सोनिया गांधी को खराब तबीयत के चलते एम्स में भर्ती कराया गया।
नई दिल्ली:
लोकसभा ने दी खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकांश आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं।
इधर, सीने में दर्द की शिकायत होने पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को एम्स में दाखिल कराया गया जहां उनकी तबीयत में सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें दवाई के रिएक्शन की वजह से सीने में दर्द की दिक्कत हुई थी।
11,30,000 करोड रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा। इसके लिए 6.2 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और 1 रुपये प्रति किलो के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2.43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को हालांकि 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा।
कुछ राज्यों में इस तरह के उपाय बेहतर होने के बारे में सदस्यों द्वारा व्यक्त राय पर थामस ने कहा कि तमिलनाडु, केरल आदर्श हैं। हर राज्य आदर्श है लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते।
छत्तीसगढ़ में एक विशेष व्यवस्था काम कर सकती है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि वही व्यवस्था तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी काम करे। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद भी उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना जारी रहेगा।
विधेयक पर चर्चा के दौरान व्यक्त आशंकाओं को दूर करते हुए थामस ने कहा कि एमएसपी बंद नहीं किया जाएगा... मंडियों में जो भी अनाज आएगा, उसकी खरीद की जाएगी।
थामस ने कहा कि भंडारण क्षमता 5.50 करोड़ टन से बढ़कर 7.5 करोड टन हो गई जो 2014 15 तक 8.5 करोड़ टन हो जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कमजोर है लेकिन इसे सुधारने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कदम उठाए गए हैं।
थामस ने कहा कि फर्जी राशन कार्ड और लीकेज की समस्या से निपटा जा रहा है और पिछले चार साल में राशन कार्डों की संख्या 22 करोड़ से घटकर 16 करोड़ रह गई है।
इससे पहले, विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के मुरली मनोहर जोशी ने इस विधेयक को वोट सुरक्षा विधेयक’ करार देते हुए कहा कि सरकार एक योजना के तहत कमी’ पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाये रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके। जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनाएगी लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लाई है और ऐसे समय में लाई है जब उसके सत्ता से जाने का समय आ गया है।
नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार अगर विपक्ष के संशोधनो को स्वीकार कर लेती तो यह विधेयक और अच्छा होता लेकिन विपक्ष के संशोधनों को स्वीकार नहीं करने के बावजूद वह इस ‘आधे अधूरे’ विधेयक का समर्थन करती हैं और उस दिन की प्रतीक्षा करेंगे जब भाजपा के सत्ता में लौटने पर इसमें और सुधार किया जाएगा।
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श होने तक इस विधेयक को टाल दिया जाए क्योंकि इससे राज्यों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।
जद (यू) के शरद यादव ने इस विधेयक को एक साहसी कदम बताया लेकिन साथ ही कहा कि गरीबी हटाने के लिए समय समय पर किए गए उपायों का बहुत नतीजा नहीं निकला है क्योंकि हमारा ढांचा ऐसा है कि योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंच ही नहीं पाता।
बसपा के दारा सिंह चौहान ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अगर इस विधेयक के प्रावधानों का लाभ ईमानदारी से गरीबों तक पहुंच जाए तो यह इस विधेयक की बहुत बड़ी सार्थकता होगी। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को दूर किए जाने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताई।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार किसी योजना को लेकर नीतियां बदलती आई है। सर्वशिक्षा अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 2001-02 में केन्द्र की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत और राज्यों की 15 प्रतिशत थी जो इस समय क्रमश: 65 और 35 फीसदी हो गई है। द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि इस विधेयक को लेकर सरकार ने कई वायदे किए थे लेकिन वह अभी भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में देश की आजादी की 67वीं वर्षगांठ मनाई लेकिन अब तक हम गरीबी को दूर करने में विफल रहे हैं।
माकपा के ए संपत ने कहा कि वाजिब कीमत पर खाद्यान्न हासिल करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत केवल चावल और गेहूं ही नहीं बल्कि दाल, चीनी और खाद्य तेल का वितरण भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब जबकि आगामी लोकसभा चुनाव करीब हैं, सरकार इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कराना चाहती है।
बीजद के भृतहरि महताब ने कहा कि देश में गरीबी और भूख की समस्या पहले जैसी ही है। करीब 42 करोड़ जनता हर रात खाली पेट सोती है। उन्होंने अनाज वितरण में प्रति व्यक्ति व्यवस्था को हटाकर प्रति परिवार व्यवस्था को लागू करने की मांग की।
शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि योजना के तहत देश की 80 प्रतिशत आबादी को कवर किया जाएगा जिसका मतलब है कि 80 करोड़ लोग भूख से जूझ रहे हैं। इनमें से भी 50 करोड़ लोग रोज आधे पेट ही सोते हैं।
इधर, सीने में दर्द की शिकायत होने पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को एम्स में दाखिल कराया गया जहां उनकी तबीयत में सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें दवाई के रिएक्शन की वजह से सीने में दर्द की दिक्कत हुई थी।
11,30,000 करोड रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा। इसके लिए 6.2 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और 1 रुपये प्रति किलो के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2.43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को हालांकि 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा।
कुछ राज्यों में इस तरह के उपाय बेहतर होने के बारे में सदस्यों द्वारा व्यक्त राय पर थामस ने कहा कि तमिलनाडु, केरल आदर्श हैं। हर राज्य आदर्श है लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते।
छत्तीसगढ़ में एक विशेष व्यवस्था काम कर सकती है लेकिन कोई जरूरी नहीं कि वही व्यवस्था तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी काम करे। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद भी उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना जारी रहेगा।
विधेयक पर चर्चा के दौरान व्यक्त आशंकाओं को दूर करते हुए थामस ने कहा कि एमएसपी बंद नहीं किया जाएगा... मंडियों में जो भी अनाज आएगा, उसकी खरीद की जाएगी।
थामस ने कहा कि भंडारण क्षमता 5.50 करोड़ टन से बढ़कर 7.5 करोड टन हो गई जो 2014 15 तक 8.5 करोड़ टन हो जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कमजोर है लेकिन इसे सुधारने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कदम उठाए गए हैं।
थामस ने कहा कि फर्जी राशन कार्ड और लीकेज की समस्या से निपटा जा रहा है और पिछले चार साल में राशन कार्डों की संख्या 22 करोड़ से घटकर 16 करोड़ रह गई है।
इससे पहले, विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के मुरली मनोहर जोशी ने इस विधेयक को वोट सुरक्षा विधेयक’ करार देते हुए कहा कि सरकार एक योजना के तहत कमी’ पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाये रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके। जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनाएगी लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लाई है और ऐसे समय में लाई है जब उसके सत्ता से जाने का समय आ गया है।
नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार अगर विपक्ष के संशोधनो को स्वीकार कर लेती तो यह विधेयक और अच्छा होता लेकिन विपक्ष के संशोधनों को स्वीकार नहीं करने के बावजूद वह इस ‘आधे अधूरे’ विधेयक का समर्थन करती हैं और उस दिन की प्रतीक्षा करेंगे जब भाजपा के सत्ता में लौटने पर इसमें और सुधार किया जाएगा।
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श होने तक इस विधेयक को टाल दिया जाए क्योंकि इससे राज्यों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।
जद (यू) के शरद यादव ने इस विधेयक को एक साहसी कदम बताया लेकिन साथ ही कहा कि गरीबी हटाने के लिए समय समय पर किए गए उपायों का बहुत नतीजा नहीं निकला है क्योंकि हमारा ढांचा ऐसा है कि योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंच ही नहीं पाता।
बसपा के दारा सिंह चौहान ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अगर इस विधेयक के प्रावधानों का लाभ ईमानदारी से गरीबों तक पहुंच जाए तो यह इस विधेयक की बहुत बड़ी सार्थकता होगी। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को दूर किए जाने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताई।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार किसी योजना को लेकर नीतियां बदलती आई है। सर्वशिक्षा अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 2001-02 में केन्द्र की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत और राज्यों की 15 प्रतिशत थी जो इस समय क्रमश: 65 और 35 फीसदी हो गई है। द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि इस विधेयक को लेकर सरकार ने कई वायदे किए थे लेकिन वह अभी भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में देश की आजादी की 67वीं वर्षगांठ मनाई लेकिन अब तक हम गरीबी को दूर करने में विफल रहे हैं।
माकपा के ए संपत ने कहा कि वाजिब कीमत पर खाद्यान्न हासिल करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत केवल चावल और गेहूं ही नहीं बल्कि दाल, चीनी और खाद्य तेल का वितरण भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब जबकि आगामी लोकसभा चुनाव करीब हैं, सरकार इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कराना चाहती है।
बीजद के भृतहरि महताब ने कहा कि देश में गरीबी और भूख की समस्या पहले जैसी ही है। करीब 42 करोड़ जनता हर रात खाली पेट सोती है। उन्होंने अनाज वितरण में प्रति व्यक्ति व्यवस्था को हटाकर प्रति परिवार व्यवस्था को लागू करने की मांग की।
शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि योजना के तहत देश की 80 प्रतिशत आबादी को कवर किया जाएगा जिसका मतलब है कि 80 करोड़ लोग भूख से जूझ रहे हैं। इनमें से भी 50 करोड़ लोग रोज आधे पेट ही सोते हैं।
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