नई दिल्ली में शौर्यांजलि की एक झलक
नई दिल्ली:
1965 की लड़ाई में पाक पर मिली जीत के 50 साल पूरे होने पर राजपथ पर हुई प्रदर्शनी शौर्यांजलि खत्म हो गई।15 सितंबर से आयोजित प्रदर्शनी को देखने करीब साढ़े पांच लाख लोग आए, जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ स्कूली बच्चे मुख्य रूप से शामिल थे। देश में पहली बार आयोजित हुए ऐसे प्रदर्शनी में 1965 के जाबांज के शौर्य गाथा दर्शायी गई थी।
शौर्यांजलि के प्रमुख मेजर जनरल ए. के. सापरा ने कहा कि हमनें तो सोचा ही नही था कि इतनी बड़ी तदाद में लोग आयेंगे , पिछले हफ्ते रविवार को तो एक लाख 20 हजार लोग आए। आने वाले में कैंसर की 58 साल की शशि भारद्वाज भी हैं। वे कहती हैं, मैं दूसरी बार यहां आई। अगर और दिन प्रदर्शन की तिथि बढ़ाई जाती है तो वो फिर आएंगी।
अपनी तरह के पहली बार हुए इस कार्यक्रम में जैसे पकिस्तान पर मिली जीत 50 साल बाद फिर जीवंत हो उठी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पाकिस्तान पर मिली जीत का जश्न कुछ अलग अंदाज में मनाया गया।
बड़ी बात ये भी रही कि ये सब कुछ आम जनता के लिये था जो बिना किसी टिकट के सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक अपने वीर सेनानियों की गौरव गाथा का आनंद लिए। समारोह में आडियो-विजुअल के जरिये इन सारी लड़ाइयों को जीवंत किया गया।
प्रदर्शनी में दिखाई गई चीजें नष्ट नहीं की जाएंगी, बल्कि सेना के दूसरे केंद्रों को भेज दी जाएंगी। इससे वहां पर लोग तो देखेंने आएंगे ही, साथ ही उसे सुरक्षित रखा जा सकेगा। शौर्यांजलि प्रदर्शनी के बहाने 1965 युद्ध के स्वर्ण जंयती वर्ष में उन वीर सैनिकों को याद किया गया, जिन्हें भुला दिया गया था।
शौर्यांजलि के प्रमुख मेजर जनरल ए. के. सापरा ने कहा कि हमनें तो सोचा ही नही था कि इतनी बड़ी तदाद में लोग आयेंगे , पिछले हफ्ते रविवार को तो एक लाख 20 हजार लोग आए। आने वाले में कैंसर की 58 साल की शशि भारद्वाज भी हैं। वे कहती हैं, मैं दूसरी बार यहां आई। अगर और दिन प्रदर्शन की तिथि बढ़ाई जाती है तो वो फिर आएंगी।
अपनी तरह के पहली बार हुए इस कार्यक्रम में जैसे पकिस्तान पर मिली जीत 50 साल बाद फिर जीवंत हो उठी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पाकिस्तान पर मिली जीत का जश्न कुछ अलग अंदाज में मनाया गया।
बड़ी बात ये भी रही कि ये सब कुछ आम जनता के लिये था जो बिना किसी टिकट के सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक अपने वीर सेनानियों की गौरव गाथा का आनंद लिए। समारोह में आडियो-विजुअल के जरिये इन सारी लड़ाइयों को जीवंत किया गया।
प्रदर्शनी में दिखाई गई चीजें नष्ट नहीं की जाएंगी, बल्कि सेना के दूसरे केंद्रों को भेज दी जाएंगी। इससे वहां पर लोग तो देखेंने आएंगे ही, साथ ही उसे सुरक्षित रखा जा सकेगा। शौर्यांजलि प्रदर्शनी के बहाने 1965 युद्ध के स्वर्ण जंयती वर्ष में उन वीर सैनिकों को याद किया गया, जिन्हें भुला दिया गया था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं