विज्ञापन

IMF की नजर अब नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ प्रदर्शनों पर भी, 7 बड़ी बातें

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की जीडीपी में अगर भारतीय अर्थव्यवस्था की भागीदारी की बात करें तो ये काफ़ी अहम है. अगर भारतीय जीडीपी में गिरावट आती है तो इसका असर पूरी दुनिया के आर्थिक विकास पर भी पड़ेगा.

IMF ?? ??? ?? ???????? ????? ?? NRC ?? ????? ?????????? ?? ??, 7 ???? ?????
नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की जीडीपी में अगर भारतीय अर्थव्यवस्था की भागीदारी की बात करें तो ये काफ़ी अहम है. अगर भारतीय जीडीपी में गिरावट आती है तो इसका असर पूरी दुनिया के आर्थिक विकास पर भी पड़ेगा. इसलिए हमनें ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान को भी 0.1 फीसदी कम किया है. जिसका अधिकांश हिस्सा भारत के ग्रोथ रेट में कमी की वजह से है. उन्होंने कहा कि साल 2020 में भारत की विकास दर का अनुमान 4.8% कर दिया है. ये तीन महीने में 1.3% की कटौती है. यही नहीं, आइएमएफ़ ने अगले तीन साल के लिए भारत की विकास दर में कटौती कर दी है. ये भी कहा जा रहा है कि दुनिया भर में जो आर्थिक सुस्ती के आंकड़े हैं, उनमें सबसे बड़ा हिस्सा भारत का है. NDTV से खास बातचीत में उन्होंने एक अहम बात कही है. उन्होंने कहा कि कई देशों में सामाजिक उथल पुथल का असर भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में पड़ रहा है और भारत में चल रहे इस समय CAA और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन पर इसका कितना असर हो रहा है इस पर किए गए सवाल पर भी उन्होंने जवाब दिया.

7 बड़ी बातें

  1. अगर आप साल 2019 की पहली तिमारी में विकास दर देखें तो जो हमने पिछले साल अक्टूबर में अनुमान लगाया था उससे भी कम हैं और अगर आप इन नंबरों को ध्यान रखें तो आप भारत की क्रेडिट ग्रोथ में कमजोरी देखते हैं और इसी के हिसाब से हमारा अनुमान हैं. 
  2. गैर बैंकिग वित्तीय संस्थानों में तनाव के बीच घरेलू मांग में आ रही लगातार गिरावट भारत के विकास दर में कमी देखी जा रही है.
  3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी कमजोरी है. इसके अलावा वित्तीय क्षेत्र में भी तनाव है. खास कर गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों में. 
  4. इसके अलावा क्रेडिट ग्रोथ, बिजनेस सेंटीमेंट में भी गिरावट जहां लोग किसी भी तरह का जोखिम लेने से बचने की कोशिश कर रहे हैं. 
  5. अर्थव्यवस्था में थोड़ी राहत साल 2021 से देखने को मिल सकती है. जहां जीडीपी 6.5 फीसदी तक जा सकती है. जिसमें मौद्रिक और वित्तीय उपायों का योगदान होगा इसके साथ ही तेल की कीमतों में कमी भी एक प्रमुख कारक होगा.
  6. कई देशों में सामाजिक उथल पुथल भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाल रही है. जिसकी वजह से संस्थानों और सरकारी ढांचे में प्रतिनिधित्व के प्रति विश्वास कम हो रहा है.
  7. भारत में इसका इसका कितना असर रहा है. इस पर अप्रैल में महीने में होने वाले मूल्यांकन में देखा जाएगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com