G20 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि, भारत की G20 की अध्यक्षता एक जन-संचालित आंदोलन बन गई है. भारत के नेतृत्व ने विभाजन को पाटने, बाधाओं को खत्म करने और सहयोग के बीज बोने का प्रयास किया है जो एक ऐसी दुनिया का पोषण करता है जहां एकता, कलह पर हावी है.
आज कई अखबारों में प्रकाशित एक लेख में पीएम मोदी ने कहा है- "जी20 अध्यक्ष के रूप में हमने यह सुनिश्चित करते हुए कि हर आवाज सुनी जाए और हर देश योगदान दे, वैश्विक टेबल को बड़ा बनाने का संकल्प लिया था. मैं सकारात्मक हूं कि हमने कार्यों और परिणामों के साथ अपने संकल्प का मिलान किया है."
उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट, जिसमें 125 देशों की भागीदारी देखी गई, में भारत की अध्यक्षता सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक थी. उन्होंने कहा, "हमारी अध्यक्षता में न केवल अफ्रीकी देशों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है, बल्कि हमने अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने पर भी जोर दिया है." लेख में प्रधानमंत्री ने कहा कि एक परस्पर जुड़ी दुनिया का अर्थ है परस्पर जुड़ी चुनौतियां और कई देशों के बीच इस बात पर गहरी चिंता है कि एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) पर प्रगति पटरी से न उतरे.
भारत में प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना प्राचीन काल से आदर्श
उन्होंने कहा कि एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने के लिए जी20, 2023 की कार्ययोजना उन्हें लागू करने की दिशा में जी20 की भविष्य की दिशा को आगे बढ़ाएगी. उन्होंने कहा कि भारत में, प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना प्राचीन काल से एक आदर्श रहा है और यह आधुनिक समय में भी क्लाइमेट एक्शन में अपना योगदान दे रहा है.
हालांकि पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के विभिन्न चरणों में हैं, और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु कार्रवाई एक पूरक लक्ष्य होना चाहिए. उन्होंने कहा, "जलवायु कार्रवाई की महत्वाकांक्षाओं को जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर कार्रवाई के साथ मेल खाना चाहिए."
जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अधिक रचनात्मक दृष्टिकोण की जरूरत
उन्होंने आगे कहा, "हमारा मानना है कि क्या नहीं किया जाना चाहिए के विशुद्ध रूप से प्रतिबंधात्मक रवैये से हटकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए अधिक रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है." उन्होंने कहा 2015 में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन लॉन्च किया गया था और अब भारत के नेतृत्व वाली पहल ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस के माध्यम से दुनिया को एक सर्कुलर इकॉनामी के लाभों के अनुरूप ऊर्जा परिवर्तन में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जलवायु कार्रवाई का लोकतंत्रीकरण आंदोलन को गति प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है. उन्होंने कहा, जिस तरह व्यक्ति अपने दीर्घकालिक स्वास्थ्य के आधार पर दैनिक निर्णय लेते हैं, उसी तरह वे ग्रह के दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर प्रभाव के आधार पर जीवनशैली संबंधी निर्णय ले सकते हैं.
उन्होंने कहा, "जैसे योग कल्याण के लिए एक वैश्विक जन आंदोलन बन गया है, वैसे ही हमने दुनिया को सतत पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LiFE) के साथ प्रेरित किया है."
पीएम मोदी ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा. बाजरा या श्री अन्न, क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसमें मदद कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष में हमने बाजरा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है.“
प्रौद्योगिकी परिवर्तनकारी, इसे समावेशी बनाने की जरूरत
यह कहते हुए कि प्रौद्योगिकी परिवर्तनकारी है, उन्होंने कहा कि इसे समावेशी बनाने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा, "अतीत में तकनीकी प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों को समान रूप से नहीं मिला है. भारत ने पिछले कुछ वर्षों में दिखाया है कि कैसे प्रौद्योगिकी का लाभ असमानताओं को बढ़ाने के बजाय उन्हें कम करने के लिए किया जा सकता है."
उन्होंने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है. यह कोई संयोग नहीं है क्योंकि इसके सरल, स्केलेबल और टिकाऊ समाधानों ने कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों को इसकी विकास गाथा का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है.
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से लेकर खेल, अर्थव्यवस्था से लेकर उद्यमिता तक भारतीय महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व किया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं