महाराष्ट्र सरकार कोरोना काल में कोविड मरीजों (Covid-19 Virus) साथ आर्थिक, सामाजिक कारणों से परेशान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य (Covid Mental Health) पर भी ध्यान दे रही है. दरअसल, मुंबई में मानसिक तनाव के मामले बढ़ रहे हैं. अकेलेपन औऱ अन्य वजहों से उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है. इसको देखते हुए बीएमसी ने आईकॉल' हेल्पलाइन सेवा का आगाज किया है.बीएमसी एडिशनल कमिश्नर सुरेश ककानी ने कहा कि हेल्पलाइन के जरिये लोगों की काउंसिलिंग के साथ उनकी आर्थिक स्थिति जानने का प्रयास किया जा रहा है. इसलिए हेल्पलाइन (Helpline) शुरू कर रही है.
आईसीयू और आईसोलेशन वाले कुल 16,500 से अधिक मरीज़ों को लाभ पहुंचाते हुए वॉर्ड में इनके लिए स्मार्ट फ़ोन और टैबलेट के इंतज़ाम हुए ताकि ये अपनों से वीडियो कॉल या बात कर अकेला महसूस ना करें. बताया जा रहा है कि, कोविड बीमारी के दौरान मरीज काफी मानसिक दबाव महसूस करता है, जिससे उसमें सुधार देरी से होता है, या फिर तबियत और बिगड़ती है. मानसिक तनाव से इम्यूनिटी कम होती है, लोगों में कोविड का ख़तरा बढ़ता है इसलिए बीएमसी ने अब TISS के साथ मिलकर ‘आईकॉल' हेल्पलाइन भी जारी की है ताकि लोगों की काउंसिलिंग हो सके. हेल्पलाइन की M वार्ड से शुरुआत हुई है. फिर पूरे शहर में जारी करेंगे. इस हेल्पलाइन के माध्यम से हम इस एक इलाक़े के क़रीब 60,000 घरों तक पहुंचेंगे. उनका जीवन कैसा है, हालत कैसी है, मानसिक स्थिति कैसी है, उनकी आर्थिक परिस्थिति कैसी है इसका आकलन किया जाएगा, शासन और प्रशासन की कल्याणकारी योजनाओं को भी उनके पास पहुंचाने का प्रयास रहेगा.
2-3 महीनों में आत्महत्या या खुदकुशी के प्रयास के केस बढ़े
वोकहार्ट हास्पिटल के साइकाट्रिस्ट डा. सोनल आनंद का कहना है कि महामारी के दौरान आर्थिक तंगी, कोविड का भय, कोविड मरीज़ों में बढ़ा तनाव ऐसे कई कारणों से शहर के मनोचिकित्सक बताते हैं की उनके पास इस तनाव के कारण ख़ुद को चोट पहुंचाने के गम्भीर मामले पहुँच रहे हैं. फोर्टिस हीरानंदानी हास्पिटल के साइकाट्रिस्ट डॉ. केदार तिलवे ने कहा कि डिप्रेशन 50% से ज़्यादा बढ़ा है, बीते 2-3 महीनों से काफ़ी केस बढ़े हैं, इसमें 5-10% आत्महत्या के प्रयास के मामले हैं, सामाजिक और आर्थिक की बिगड़ी परिस्थितियों में लोगों पर दबाव बनता नज़र आ रहा है इसकी वजह से निराशा, हताशा, उदासी, पूरा समय स्ट्रेस में रहने की प्रवृत्ति देखी जा रही है.
कोरोना से अपनों को खोने वाले भी जूझ रहे
एलएच हीरानंदानी हॉस्पिटल के डॉ ऑस्टिन फ़र्नांडेस बताते हैं कि एक मामला था, जिसमें कोविड के बाद मरीज़ ठीक नहीं हुआ तो ख़ुदकुशी की कोशिश की, एक और लड़के के मां-बाप की कोविड में जान गई औऱ उसने भी जान देने का प्रयास किया. अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज़ों के साथ साथ उनके रिश्तेदारों, गैर कोविड मरीज़ों, और आम लोगों को भी मानसिक मदद की दरकार है, मौजूदा वक्त की ज़रूरत को समझते हुए बीएमसी, काउंसिलिंग और मानसिक बीमारी की जांच का दायरा बढ़ाने की कोशिश में है. इसके लिए निजी डॉक्टरों की मदद ली जा रही है.
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