जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर आ रही है कि सरकार अगले दो दिनों में वन रैंक-वन पेंशन का ऐलान कर देगी। इसके लिए मसौदा समझौता भी तैयार कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार के ड्राफ़्ट में हर पांच में पेंशन की समीक्षा की बात है, लेकिन पूर्व सैनिकों का कहना है कि ये ड्राफ़्ट इकतरफ़ा है और इसमें पूर्व सैनिकों की सहमति नहीं है।
उधर, वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर जंतर मंतर पर पूर्व सैनिकों का प्रदर्शन जारी है। आज पूर्व सैनिकों ने कहा उन्होंने कहा है कि सरकार एक साल में पेंशन की समीक्षा को तैयार नहीं हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो ये वन रैंक-वन पेंशन नहीं होगा। हालाकि उन्होंने कहा कि वो दो साल में समीक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन तीन साल या पांच साल मानने का कोई सवाल ही नहीं है। वहीं पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार का कहना है कि थोड़े पैसे बचाने हैं, इसलिए अगर वो वन रैंक-वन पेंशन को एक जून 2014 से लागू करती है तो भी उन्हें एेतराज़ नहीं होगा। पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार से बातचीत हुई है और वो चाहते हैं कि मीडिया भी उनकी बात सरकार तक पहुंचा दे।
दरअसल, रैंक-वन पेंशन के मुद्दे के जल्द सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं। सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति बनने की खबर के बीच गुरुवार को जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि अभी उन लोगों ने सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं माना है और सरकार द्वारा खर्च का दिया गया आंकड़ा सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि 'सरकार पेंशन के लिए जो आठ हज़ार करोड़ के खर्च की बात कर रही है वो सही नहीं है। हमने हर साल 3 फीसदी बढ़ोतरी की मांग नहीं की है। हम तीन फीसदी बढ़ोतरी की मांग नहीं कर रहे। सिर्फ समय-समय पर रिव्यू की मांग है।' उन्होंने आगे कहा, वन रैंक-वन पेंशन हमारी मांग नहीं बल्कि हमारा हक़ है।
दरअसल, पहले कहा जा रहा था कि वन रैंक-वन पेंशन पर सरकार की ओर से जल्द ही कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है, क्योंकि सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच पेंशन के फॉर्मुले को लेकर सहमति बन गई है। दोनों पक्षों के बीच बीते बुधवार को हुई बैठक के बाद इसकी जानकारी दी गई। बताया जा रहा था कि पूर्व सैनिक हर साल की बजाए दो साल में पेंशन में रिविज़न पर राजी हो गए हैं।
उधर, वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर जंतर मंतर पर पूर्व सैनिकों का प्रदर्शन जारी है। आज पूर्व सैनिकों ने कहा उन्होंने कहा है कि सरकार एक साल में पेंशन की समीक्षा को तैयार नहीं हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो ये वन रैंक-वन पेंशन नहीं होगा। हालाकि उन्होंने कहा कि वो दो साल में समीक्षा के लिए तैयार हैं, लेकिन तीन साल या पांच साल मानने का कोई सवाल ही नहीं है। वहीं पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार का कहना है कि थोड़े पैसे बचाने हैं, इसलिए अगर वो वन रैंक-वन पेंशन को एक जून 2014 से लागू करती है तो भी उन्हें एेतराज़ नहीं होगा। पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार से बातचीत हुई है और वो चाहते हैं कि मीडिया भी उनकी बात सरकार तक पहुंचा दे।
दरअसल, रैंक-वन पेंशन के मुद्दे के जल्द सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं। सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति बनने की खबर के बीच गुरुवार को जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि अभी उन लोगों ने सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं माना है और सरकार द्वारा खर्च का दिया गया आंकड़ा सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि 'सरकार पेंशन के लिए जो आठ हज़ार करोड़ के खर्च की बात कर रही है वो सही नहीं है। हमने हर साल 3 फीसदी बढ़ोतरी की मांग नहीं की है। हम तीन फीसदी बढ़ोतरी की मांग नहीं कर रहे। सिर्फ समय-समय पर रिव्यू की मांग है।' उन्होंने आगे कहा, वन रैंक-वन पेंशन हमारी मांग नहीं बल्कि हमारा हक़ है।
दरअसल, पहले कहा जा रहा था कि वन रैंक-वन पेंशन पर सरकार की ओर से जल्द ही कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है, क्योंकि सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच पेंशन के फॉर्मुले को लेकर सहमति बन गई है। दोनों पक्षों के बीच बीते बुधवार को हुई बैठक के बाद इसकी जानकारी दी गई। बताया जा रहा था कि पूर्व सैनिक हर साल की बजाए दो साल में पेंशन में रिविज़न पर राजी हो गए हैं।
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