किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च का बुधवार को दूसरा दिन है. किसानों को दिल्ली में नहीं घुसने दिया जा रहा है. दिल्ली की सीमाओं को चारों तरफ से सील कर दिया गया है. प्रदर्शन कर रहे किसानों पर काबू पाने के लिए पुलिस ने कई जगह पर आंसू गैस के गोले और रबड़ बुलेट दागी. पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया. लेकिन किसानों ने भी इस परिस्थिति से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है. किसान पतंग उड़ाकर उनके ऊपर आसमान में उड़ रहे ड्रोन को गिराने की कोशिश कर रहे हैं.
किसानों ने अंबाला के पास संभु बोर्डर पर एक ड्रोन को पतंग से नीचे भी गिरा दिया. शंभू बोर्डर पर स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे.
किसानों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं. यह आंसू गैस के गोले ड्रेन के जरिए किसानों की भीड़ के बीच छोड़े जा रहे हैं. आंसू गैस के प्रभाव को कम करने के लिए किसान गीले कपड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं, अब किसानों ने पुलिस प्रशासन के ड्रोन पर ही देशी 'जुगाड़' से हमला कर दिया है. किसानों ड्रोन को गिराने के लिए शंभू बॉर्डर पर पतंग उड़ा रहे हैं, जिससे ड्रोन को पतंग में फंसाकर गिराया जा सके.
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य कृषि सुधारों के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की ओर मार्च करने पर अड़े हैं.
किसान संगठनों के "दिल्ली चलो" मार्च को लेकर देश के बड़े किसान संगठनों में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के बाद अब देश के सबसे बड़े किसान संगठन आरएसएस से जुडी भारतीय किसान संघ ने भी इसका विरोध करते हुए कहा है वो किसी भी हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं करती है.
किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से दिल्ली के सभी बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रशासन की तरफ से LRAD (Long-range acoustic device) डिवाइस लगाया गया है. ये ऐसी आवाज पैदा करता है जो भीड़ में एक तरह की बेचैनी पैदा करता है. इससे लोगों की सुनने की क्षमता भी जा सकती है. इस मशीन की आवाज से किसान बहरा हो सकते हैं.
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