सुखोई 30 (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान से लगी सीमा पर फिलहाल युद्ध के हालात नहीं हैं लेकिन वायुसेना अपनी तैयारियों को दुरुस्त करने में लगी है क्योंकि अगर पाकिस्तान को किसी भी तरह सबक सिखाना है तो वायुसेना की भूमिका काफी अहम होगी. भारतीय वायुसेना का सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई है. ये विमान पाकिस्तान की सीमा के करीब 100 किलो के बम गिरा रहे हैं. रफ़्तार तकरीबन 900 किलोमीटर प्रति घंटा की है लेकिन निशाना नहीं चूकता है.
ग्रुप कैप्टन आर सी नायर ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि ऐसे अभ्यास बेहद जरूरी हैं ताकि कभी कोई चूक ना हो. अकेले सुखोई ही नहीं बल्कि मिग-21 बाइसन और हॉक भी अपने बम निशाने पर गिरा रहे हैं. रॉकेट और गन से भी फायर कर रहे हैं ताकि कोई चूक ना हो. हर हालत में मिशन कम्पलीट हो. वैसे करीब सात किलोमीटर में फैले हलवारा के इस फायरिंग रेंज में अभ्यास में बहुत कम क्षमता के बम और रॉकेट का इस्तेमाल होता है. हॉक विमान अभी 3 किलों के बम गिरा रहे हैं. लेकिन अगर युद्ध हो तो तीन किलो के बम की जगह 1000 किलो का बम ले लेता है. सुखोई की क्षमता 1000 किलो के बम की है वहीं, अभी यह विमान 100 किलो के बम गिरा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ दिन में ही वायुसेना के विमान ऐसे मिशन पर निकलते हैं. रात के अंधेरे भी इनके इरादों को डिगा नहीं पाते, लेकिन रात को उड़ान भरना आसान नहीं होता है.
यह भी पढ़ें : भारत सरकार ने किया साफ, वायु सेना के लिए एफ-16 लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव नहीं
अंबाला एयरबेस के प्रमुख एलके चावला ने कहा कि इसके लिए काफी अभ्यास की जरूरत है क्योंकि आप आंखों से बहुत कुछ नहीं देख पाते हैं. यहीं पर बेस है दुश्मन पर सीधा हमला करने वाले लड़ाकू विमान जगुवार का. जगुवार ऐसा लड़ाकू विमान है जो बहुत नीचे फ्लाई करके सीधे अंदर घुसकर दुश्मन को मारता है. लो लेवल पर फ्लाई करने की वजह से दुश्मन के रडार की जद में भी नहीं आता. पल भर में मिशन पूरा और फिर वापस अपने बेस पर. हलवारा एयरबेस से महज़ 100 किलोमीटर दूर पाकिस्तान है. पाकिस्तान में दाखिल होने के लिए महज़ पांच मिनट ही लेगा ये विमान. जब ये विमान एक साथ 12 मिसाइलों से लैस होता है तो इसे रोकना किसी के बूते में नहीं. वजह है इसके टक्कर का कोई लड़ाकू विमान ना तो पाकिस्तान के पास है और ना ही चीन के पास.
हलवारा एयरबेस के प्रमुख एयर कमाडोर डीवी खोट कहते हैं कि वायुसेना के पश्चिमी सीमा पर चुनौती को देखते हुए ही अपने सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान सुखोई को तैनात किया है जो हर तरह के मिशन को पूरा कर पाने में सक्षम है. वायुसेना जो भी जिम्मेदारी देगी हम उसे पुरी करेंगे. हवा में कलाबाजियां ये विमान यूं ही नहीं कर रहे हैं बल्कि दिखा रहे हैं कि जब आसमान में दुश्मन के विमान से आमना सामना हो तो कैसे उसे मार गिराया जाए. क्योंकि ये विमान है ही ऐसा जिससे दुश्मन खौफ खाते हैं.
VIDEO: नहीं रहे मार्शल अर्जन सिंह
1965 की लड़ाई से सबक लेकर वायुसेना पाकिस्तान से लगी सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाने में लगी है ताकि किसी भी सूरते हाल में उसके लड़ाकू विमान भारतीय सीमा में कभी दाखिल ना हो पाए और अगर ऐसी गलती करने की सोचे तो उसे वहीं मार गिराया जाए. वैसे भी युद्ध बताकर नहीं आते और जब आपके पड़ोसी युद्ध को लेकर अमादा हो तो ये जरूरी हो जाता है कि अपनी तैयारियों को चाक चौबंद रखा जाए. वायुसेना भी अपने कौशल को मांझने में लगी है ताकि वक्त पड़ने पर सीधे कार्रवाई कर सके.
ग्रुप कैप्टन आर सी नायर ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि ऐसे अभ्यास बेहद जरूरी हैं ताकि कभी कोई चूक ना हो. अकेले सुखोई ही नहीं बल्कि मिग-21 बाइसन और हॉक भी अपने बम निशाने पर गिरा रहे हैं. रॉकेट और गन से भी फायर कर रहे हैं ताकि कोई चूक ना हो. हर हालत में मिशन कम्पलीट हो. वैसे करीब सात किलोमीटर में फैले हलवारा के इस फायरिंग रेंज में अभ्यास में बहुत कम क्षमता के बम और रॉकेट का इस्तेमाल होता है. हॉक विमान अभी 3 किलों के बम गिरा रहे हैं. लेकिन अगर युद्ध हो तो तीन किलो के बम की जगह 1000 किलो का बम ले लेता है. सुखोई की क्षमता 1000 किलो के बम की है वहीं, अभी यह विमान 100 किलो के बम गिरा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ दिन में ही वायुसेना के विमान ऐसे मिशन पर निकलते हैं. रात के अंधेरे भी इनके इरादों को डिगा नहीं पाते, लेकिन रात को उड़ान भरना आसान नहीं होता है.
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अंबाला एयरबेस के प्रमुख एलके चावला ने कहा कि इसके लिए काफी अभ्यास की जरूरत है क्योंकि आप आंखों से बहुत कुछ नहीं देख पाते हैं. यहीं पर बेस है दुश्मन पर सीधा हमला करने वाले लड़ाकू विमान जगुवार का. जगुवार ऐसा लड़ाकू विमान है जो बहुत नीचे फ्लाई करके सीधे अंदर घुसकर दुश्मन को मारता है. लो लेवल पर फ्लाई करने की वजह से दुश्मन के रडार की जद में भी नहीं आता. पल भर में मिशन पूरा और फिर वापस अपने बेस पर. हलवारा एयरबेस से महज़ 100 किलोमीटर दूर पाकिस्तान है. पाकिस्तान में दाखिल होने के लिए महज़ पांच मिनट ही लेगा ये विमान. जब ये विमान एक साथ 12 मिसाइलों से लैस होता है तो इसे रोकना किसी के बूते में नहीं. वजह है इसके टक्कर का कोई लड़ाकू विमान ना तो पाकिस्तान के पास है और ना ही चीन के पास.
हलवारा एयरबेस के प्रमुख एयर कमाडोर डीवी खोट कहते हैं कि वायुसेना के पश्चिमी सीमा पर चुनौती को देखते हुए ही अपने सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान सुखोई को तैनात किया है जो हर तरह के मिशन को पूरा कर पाने में सक्षम है. वायुसेना जो भी जिम्मेदारी देगी हम उसे पुरी करेंगे. हवा में कलाबाजियां ये विमान यूं ही नहीं कर रहे हैं बल्कि दिखा रहे हैं कि जब आसमान में दुश्मन के विमान से आमना सामना हो तो कैसे उसे मार गिराया जाए. क्योंकि ये विमान है ही ऐसा जिससे दुश्मन खौफ खाते हैं.
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1965 की लड़ाई से सबक लेकर वायुसेना पाकिस्तान से लगी सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाने में लगी है ताकि किसी भी सूरते हाल में उसके लड़ाकू विमान भारतीय सीमा में कभी दाखिल ना हो पाए और अगर ऐसी गलती करने की सोचे तो उसे वहीं मार गिराया जाए. वैसे भी युद्ध बताकर नहीं आते और जब आपके पड़ोसी युद्ध को लेकर अमादा हो तो ये जरूरी हो जाता है कि अपनी तैयारियों को चाक चौबंद रखा जाए. वायुसेना भी अपने कौशल को मांझने में लगी है ताकि वक्त पड़ने पर सीधे कार्रवाई कर सके.
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