उन्होंने जिन किरदारों के लिए गीत लिखे, वह काफी दिलचस्प थे. अगर यही गीत किसी शहरी लड़के या लड़की के लिए लिखने होते तो शायद उन्हें भी 'पुंगी बजाकर' लिखना पड़ता. 'बेसिर-पैर' की तोहमत झेल रहे गानों के लिए शेखर का कहना है कि संगीत कमाई का एक बहुत बड़ा साधन है, कॉलर ट्यून और कई सारी चीज़ों से कमाई होती है. ऐसे में संगीत कंपनियों में भी काफी अफरातफरी रहती है, सब चाहते हैं कि जल्दी से पैसे आ जाएं, जल्दी से हिट हो जाएं. हम कितने दिन तक रहेंगे, हम कब तक याद रहेंगे, इसके बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं.'

RajShekhar@Facebook

वैसे फिल्मी गीतों से अलग राजशेखर और उनके मित्र गिटारिस्ट स्वरूपनाथ भात्रा ने ‘मजनूं का टीला’ नाम का एक अड्डा शुरू किया है जिसमें राज अपनी और अन्य कवियों की कविताओं को संगीत के नोट्स के साथ मिलाकर प्रस्तुति देते हैं. इससे जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए राज कहते हैं कि 'मजनूं का टीला का सबसे अच्छा रिस्पॉन्स मुझे वहां से मिला जहां मैंने उम्मीद ही नहीं की थी. साउथ मुंबई. यही नहीं बैंगलुरू के दर्शकों के बीच कुछ अपरिचित और देशज शब्दों के होते हुए भी मैं उन तक अपनी बता पहुंचा पाया.'

एक तरफ हिन्दी को लेकर स्यापे किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ 'हिन्दी रिटर्न्स' का जश्न मनाया जा रहा है. तो क्या उम्मीद की जा सकती है कि यह नए पैकेज वाली हिन्दी अब कहीं नहीं जा रही है...

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
हिंदी, हिन्दी दिवस, हिन्दी, हिंदी दिवस, राजशेखर, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स, Hindi, Hindi Diwas, Raj Shekhar, Tanu Weds Manu Returns
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com