Farmers Protest अमेरिका में सिखों से जुड़ी संस्थाओं ने भारत के किसानों के साथ खड़े होने के लिए अमेरिकी कांग्रेस (US congress) के सदस्यों का स्वागत किया है. चार दिसंबर को अमेकिन कांग्रेस के कई सदस्यों ने अमेरिका में भारतीय राजदूत को चिट्ठी लिखकर किसानों के प्रदर्शन के प्रति सरकार के रवैये को लेकर चिंता जताई थी. पत्र में लिखा गया था कि हरियाणा और पंजाब से हज़ारों की तादाद में किसान नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए निकले लेकिन भारत सरकार ने उन पर वाटर कैनन, आंसू गैस और लाठियां चलवाईं. इनमें से बहुत किसान ऐसे हैं जिनके परिजन, बच्चे, रिश्तेदार और दोस्त अमेरिकी नागरिक हैं उन्होंने हमसे संपर्क कर अपनी चिंताओं से अवगत कराया. चिठ्ठी में भारत सरकार से अपील की गई कि वे लोकतांत्रिक आज़ादी बनाए रखे. अमेरिका के कई शहरों में वाहनों की रैली निकालकर वहां के सिख समुदाय ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जताया है. अब अमेरिकन गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उन अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों का शुक्रिया अदा किया है जिन्होंने अमेरिका में भारत के राजदूत को चिट्ठी लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया था.
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अमेरिकन गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के कोआर्डिनेटर प्रीतपाल सिंह कहते हैं कि अमेरिकी कांग्रेस सदस्य जॉन गरमेंटी ने किसानों के हक़ में जो बातें कहीं हैं हम उसका स्वागत करते हैं. मानवाधिकार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के द्वारा अपनी बात रखने का उनको हक है. उम्मीद है भारत सरकार कांग्रेस के सदस्यों के कही गई बातों का ख़्याल रखेगी.
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गौरतलब है कि सरकार के साथ किसानों की अब तक की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है. तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग से किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है, वहीं सरकार कानून वापस लेने को तैयार नहीं. इस सबके बीच भारतीय प्रवासियों की राय है कि नए कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के प्रदर्शन को दबाया नहीं जाना चाहिए.अमेरिकन सिख कॉकस कमेटी के डायरेक्टर हरप्रीत सिंह संधू ने कहा कि अमेरिकी सिख समुदाय उन 50 अमेरिकी कांग्रेसजनों का शुक्रगुज़ार है जो पंजाब और देश के उन किसानों के समर्थन में आए हैं जो तीन कानूनों के ख़िलाफ़ अपना प्रदर्शन कर रहे हैं. हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वे जल्दी कानूनों को वापस ले और किसानों का भला करे.
किसानों के शांतिपूर्व प्रदर्शन और हक़ों की लड़ाई के समर्थन में यूएन की तरफ़ से भी बयान आ चुका है. इसी तरह का बयान कनाडा की तरफ़ से आया था जिस पर भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब कर न सिर्फ़ कड़ी प्रतिक्रिया दी बल्कि दोनों देशों के संबंध ख़राब होने की चेतावनी भी दे डाली. लेकिन भारतीय प्रवासियों को ऐसी चेतावनी देना उनकी भावना को आहत करना होगा.
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