इस प्लेन की लागत विदेशों से खरीदे गए जहाजों से 30 गुना कम होगी
नई दिल्ली:
वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से देश के पहले पैसेंजर और ट्रांसपोर्ट जहाज 'सारस' में जान फूंकने का काम किया है. 19 सीटों वाला ये हल्का विमान पीएम मोदी के उस सपने को पूरा कर सकेगा जिसमें उन्होंने हवाई चप्पल पहनने वालों की हवाई यात्रा की बात कही थी. सारस देश में बना पहला यात्री विमान है जिसे नेशनल एयरोस्पेस लैबरोटरिज ने बेंगलुरु में डिजाइन किया है. फिलहाल वायुसेना के पायलट इसे टेस्ट करने में लगे हैं. बीते 18 साल से बन रहे इस विमान को 2009 में एक बड़ा झटका तब लगा जब एक हादसे में इसके दो पायलटों ने अपनी जान गंवा दी थी.
अब एनीमेशन के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी यूं कर रहे योग का प्रचार
इस प्रोजेक्ट दोबारा से 2016 में शुरु किया गया और 7000 किलोग्राम का ये प्लेन इस साल कई टेस्ट उड़ानों में कामयाब रहा. 2022 में इसका उत्पादन शुरू करने के लिए करीब एक हज़ार करोड़ की लागत आएगी, हालांकि ये तब भी मौजूदा हो रहे खर्च के मुकाबले सस्ता साबित होगा.
वीडियो : ये रहा सारस प्लेन
भारत को 19 सीटों वाले एक विमान की जरूरत है. जो किसी आयतित प्लेन के मुकाबले 30 फीसदी सस्ता होगा और वे उनके मुकाबले 20 फीसदी बेहतर नतीजे देगा. भारतीय वायुसेना पहले ही 15 सारस की खरीद का आर्डर दे चुकी है.
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