
केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पेश किया। इसके बाद नाराज विपक्ष ने वॉक आउट किया।
इससे पहले, सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और विपक्ष ने सरकार पर संसद की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने इसे खारिज कर दिया।
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, "हमने नोटिस दिया है। पूरा देश अध्यादेश का विरोध कर रहा है, दिल्ली में प्रदर्शन हो रहे हैं।"
राज्यसभा के उपसभापति पी.जे.कुरियन ने सदस्यों से अपील की कि अध्यादेश पर विधेयक सदन में पेश होने के बाद वे इस पर चर्चा करें।
उन्होंने कहा, "विधेयक अध्यादेश का स्थान लेगा। जब विधेयक पेश होगा, तब आप चर्चा कर सकते हैं।"
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सरकार पर संसद की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
शर्मा ने कहा, "हमने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। यह मामला इतना गंभीर है कि इसके लिए कार्यवाही स्थगित की जानी चाहिए। संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुके इस विधेयक में किया गया संशोधन किसानों के हितों के खिलाफ है।"
उन्होंने कहा, "हम वैधानिक समीक्षा के संसद के अधिकार की अवहेलना करते हुए अध्यादेश के माध्यम से सरकार चलाने को स्वीकार नहीं करेंगे।"
केंद्रीय वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि यह कहना अनुचित है कि सरकार संसद की उपेक्षा कर रही है।
जेटली ने कहा, "कोई भी कानून सदन की उपेक्षा नहीं कर सकता। मेरे मित्र को 636 अध्यादेशों को याद रखना चाहिए, जिसमें से 80 फीसदी आनंद शर्मा की पार्टी की सरकार में आए थे।"
वित्त मंत्री ने कहा, "भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में 70 अध्यादेश लाए गए थे। जब मेरे कम्युनिस्ट मित्रों की संयुक्त मोर्चा सरकार थी, तब 18 महीने में 77 अध्यादेश लाए गए। इसलिए संसद की उपेक्षा की बात करना अनुचित है।"
कांग्रेस नेता शर्मा ने हालांकि, यह दलील दी कि संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान लाया गया अध्यादेश जनता के अनुकूल था।
जब ऐसा लगा कि कुरियन सदस्यों के सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने देने को लेकर तैयार हो गए, तब जेटली ने कहा कि विधेयक पेश होने के बाद ही चर्चा कराई जानी चाहिए।
कुरियन ने कहा, "सदन में विधेयक आ रहा है या नहीं यह सिर्फ पूर्वानुमान है। सदन के नेता ने दूसरे सदन में कहा, यह हो सकता है, लेकिन इस सदन के अध्यक्ष को इसकी जानकारी नहीं है। इसलिए इस चर्चा में कोई हानि नहीं है।"
उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ शून्यकाल का वक्त दे रहा हूं।"
इसके बाद सदन के सदस्यों को मुद्दे पर बोलने की इजाजत दी गई।वहीं, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और जेडीयू ने बिल को किसान विरोधी बताया है।
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने संसद में कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में सामाजिक जिम्मेदारी का हिस्सा ही हटा दिया गया है।
राज्यसभा में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसानों के हित में नहीं है।
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