डेविड कोलमैन हेडली (फाइल फोटो)
मुंबई:
अमूमन माना ये जाता है कि ज़रूरतमंद लोग पैसों के लिए आतंकी संगठन से जुड़ जाते हैं। लेकिन डेविड हेडली के मामले में स्थिति ठीक उल्टी है। 26/11 आतंकी हमले में माफी का गवाह बन चुके हेडली ने आतंकी संगठन लस्कर-ए-तयबा को रुपए देने का दावा कर सबकों चौंका दिया।
मौका था 26/11 के ही आरोपी अबू जुंदाल के खिलाफ चल रहे मुकदमे मे गवाही का। अदालत में जब जुंदाल के वकील ने जब बार-बार ये सवाल किया कि आतंकी संगठन लस्कर-ए-तयबा से कितने रुपये मिले थे। तो विफरते हुए हेडली ने कहा कि उसे रुपये मिले नहीं है बल्कि उसने खुद लश्कर को 60 से 70 लाख रुपये दान दिये थे।
जुंदाल के वक़ील ने हेडली की पहले की गिरफ्तारियां, उसकी सरकारी गवाह बनने की नीति और बाद में नियमों को तोड़ने की बात कोर्ट के सामने पेश की। कुल मिलाकर बचाव पक्ष ने अपने सवालों के ज़रिये हेडली के आपराधिक इतिहास और उसके दोहरे चरित्र को सामने लाने को कोशिश की, ताकि यह साबित हो सके कि हेडली के खुलासों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता।
विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम इस पर सफ़ाई देते हुए नज़र आये। निकम के मुताबिक हेडली अपराधी था तभी तो 26/11 के आतंकी हमले में मदद की। अदालत में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष में खासी नोंक झोंक भी हुई। यह मामला तब और गर्म हो गया जब हेडली ने अपनी पत्नी से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब देने से साफ़ इंकार कर दिया। यूं तो हेडली माफ़ी का गवाह है लेकिन उसका तल्ख़ रवैया कुछ और ही कह रहा है। अदालत ने भी इस बात को नोटिस किया और हेडली को टोका भी।
मौका था 26/11 के ही आरोपी अबू जुंदाल के खिलाफ चल रहे मुकदमे मे गवाही का। अदालत में जब जुंदाल के वकील ने जब बार-बार ये सवाल किया कि आतंकी संगठन लस्कर-ए-तयबा से कितने रुपये मिले थे। तो विफरते हुए हेडली ने कहा कि उसे रुपये मिले नहीं है बल्कि उसने खुद लश्कर को 60 से 70 लाख रुपये दान दिये थे।
जुंदाल के वक़ील ने हेडली की पहले की गिरफ्तारियां, उसकी सरकारी गवाह बनने की नीति और बाद में नियमों को तोड़ने की बात कोर्ट के सामने पेश की। कुल मिलाकर बचाव पक्ष ने अपने सवालों के ज़रिये हेडली के आपराधिक इतिहास और उसके दोहरे चरित्र को सामने लाने को कोशिश की, ताकि यह साबित हो सके कि हेडली के खुलासों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता।
विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम इस पर सफ़ाई देते हुए नज़र आये। निकम के मुताबिक हेडली अपराधी था तभी तो 26/11 के आतंकी हमले में मदद की। अदालत में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष में खासी नोंक झोंक भी हुई। यह मामला तब और गर्म हो गया जब हेडली ने अपनी पत्नी से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब देने से साफ़ इंकार कर दिया। यूं तो हेडली माफ़ी का गवाह है लेकिन उसका तल्ख़ रवैया कुछ और ही कह रहा है। अदालत ने भी इस बात को नोटिस किया और हेडली को टोका भी।
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