जयपुर:
राजस्थान में आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे गुर्जरों से रेल ट्रैक खाली करवाने के लिए बीएसएफ की 18 कंपनियां भेजी जा रही हैं।। ट्रैक पर पिछले आठ दिनों से गुर्जर प्रदर्शनकारियों ने कब्ज़ा कर रखा है। राजस्थान सरकार के अनुरोध पर बीएसएफ़ की टीम भेजी जा रही है। वहीं गुर्जर नेताओं के साथ बैठक लगातार टल रही है। हो सकता है अब बैठक 5 बजे हो।
उधर, राजस्थान हाईकोर्ट ने एक भी गुर्जर प्रदर्शकारी को गिरफ्तार नहीं कर पाने और ‘अलोकतांत्रिक’ प्रदर्शन से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति देने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की आज खिंचाई की।
गुर्जरों के विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्य में सड़क एवं रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं, जिसके कारण आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि वे सभी सड़कों और रेल मार्गों से अवरोध हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें। अदालत ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कल तक शपथ पत्र जमा करके यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
अदालत ने उनसे कहा कि वे गुर्जरों के विरोध-प्रदर्शन के कारण निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी मुहैया कराएं। गुर्जर सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
अदालत की एकल पीठ ने कहा, आप (मुख्य सचिव और डीजीपी) नौकरशाही और कानून व्यवस्था तंत्र के प्रमुख होने के नाते गुर्जर प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक वार्ता के केवल दर्शक बने रहने के लिए बाध्य नहीं हैं।
न्यायमूर्ति आरएस राठौड़ ने कहा, हम इन अलोकतांत्रिक प्रदर्शनों से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसा प्रतीत होता है कि आप दोनों आम लोगों की मुश्किलों को लेकर संवेदनहीन हो गए हैं। हम स्पष्ट शब्दों में आपसे यह कह रहे हैं कि अदालत यह देखना चाहती है कि अवरोधकों को आज तत्काल हटाया जाए और रेल पथ एवं राजमार्ग को रातभर आवाजाही के लिए साफ किया जाए और जब हम यह कह रहे हैं तो हमें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह आदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के उल्लंघन को लेकर कर्नल किरोड़ी एस बैंसला समेत गुर्जर नेताओं के खिलाफ 2008 से लंबित अवमानना याचिका के संबंध में आया है।
कोटा मंडल में रेल विभाग के डीआरएम और रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी अदालत में मौजूद थे।
अदालत ने प्रभावित इलाकों में प्रदर्शनकारियों को रेल पटरियों से फिश प्लेट हटाने से रोकने में आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की निष्क्रियता पर भी नाखुशी जताई। इसके कारण दिल्ली और जयपुर के बीच रेल यातायात बाधित हो गया है।
न्यायमूर्ति राठौड़ ने कहा, राज्य प्रशासन ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए कड़े प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन एक भी नामजद व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया है और न ही जांच शुरू की गई है।
इससे पूर्व गुर्जर नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को चौथे दौर की बातचीत में भी समाधान नहीं निकला।
तीन सदस्यीय मंत्रिमंडल उप समिति के सदस्य संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड ने चौथे दौर की बातचीत समाप्त होने के बाद गुर्जर आन्दोलनकारियों की मांग को सिरे से खारिज करते हुए दो टूक में कहा, पचास फीसदी के भीतर गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने से सामाजिक समरसता को नुकसान पंहुच सकता है। सरकार को उम्मीद है कि गुर्जर आन्दोलनकारी मसौदे पर विचार करने के बाद अगले दौर की बातचीत करेंगे। तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उप समिति में संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड ,सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा अरूण चतुर्वेदी और खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री हेम सिंह भडाना शामिल हैं।
राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता और सरकार से बातचीत में शामिल हिम्मत सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा चौथे दौर की बातचीत के दौरान दिए गए मसौदे पर सहमत नहीं हैं, हमें पचास प्रतिशत आरक्षण के दायरे में ही पांच प्रतिशत आरक्षण चाहिए।
गौरतलब है कि राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति मौजूदा समय पचास प्रतिशत आरक्षण के दायरे में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रही है। वर्तमान में गुर्जरों को पचास प्रतिशत के दायरे में एक प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है और उनकी मांग है कि इसे पांच प्रतिशत किया जाए। बाकी बचे चार प्रतिशत आरक्षण देने का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
उधर, राजस्थान हाईकोर्ट ने एक भी गुर्जर प्रदर्शकारी को गिरफ्तार नहीं कर पाने और ‘अलोकतांत्रिक’ प्रदर्शन से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति देने को लेकर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की आज खिंचाई की।
गुर्जरों के विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्य में सड़क एवं रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं, जिसके कारण आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि वे सभी सड़कों और रेल मार्गों से अवरोध हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें। अदालत ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कल तक शपथ पत्र जमा करके यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
अदालत ने उनसे कहा कि वे गुर्जरों के विरोध-प्रदर्शन के कारण निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी मुहैया कराएं। गुर्जर सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
अदालत की एकल पीठ ने कहा, आप (मुख्य सचिव और डीजीपी) नौकरशाही और कानून व्यवस्था तंत्र के प्रमुख होने के नाते गुर्जर प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक वार्ता के केवल दर्शक बने रहने के लिए बाध्य नहीं हैं।
न्यायमूर्ति आरएस राठौड़ ने कहा, हम इन अलोकतांत्रिक प्रदर्शनों से लोगों को मुश्किल में डालने की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसा प्रतीत होता है कि आप दोनों आम लोगों की मुश्किलों को लेकर संवेदनहीन हो गए हैं। हम स्पष्ट शब्दों में आपसे यह कह रहे हैं कि अदालत यह देखना चाहती है कि अवरोधकों को आज तत्काल हटाया जाए और रेल पथ एवं राजमार्ग को रातभर आवाजाही के लिए साफ किया जाए और जब हम यह कह रहे हैं तो हमें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह आदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के उल्लंघन को लेकर कर्नल किरोड़ी एस बैंसला समेत गुर्जर नेताओं के खिलाफ 2008 से लंबित अवमानना याचिका के संबंध में आया है।
कोटा मंडल में रेल विभाग के डीआरएम और रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी अदालत में मौजूद थे।
अदालत ने प्रभावित इलाकों में प्रदर्शनकारियों को रेल पटरियों से फिश प्लेट हटाने से रोकने में आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा अधिकारी की निष्क्रियता पर भी नाखुशी जताई। इसके कारण दिल्ली और जयपुर के बीच रेल यातायात बाधित हो गया है।
न्यायमूर्ति राठौड़ ने कहा, राज्य प्रशासन ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए कड़े प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन एक भी नामजद व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया है और न ही जांच शुरू की गई है।
इससे पूर्व गुर्जर नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को चौथे दौर की बातचीत में भी समाधान नहीं निकला।
तीन सदस्यीय मंत्रिमंडल उप समिति के सदस्य संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड ने चौथे दौर की बातचीत समाप्त होने के बाद गुर्जर आन्दोलनकारियों की मांग को सिरे से खारिज करते हुए दो टूक में कहा, पचास फीसदी के भीतर गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने से सामाजिक समरसता को नुकसान पंहुच सकता है। सरकार को उम्मीद है कि गुर्जर आन्दोलनकारी मसौदे पर विचार करने के बाद अगले दौर की बातचीत करेंगे। तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उप समिति में संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड ,सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा अरूण चतुर्वेदी और खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री हेम सिंह भडाना शामिल हैं।
राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता और सरकार से बातचीत में शामिल हिम्मत सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा चौथे दौर की बातचीत के दौरान दिए गए मसौदे पर सहमत नहीं हैं, हमें पचास प्रतिशत आरक्षण के दायरे में ही पांच प्रतिशत आरक्षण चाहिए।
गौरतलब है कि राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति मौजूदा समय पचास प्रतिशत आरक्षण के दायरे में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रही है। वर्तमान में गुर्जरों को पचास प्रतिशत के दायरे में एक प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है और उनकी मांग है कि इसे पांच प्रतिशत किया जाए। बाकी बचे चार प्रतिशत आरक्षण देने का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
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