Exclusive: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की रिपोर्ट में 'न्याय की देवी' की आंखों पर पट्टी क्यों नहीं?

समान नागरिक संहिता की मसौदा रिपोर्ट उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को सौंपी गई, रिपोर्ट का शीर्षक 'समानता से समरसता' रखा गया

Exclusive: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की रिपोर्ट में 'न्याय की देवी' की आंखों पर पट्टी क्यों नहीं?

यूसीसी पर बिल पास कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है.

नई दिल्ली :

उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा सामने आया है. NDTV को मिलीं इस मसौदा रिपोर्ट के कवर की एक्सक्लूसिव तस्वीरों में इस संहिता का आशय स्पष्ट हो रहा है. मसौदा रिपोर्ट के मुख पृष्ठ पर न्याय की देवी की तस्वीर है. बड़ी बात यह है कि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. इसका संदेश यह है कि कानून अब सबको समान नजरों से देखेगा.

उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति गठित की थी. इस समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदा रिपोर्ट सौंप दी. यह रिपोर्ट चार खंडों में दी गई है. इसका शीर्षक 'समानता द्वारा समरसता' है. इसस रिपोर्ट के कवर पेज पर 'न्याय की देवी' की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. इसका तात्पर्य है कि कानून अब सबको समान नजरों से देखेगा. इसीलिए रिपोर्ट का शीर्षक 'समानता से समरसता' रखा गया है.

समान नागरिक संहिता की मसौदा रिपोर्ट हिन्दी और अंग्रेजी में है. इसके पहले खंड में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट है. दूसरे खंड में ड्राफ्ट कोड है. रिपोर्ट के तीसरे खंड में हितधारकों से विचार-विमर्श का ब्यौरा है. चौथे खंड में प्रारूप संहिता को रखा गया है. 

देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदा सौंपा गया. समिति की अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा. यूसीसी पर बिल पास कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है. विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य के मंत्रिमंडल में भी चर्चा की जाएगी.

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सरकार बनते ही यूसीसी का मसौदा बनाने के लिए समिति गठित की गई थी

मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम में कहा कि सन 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी ने जनता से वादा किया था कि नई सरकार का गठन होते ही सबसे पहले यूसीसी लागू किया जाएगा. उन्होंने अपने वादे के मुताबिक सरकार बनते ही यूसीसी का मसौदा बनाने के लिए समिति गठित की. उन्होंने बताया कि इस समिति ने दो उपसमितियां भी बनाईं, इसमें से एक इसका प्रारूप तैयार करने के लिए और दूसरी जनसंवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बनाई गई.

पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए समिति ने 72 बैठकें कीं. इसकी पहली बैठक प्रदेश के उस दूरस्थ क्षेत्र चमोली जिले के सीमांत माणा गांव में हुई जिसे पीएम नरेन्द्र मोदी ने पहले गांव की संज्ञा दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां समिति की जनजाति समूह के लोगों से बातचीत हुई.

यूसीसी को लेकर प्रदेश के 10 प्रतिशत परिवारों की राय ली गई

सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी देश का ऐसा पहला कार्यक्रम है जिसमें प्रदेश के करीब 10 प्रतिशत परिवारों की राय ली गई और उनके विचारों को संकलित किया गया. उन्होंने कहा कि, ‘‘लोगों की राय जानने के लिए एक वेब पोर्टल भी बनाया गया. पोर्टल में 2.33 लाख लोगों ने अपने विचार दिए और इस प्रकार प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के विचार इसमें सम्मिलित हुए.''

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूसीसी को कानून बनाने के संबंध में जल्द औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी. उन्होंने कहा, ‘‘मसौदे का विधिक परीक्षण और अध्ययन किया जाएगा , फिर इस पर चर्चा की जाएगी. विशेष रूप से बुलाए गए विधानसभा के इस सत्र में इसे (यूसीसी का मसौदा) रखेंगे और कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.''

आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

उत्तराखंड में यूसीसी पर बिल लाना 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था. मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गई थी.

यूसीसी राज्य में सभी नागरिकों को उनके धर्म से परे एक समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा. अगर यह लागू होता है तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है.

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(इनपुट भाषा से भी)