
मुजफ्फरनगर में एक दुकानदार की पहचान जानने के लिए पैंट उतारे जाने का मामला सामने आया. पंडित वैष्णो ढाबे की इस घटना का सच जानने के लिए हमारे सहयोगी मोनू सिंह ने सीधे गोपाल उर्फ तजम्मुल से बात की और उसने सारा सच एनडीटीवी के कैमरे के सामने बता दिया.
तजम्मुल ने अपना नाम बदल कर गोपाल क्यों रखा?
गोपाल बने तजम्मुल ने बताया कि 'डर की वजह से मैंने अपना नाम चेंज किया. होटल वाले पंडित जी के कहने पर नाम बदला था, जिससे होटल चलाया जा सके.' तजम्मुल आगे बताते हैं कि मेरी पहचान छुपाई जा सके इसके लिए तीन महीने से होटल वालों ने मझे कलावा और कड़ा पहनाया.
डर की वजह से नाम गोपाल रखा था. शर्मा जी ने होटल चलाने के लिए नाम रखने को कहा. मेरी पैंट उतारी गई थी, जो तिलकधारी आए थे. जबरदस्ती से कड़ा पहनाया. पहले होटल वाले को पीटा फिर मुझे ले गए अंदर. जब मार रहे थे तो रोने लगा मैं.
स्वामी यशवीर महाराज ने की NDTV से बात
यूपी में हरिद्वार तक कावंड रूट पर पड़ने वाले ढाबों की चेकिंक करा रहे स्वामी यशवीर ने कहा,
सनातन धर्म के भक्त हरिद्वार घूमने आते हैं. इन मार्ग पर बहुत ऐसे ढाबे हैं, जो सनातन धर्म के देवी देवताओं के नाम से चल रहे हैं. इन ढाबों के कई संचालक मुस्लिम होते हैं. ऐसी खबरें भी आती रही हैं कि जिसमें खाने को अशुद्ध करने की बात सामने आती रही है. तो हम सनातन धर्म के लोगों को भ्रष्ट होने से बचाने के लिए ये काम कर रहे हैं. शुद्धता के लिए हमने ये अभियान चलाया है. जानकारी लेना खाने के संबध में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है. आधार कार्ड इसलिए बनाए जाते हैं जिससे किसी की पहचान की जा सके. मैं एक संन्यासी हूं और संन्यासी का परम कर्तव्य समाज के अंदर की बुराई के खिलाफ आवाज उठाना है.
स्वामी यशवीर महाराज ने कांवड़ यात्रा पर लगाई अपनी टीम
दावा किया जा रहा है कि मुजफ्फरनगर में स्वामी यशवीर महाराज ने कांवड़ मार्ग पर 5 हजार लोगों की अपनी टीम लगाई है, जो रास्ते में पड़ने वाले होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट और दुकानों पर जाकर दुकानदारों की पहचान करेगी. इसी अभियान के तहत एक टीम पंडित जी वैष्णो ढाबे पर पहुंची थी.
टीम के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि इस ढाबे का मालिक मुस्लिम है और होटल पर मुस्लिम कर्मचारी काम भी करते हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर हिंदू नाम से ढाबा चला रहे हैं.
कांवड़ मार्ग पर नेमप्लेट लगाने की मांग उठाई
साल 2023 में स्वामी यशवीर ने ही मुजफ्फरनगर में हिंदू नामों से चल रहे ढाबों और होटलों के मुसलमान मालिकों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. उनका कहना है कि वो मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि हिंदू धर्म की शुद्धता और पवित्रता के लिए आंदोलन करते हैं. उन्होंने ही सबसे पहले कांवड़ मार्ग पर बनी दुकानों, ढाबों पर नेमप्लेट लगाने की मांग उठाई थी.
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