नई दिल्ली:
अंग्रेजी को अधिक महत्व देने सहित विभिन्न मुद्दों पर छात्रों एवं राजनीतिक दलों के भारी विरोध के चलते सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा से जुड़ी नई अधिसूचना में सुधार करते हुए छात्रों को पहले की तरह संविधान की आठवीं अनुसूची में से एक क्षेत्रीय भाषा या अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देने की अनुमति प्रदान कर दी है।
कई सांसदों ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी को अधिक महत्व दिए जाने का विषय उठाया था और छात्रों के एक वर्ग ने इसका कड़ा विरोध किया था।
परीक्षा प्रणाली की नई अधिसूचना में कुछ सुधार करते हुए निबंध पत्र में अंग्रेजी के प्रावधान को हटा लिया गया है जिसे पहले 100 अंकों का किया गया था।
कार्मिक एवं लोक शिकायत राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने लोकसभा और राज्यसभा में आज इस संबंध में एक बयान सदन में दिया।
बयान में कहा गया है कि सरकार ने विभिन्न संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर परीक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन करने का फैसला किया है। इसके तहत पुरानी व्यवस्था को बहाल रखा गया है जिसमें उम्मीदवार को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किसी भी क्षेत्रीय भाषा या अंग्रेजी को परीक्षा देने के माध्यम के रूप में अपनाने का अधिकार है।
संबंधित क्षेत्रीय भाषा में कम से कम 25 उम्मीदवारों की अनिवार्यता की शर्त और स्नातक स्तर की परीक्षा में उस भाषा के परीक्षा का माध्यम होने की जरूरत को भी हटा दिया गया है। इसमें अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए किसी भी आधुनिक भारतीय भाषा और अंग्रेजी में 300-300 अंकों के दो पेपरों को बहाल रखा जाएगा जो क्वालिफाइंग प्रकृति का होगा।
सरकार ने इस मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा भारी हंगामा किए जाने के कारण 15 मार्च को सदन में ऐलान किया था कि वह यूपीएससी की नई अधिसूचित परीक्षा पद्धति के कुछ पहलुओं की समीक्षा करेगी।
बयान में बताया गया है कि सरकार ने सदस्यों द्वारा जताई गई चिंताओं और इस संबंध में मिले प्रतिवेदनों का अध्ययन करने के बाद विभिन्न संबंधित एजेंसियों से सलाह मशविरा कर ये बदलाव करने का फैसला किया है।
कई सांसदों ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी को अधिक महत्व दिए जाने का विषय उठाया था और छात्रों के एक वर्ग ने इसका कड़ा विरोध किया था।
परीक्षा प्रणाली की नई अधिसूचना में कुछ सुधार करते हुए निबंध पत्र में अंग्रेजी के प्रावधान को हटा लिया गया है जिसे पहले 100 अंकों का किया गया था।
कार्मिक एवं लोक शिकायत राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने लोकसभा और राज्यसभा में आज इस संबंध में एक बयान सदन में दिया।
बयान में कहा गया है कि सरकार ने विभिन्न संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर परीक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन करने का फैसला किया है। इसके तहत पुरानी व्यवस्था को बहाल रखा गया है जिसमें उम्मीदवार को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किसी भी क्षेत्रीय भाषा या अंग्रेजी को परीक्षा देने के माध्यम के रूप में अपनाने का अधिकार है।
संबंधित क्षेत्रीय भाषा में कम से कम 25 उम्मीदवारों की अनिवार्यता की शर्त और स्नातक स्तर की परीक्षा में उस भाषा के परीक्षा का माध्यम होने की जरूरत को भी हटा दिया गया है। इसमें अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए किसी भी आधुनिक भारतीय भाषा और अंग्रेजी में 300-300 अंकों के दो पेपरों को बहाल रखा जाएगा जो क्वालिफाइंग प्रकृति का होगा।
सरकार ने इस मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा भारी हंगामा किए जाने के कारण 15 मार्च को सदन में ऐलान किया था कि वह यूपीएससी की नई अधिसूचित परीक्षा पद्धति के कुछ पहलुओं की समीक्षा करेगी।
बयान में बताया गया है कि सरकार ने सदस्यों द्वारा जताई गई चिंताओं और इस संबंध में मिले प्रतिवेदनों का अध्ययन करने के बाद विभिन्न संबंधित एजेंसियों से सलाह मशविरा कर ये बदलाव करने का फैसला किया है।
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