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This Article is From Aug 20, 2013

खाद्य सुरक्षा बिल में अहम संशोधन को सरकार तैयार : सूत्र

खाद्य सुरक्षा योजना के शुभारंभ के मौके पर सोनिया गांधी

नई दिल्ली: विपक्षी पार्टियों के दबाव में सरकार ने खाद्य सुरक्षा बिल से खाद्य सुरक्षा भत्ता का प्रावधान हटाने का फैसला किया है, यानि सरकार जिन इलाकों में फूड सिक्योरिटी बिल के तहत सस्ता अनाज मुहैया नहीं करा पाएगी, वहां कैश ट्रांसफर सब्सिडी का प्रावधान हटाने का फैसला किया गया है।

खाद्य सुरक्षा बिल के पांचवें अध्याय में इसका प्रावधान है। सरकार का यह फैसला काफी अहम है क्योंकि सभी पार्टियां इसका विरोध कर रही थी। इसके अलावा भी सरकार इस बिल में कुछ संशोधनों के लिए राजी हो गई है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार ने कानून पर अमल के लिए राज्यों को छह महीने की जगह सालभर का वक़्त देने का फ़ैसला किया है।
दूसरी बात यह कि जो राज्य पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं जैसे तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ या केरल − उनके कोटे में कोई कमी नहीं की जाएगी।

तीसरी बात यह कि आंगनबाड़ी योजना से ठेकेदारों को बाहर किया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार इन फ़ैसलों की मार्फ़त कुछ विपक्षी दलों को साथ लेने में कामयाब होगी।

इससे पहले विपक्ष के हंगामे की वजह से आज भी खाद्य सुरक्षा बिल पर तय चर्चा टल गई। बिल के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। मॉनसून सत्र का आधा से ज़्यादा समय निकल चुका है, जबकि पार्टियां इसके फायदे और नुकसान ही तौलने में लगी हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना और सोनिया गांधी के पसंदीदा कार्यक्रम पर सरकार मंगलवार को भी संसद में चर्चा नहीं करा पाई। हंगामे की वजह से अब इसे गुरुवार को लाने की तैयारी है।

कांग्रेस प्रवक्ता राजीव शुक्ला का कहना है कि बिल पास करा लेंगे हमें भरोसा है। सरकार के इस भरोसे के बावजूद योजना सवालों से घिरी है।

बीजेपी पूछ रही है कि तमाम तरह के घाटों से जूझ रही सरकार इतनी बड़ी योजना के लिए पैसा कहां से लाएगी। मौजूदा खस्ता हालत ने इस सवाल को बहुत महत्त्वपूर्ण बना दिया है।

कांग्रेस का कहना है इस योजना की वजह से ज्यादा बोझ नहीं पड़ने वाला। फिलहाल सरकार खाने पर 90 हजार करोड़ की सब्सिडी दे ही रही है, खाद्य सुरक्षा बिल पर सालाना क़रीब सवाल लाख करोड़ के ख़र्च का अंदाज़ा है। यानी सरकार को क़रीब 35000 करोड़ के अतिरिक्त ख़र्च का इंतज़ाम करना होगा।

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