
- भारत और ब्रिटेन के बीच ट्रेड डील से 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 120 अरब डॉलर तक पहुंचेगा
- सीआईआई, एसोचैम, फिक्की जैसे उद्योग संगठनों ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की सराहना की
- इस मुक्त व्यापार समझौते से कृषि, समुद्री उत्पाद, कपड़ा-फुटवियर का ब्रिटेन को निर्यात बढ़ेगा
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते से किसानों-मछुआरों और लघु उद्योगों को बड़ा फायदा मिलेगा. भारत के कपड़ा-फुटवियर उद्योगों से लेकर कृषि-समुद्री उत्पादों के लिए ब्रिटेन के बाजार में बड़े अवसर पैदा होंगे. वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि इससे भारत के किसानों को ब्रिटेन के 37.5 अरब डॉलर के कृषि बाजार में प्राथमिकता के आधार पहुंच मिलेगी. जबकि भारत के डेयरी उत्पाद, सब्जी-सेब, खाद्य तेल और ओट्स जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भारत के हितों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया है. भारतीय मछुआरों को बड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि नई ट्रेड डील से ब्रिटेन का 5.4 अरब डॉलर का समुद्री उत्पादों का बाजार भारत से निर्यात के लिए ज्यादा बेहतर बनेगा. समुद्री उत्पादों पर टैरिफ 20 फीसदी से घटकर जीरो फीसदी पर आ जाएगा. इससे श्रम आधारित क्षेत्रों में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे. भारत के टेक्सटाइल-कपड़ा उद्योग में टैरिफ 12 से घटकर शून्य पर आएगा. रसायनों पर 8 फीसदी और बेस मेटल्स पर 10 फीसदी से टैरिफ जीरो लेवल पर आएगा. फूड प्रोसेसिंग पर पहले के 70 फीसदी शुल्क के बजाय अब शून्य शुल्क होगा, इससे ग्रामीण भारत और निर्यातकों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.
भारतीय पेशेवरों को तीन साल छूट
दोहरे अंशदान संधि से भारतीय पेशेवरों या उन्हें ब्रिटेन भेजने वाली कंपनियों को दोनों देशों में पीएफ जैसे दोहरे सामाजिक सुरक्षा योगदान से तीन साल की छूट मिलेगी. इससे ब्रिटेन में करीब 75 हजार भारतीय कामगारों को लाभ मिलेगा. पेशेवर-कलाकार ब्रिटेन के तमाम क्षेत्रों में काम कर पाएंगे. भारत के शेफ-योग शिक्षक और पारंपरिक संगीत से जुड़े संगीतकार ब्रिटेन में अस्थायी तौर पर आसानी से ठहराव कर पाएंगे.
वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद (AEPC) का कहना है कि भारत और ब्रिटेन के बीच टैरिफ कम होने से भारत के वस्त्र उद्योग को बाजार में रियायती पहुंच, निवेश प्रोत्साहन के साथ बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे. परिषद (Apparel Export Promotion Council) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा, यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक एवं आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करेगा. यह ब्रिटेन के साथ वस्त्र परिधानों के व्यापार में नए युग की शुरुआत करेगा. इससे ब्रिटेन के कपड़ा बाजार में भारत की पहुंच मजबूत होगी. इससे भारतीय वस्त्र निर्यातकों की लागत घटेगी. जीरो टैरिफ से ब्रिटेन को वस्त्र निर्यात नई ऊंचाई के स्तर पर पहुंचेगा.
AEPC प्रमुख सेखरी ने कहा, ब्रिटेन दुनिया एक ग्लोबल फैशन हब है और दुनिया में कपड़ों का पांचवां सबसे बड़ा आयातक है. उसने 2024 में करीब 20 अरब डॉलर के गारमेंट्स का आयात किया था. लिहाजा भारत के गारमेंट सेक्टर के लिए ये बड़ा अवसर है. भारत ने 2024 में ब्रिटेन को 1.2 अरब डॉलर के गारमेंट्स निर्यात किए थे और वो उसके चार बड़े सप्लायरों में से एक था.अभी ज्यादा भारतीय गारमेंट उत्पादों पर ब्रिटेन में टैरिफ 9.6 फीसदी है. भारत का ज्यादातर निर्यात कॉटन परिधानों जैसे टीशर्ट, लेडीज ड्रेस और बेबीवियर का है, लेकिन सर्दी के कपड़ों और एमएमएफ गारमेंट में वो प्रतिस्पर्धा में पीछे है.
चांदनी चौक से लेकर कोवेंट गार्डन तक परचम लहराएगा- खंडेलवाल
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने भारत–ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का स्वागत किया है. इसे भारतीय व्यापार के लिए एक निर्णायक उपलब्धि और वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भूमिका की मजबूत मुहर बताया. यह समझौता भारत से ब्रिटेन को निर्यात होने वाले लगभग 99% वस्तुओं को शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है. इसमें वस्त्र, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद और हस्तशिल्प जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं. ये भारत के MSME, कारीगरों और घरेलू उत्पादकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा.
एसोचैम ने कहा, 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होगा
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ASSOCHAM) ने भी एफटीए का स्वागत किया है. एसोचैम के मुताबिक, इस समझौते का मकसद भारत और ब्रिटेन के व्यापार को दोगुना कर 2030 तक 120 अरब डॉलर तक ले जाना है. इसमें 2040 तक 40 अरब डॉलर की अतिरिक्त वृद्धि भी होनी है. एसोचैम अध्यक्ष संजय नायर ने कहा कि इससे व्यापार-निवेश और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा.
फिक्की-सीआईआई ने भी सराहा
फिक्की अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि इस करार से आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को पाने में मदद मिलेगी, घरे उद्योगों को मजबूती मिलेगी और वो वैश्विक स्तर पर ज्यादा बेहतर पहुंच बना पाएंगी. इससे बाजार में हम ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे. फिक्की उपाध्यक्ष अनंत गोयनका ने कहा कि ये समझौता दोनों देशों के लिए एक निर्णायक क्षण है. यह बाजार में ज्यादा व्यापक पहुंच के साथ भारतीय निर्यातकों को स्थिरता प्रदान करेगा.
PHDCCI अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि यह भारत के लघु उद्योगों, मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के लिए अपार संभावनाओं के दरवाजे खोलेगा. भारतीय उद्योग परिसंघ CII ने कहा कि ये द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों में बड़े बदलाव लेकर आएगा. इंडिया-यूके सीईओ फोरम के सह प्रमुख और भारती इंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारतीय मित्तल ने कहा कि समझौते के दौरान यहां कारोबारियों के प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी भारत-ब्रिटेन के आर्थिक रिश्तों में सरकार और उद्योगों के बीच बढ़ते समन्वय को दिखाता है.
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