नई दिल्ली:
ख़बरों के लिए पहले हम पारंपरिक मीडिया पर निर्भर थे, लेकिन सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच ने ख़बरों की रफ्तार बढ़ा दी है. जमाना सोशल मीडिया का है और ऐसे में हर किसी के पास कहने-सुनने के लिए कुछ न कुछ है. ऐसे में हम यह नहीं पता लगा पाते कि किसी भी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर जो जानकारी दी जा रही है वह कितनी सही है और कितनी गलत. पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर आईं ख़बरें बाद में पूरी तरह से फर्जी निकलीं. ऐसी ख़बरों का हकीकत से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था. इन सब को देखते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने फर्जी खबरों को पहचानने के कुछ तरीके बताएं हैं.
फ़ेक न्यूज़ को कैसे पहचानें?
1. टॉपिक यानी शीर्षक को लेकर रहें सतर्क
फर्जी खबरों वाली कहानियों के शीर्षक अकसर लुभावने होते हैं और उनमें बड़े-बड़े अक्षरों के साथ विस्मयबोधक चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता है. अगर इन शीर्षकों के चौंकाने वाले दावों पर भरोसा न हो रहा हो तो वे अक्सर फर्जी ही होती हैं.
2. URL को ध्यान से देखें
अगर नकली लगने वाला या किसी अन्य URL से मिलता-जुलता URL हो तो यह फर्जी खबर का संकेत हो सकता है. बहुत सी फर्जी खबरों वाली वेबसाइटें URL में छोटे-मोटे बदलाव करके असली खबरों के सोर्स की नकल करती हैं. आप इन वेबसाइटों पर जाकर URL की तुलना प्रमाणित सोर्स के साथ कर सकते हैं.
3. सोर्स की जांच जरूरी
यह सुनिश्चित करें कि कहानी किसी ऐसे सोर्स ने लिखी हो जिस पर आप विश्वास करते हैं और जो सही ख़बरें देने के लिए जाना जाता है. अगर कहानी किसी अनजान संगठन से आई है तो उसके बारे में ज्यादा जानने के लिए उनकी वेबसाइट के About Us पेज पर जाएं.
कतई नई नहीं है फ़ेक न्यूज़ की बात... हां, नाम ज़रूर नया है
4. असामान्य फॉर्मेटिंग पर ध्यान दें
फर्जी खबर वाली बहुत सी वेबसाइटों पर वर्तनी यानी कि स्पेलिंग की गलतियां और अजीब से लेआउट देखने को मिलते हैं. अगर आपको ऐसे संकेत दिखाई दें तो ऐसी खबरों के बारे में सतर्क रहें.
5. फोटो की सत्यता पर विचार करें
फर्जी खबरों वाली कहानियों में अक्सर ऐसी फोटो या वीडियो होते हैं जिनमें छेड़छाड़ की गई होती है. कई बार फोटो तो असली होती हैं, लेकिन उन्हें गलत प्रसंग में दिखाया जाता है. आप उस फोटो के बारे में ज्यादा जानकारी खोजकर यह पता लगा सकते हैं कि उसका सोर्स क्या है.
6. तारीखों पर ध्यान दें
फर्जी खबरों पर ऐसी टाइमलाइन हो सकती हैं जिनका कोई अर्थ ही नहीं निकलता हो या फिर उनमें घटनाओं की तारीखों को बदला गया होता है.
सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ के वार का शिकार हुए रवीश कुमार
7. प्रमाणों की जांच करें
लेखक द्वारा बताए गए सोर्स की जांच करें ताकि यह कंफर्म किया जा सके कि वे सही हैं. अगर पूरे सबूत नहीं दिए गए हैं या अनाम विशेषज्ञों के हवाले से खबर दी गई है तो यह फर्जी खबर का संकेत हो सकता है.
8. दूसरी रिपोर्ट भी देखें
अगर खबरों के किसी भी दूसरे सोर्स ने ऐसी कहानी वाला समाचार नहीं दिया है तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कहानी झूठी है. आप जिस सोर्स पर भरोसा करतें हैं, अगर उनमें से कई सोर्स ने भी यह खबर दी है तो इसके सही होने की संभावना ज्यादा होती है.
9. कहानी है या मजाक?
कई बार फर्जी खबरों वाली कहानियों और मजाक या व्यंग्य में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है. इस बात पर ध्यान दें कि कहीं इस कहानी का सोर्स मजाकिया खबरों के लिए तो मशहूर नहीं है और यह भी देखें कि कहानी के लहजे और उसमें दी गई जानकारी से ऐसा तो नहीं लगता कि ये सिर्फ मजाक के लिए लिखी गई है?
10. कभी-कभी जानबूझकर झूठी कहानियां बनाई जाती हैं
आप जो कहानियां पढ़ते हैं उनकी समीक्षा करें और केवल वे कहानियां ही शेयर करें जिनकी सत्यता पर आपको विश्वास हो.
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फ़ेक न्यूज़ को कैसे पहचानें?
1. टॉपिक यानी शीर्षक को लेकर रहें सतर्क
फर्जी खबरों वाली कहानियों के शीर्षक अकसर लुभावने होते हैं और उनमें बड़े-बड़े अक्षरों के साथ विस्मयबोधक चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता है. अगर इन शीर्षकों के चौंकाने वाले दावों पर भरोसा न हो रहा हो तो वे अक्सर फर्जी ही होती हैं.
2. URL को ध्यान से देखें
अगर नकली लगने वाला या किसी अन्य URL से मिलता-जुलता URL हो तो यह फर्जी खबर का संकेत हो सकता है. बहुत सी फर्जी खबरों वाली वेबसाइटें URL में छोटे-मोटे बदलाव करके असली खबरों के सोर्स की नकल करती हैं. आप इन वेबसाइटों पर जाकर URL की तुलना प्रमाणित सोर्स के साथ कर सकते हैं.
3. सोर्स की जांच जरूरी
यह सुनिश्चित करें कि कहानी किसी ऐसे सोर्स ने लिखी हो जिस पर आप विश्वास करते हैं और जो सही ख़बरें देने के लिए जाना जाता है. अगर कहानी किसी अनजान संगठन से आई है तो उसके बारे में ज्यादा जानने के लिए उनकी वेबसाइट के About Us पेज पर जाएं.
कतई नई नहीं है फ़ेक न्यूज़ की बात... हां, नाम ज़रूर नया है
4. असामान्य फॉर्मेटिंग पर ध्यान दें
फर्जी खबर वाली बहुत सी वेबसाइटों पर वर्तनी यानी कि स्पेलिंग की गलतियां और अजीब से लेआउट देखने को मिलते हैं. अगर आपको ऐसे संकेत दिखाई दें तो ऐसी खबरों के बारे में सतर्क रहें.
5. फोटो की सत्यता पर विचार करें
फर्जी खबरों वाली कहानियों में अक्सर ऐसी फोटो या वीडियो होते हैं जिनमें छेड़छाड़ की गई होती है. कई बार फोटो तो असली होती हैं, लेकिन उन्हें गलत प्रसंग में दिखाया जाता है. आप उस फोटो के बारे में ज्यादा जानकारी खोजकर यह पता लगा सकते हैं कि उसका सोर्स क्या है.
6. तारीखों पर ध्यान दें
फर्जी खबरों पर ऐसी टाइमलाइन हो सकती हैं जिनका कोई अर्थ ही नहीं निकलता हो या फिर उनमें घटनाओं की तारीखों को बदला गया होता है.
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7. प्रमाणों की जांच करें
लेखक द्वारा बताए गए सोर्स की जांच करें ताकि यह कंफर्म किया जा सके कि वे सही हैं. अगर पूरे सबूत नहीं दिए गए हैं या अनाम विशेषज्ञों के हवाले से खबर दी गई है तो यह फर्जी खबर का संकेत हो सकता है.
8. दूसरी रिपोर्ट भी देखें
अगर खबरों के किसी भी दूसरे सोर्स ने ऐसी कहानी वाला समाचार नहीं दिया है तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कहानी झूठी है. आप जिस सोर्स पर भरोसा करतें हैं, अगर उनमें से कई सोर्स ने भी यह खबर दी है तो इसके सही होने की संभावना ज्यादा होती है.
9. कहानी है या मजाक?
कई बार फर्जी खबरों वाली कहानियों और मजाक या व्यंग्य में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है. इस बात पर ध्यान दें कि कहीं इस कहानी का सोर्स मजाकिया खबरों के लिए तो मशहूर नहीं है और यह भी देखें कि कहानी के लहजे और उसमें दी गई जानकारी से ऐसा तो नहीं लगता कि ये सिर्फ मजाक के लिए लिखी गई है?
10. कभी-कभी जानबूझकर झूठी कहानियां बनाई जाती हैं
आप जो कहानियां पढ़ते हैं उनकी समीक्षा करें और केवल वे कहानियां ही शेयर करें जिनकी सत्यता पर आपको विश्वास हो.
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