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क्या तलाकशुदा बेटी के ससुरालवालों से पिता वापस मांग सकता है शादी के गहने-जेवर? स्त्रीधन पर SC के फैसले को समझें

स्त्रीधन एक शब्द है जिसका उपयोग धन और संपत्ति सहित उपहारों के संदर्भ में किया जाता है. ये वो धन है जो एक महिला को उसके माता-पिता, रिश्तेदारों या ससुराल वालों से मिलता है.

क्या तलाकशुदा बेटी के ससुरालवालों से पिता वापस मांग सकता है शादी के गहने-जेवर? स्त्रीधन पर SC के फैसले को समझें
पति का भी स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं: कोर्ट
नई दिल्ली:

तेलंगाना के पडाला वीरभद्र राव नामक व्यक्ति ने साल 1999 में धूमधाम से अपनी बेटी की शादी करवाई थी. इस दौरान उन्होंने कई तरह के गहने और उपहार बेटी को दिए थे. शादी के बाद उनकी बेटी और दामाद अमेरिका चले गए. कुछ सालों बाद दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद होने लगा. ऐसे में उनकी बेटी और दामाद ने शादी के 16 साल बाद, 14 अगस्त 2015 में अमेरिका में तलाक ले लिया. तलाक के बाद वीरभद्र राव की बेटी ने दूसरी शादी कर ली और साल 2018 में अपना नया घर बसा लिया. बेटी की शादी के तीन साल बाद वीरभद्र राव को 'स्त्रीधन' की याद आई. 

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आखिर क्या होता है 'स्त्रीधन'

स्त्रीधन एक शब्द है जिसका उपयोग धन और संपत्ति सहित उपहारों के संदर्भ में किया जाता है. ये वो धन है जो एक महिला को उसके माता-पिता, रिश्तेदारों या ससुराल वालों से मिलता है.विवाह के समय महिला को उसके माता-पिता द्वारा दिए गए पैसे, गहनें, ज़मीन, बर्तन और इत्यादि चीजों को भी 'स्त्रीधन' माना जाता है. स्त्रीधन पर केवल महिला का अधिकार होता है और वह अपने पति से अलग होने के बाद भी इसपर दावा कर सकती है. हिंदू कानून के अनुसार, महिला को जो कुछ भी उसकी शादी के दौरान मिलता है, उपहार, गहनें, गाड़ी, संपत्ति, पैसे उसपर केवल उसकी का हक होता है. 

कोर्ट में पहुंचा मामला

अपनी बेटी की पहली शादी के दौरान दिए गए धन और उपहार पर अपना हक बताते हुए वीरभद्र राव ने बेटी के पूर्व ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया. ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. बृहस्पतिवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हम आगे यह टिप्पणी कर सकते हैं कि आपराधिक कार्यवाही का उद्देश्य गलत काम करने वाले को न्याय के कटघरे में लाना है, और यह उन लोगों के खिलाफ बदला लेने का साधन नहीं है, जिनके साथ शिकायतकर्ता की दुश्मनी हो सकती है.” 

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स्त्रीधन पर पिता का अधिकारी नहीं

न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पीठ ने कानून की स्थापित स्थिति को दोहराया कि एक महिला (पत्नी या पूर्व पत्नी) का स्त्रीधन पर ‘एकमात्र अधिकार' है. न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि स्त्रीधन पर पति का कोई अधिकार नहीं है, और बेटी के जीवित एवं स्वस्थ होने एवं स्त्रीधन की वसूली जैसे निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम होने पर स्त्रीधन पर पिता का भी कोई अधिकारी नहीं है. इसी के साथ शीर्ष अदालत ने राव की बेटी के पूर्व ससुराल वालों के खिलाफ कार्यवाही को खारिज कर दिया.

पति का भी स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल महीने में भी 'स्त्रीधन' से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि एक पति का अपनी पत्नी के 'स्त्रीधन' पर कोई नियंत्रण नहीं होता और भले ही वह संकट के समय इसका उपयोग कर सकता है, लेकिन उसका नैतिक दायित्व है कि वह इसे अपनी पत्नी को लौटाए.

कोर्ट ने महिला को उसका 25 लाख रुपये मूल्य का सोना लौटाने का निर्देश भी उसके पति को दिया था. दरअसल महिला ने दावा किया था कि उसकी शादी के समय उसके परिवार ने 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे. शादी के बाद उसके पिता ने उसके पति को दो लाख रुपये का चैक भी दिया था. शादी की पहली रात पति ने उसके सारे आभूषण ले लिए और सुरक्षित रखने के बहाने से अपनी मां को दे दिए. महिला ने आरोप लगाया कि पति और उसकी मां ने अपने कर्ज को चुकाने में उसके सारे जेवर का दुरुपयोग किया.

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