सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से अरुण शौरी और प्रशांत भूषण पिछले मिले थे.
नई दिल्ली:
समझा जाता है कि सरकार सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण से मुलाकात करने से अप्रसन्न है और सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एजेंसी प्रमुख का नेताओं से मुलाकात करना ‘‘असामान्य’’ बात है. शौरी और प्रशांत भूषण पिछले हफ्ते सीबीआई निदेशक से मिले थे. दोनों ने उन्हें दस्तावेज सौंपे और राफेल सौदे तथा ऑफसेट करार में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग की. अधिकारी ने कहा, "शायद यह पहला मौका था जब नेताओं ने सीबीआई निदेशक से उनके कार्यालय में मुलाकात की. ऐसी मुलाकात असामन्य है.’’ इससे संकेत मिलता है कि सरकार को मुलाकात अच्छी नहीं लगी। अपनी बात पर जोर देते हुए अधिकारी ने दावा किया कि सामान्य परिस्थितियों में जब कोई नेता सीबीआई प्रमुख से मुलाकात के लिए समय मांगते हैं तो उन्हें एजेंसी मुख्यालय के स्वागत कक्ष (रिेसेप्शन) में शिकायतें या अन्य दस्तावेज सौंपने की सलाह दी जाती है.
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अधिकारी ने ब्यौरा दिए बिना यह भी कहा कि कुछ सरकारी अधिकारी "उपद्रवी" हो गए हैं और वे आपस में तीखी तकरार कर रहे हैं. यदि इस तरह की लड़ाई जारी रहती है तो संबंधित संगठनों को नुकसान होगा. सीबीआई निदेशक का कार्यकाल अगले साल जनवरी तक है और वह एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ विवाद में उलझे हुए हैं. दोनों पक्ष सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं. संगठन के 77 साल के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया. शौरी मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं वहीं प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता हैं.
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अपनी मुलाकात में शौरी और भूषण ने सीबीआई निदेशक से कहा कि कानून के अनुसार जांच शुरू करने के लिए सरकार की अनुमति लें. उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल विमान के लिए ऑफ़सेट करार वास्तव में अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह की एक कंपनी के लिए कमीशन था. राफेल की निर्माता फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन ने करार के ऑफसेट दायित्वों को पूरा करने के लिए रिलायंस डिफेंस को साथी चुना है.
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भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार का कहना है कि दसाल्ट द्वारा ऑफ़सेट सहयोगी के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं है.
(इनपुट भाषा से)
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अधिकारी ने ब्यौरा दिए बिना यह भी कहा कि कुछ सरकारी अधिकारी "उपद्रवी" हो गए हैं और वे आपस में तीखी तकरार कर रहे हैं. यदि इस तरह की लड़ाई जारी रहती है तो संबंधित संगठनों को नुकसान होगा. सीबीआई निदेशक का कार्यकाल अगले साल जनवरी तक है और वह एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ विवाद में उलझे हुए हैं. दोनों पक्ष सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं. संगठन के 77 साल के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया. शौरी मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं वहीं प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता हैं.
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अपनी मुलाकात में शौरी और भूषण ने सीबीआई निदेशक से कहा कि कानून के अनुसार जांच शुरू करने के लिए सरकार की अनुमति लें. उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल विमान के लिए ऑफ़सेट करार वास्तव में अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह की एक कंपनी के लिए कमीशन था. राफेल की निर्माता फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन ने करार के ऑफसेट दायित्वों को पूरा करने के लिए रिलायंस डिफेंस को साथी चुना है.
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भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार का कहना है कि दसाल्ट द्वारा ऑफ़सेट सहयोगी के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं है.
(इनपुट भाषा से)
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