प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के वाराणसी से निर्वाचन के खिलाफ BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का मानना था कि तेज बहादुर न तो वाराणसी (Varanasi) के वोटर हैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार थे, इस आधार पर उसका इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं बनता. बता दें कि वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के इच्छुक तेज बहादुर यादव का नामांकन गलत जानकारी देने के कारण रद्द कर दिया गया था.
हाल ही में जननायक जनता पार्टी (JJP) द्वारा सरकार गठन के लिए भाजपा को समर्थन देने को हरियाणा के मतदाताओं के साथ धोखा करार देते हुए बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने जजपा छोड़ी थी. यादव ने सैनिकों को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की शिकायत करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसके बाद 2017 में उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद वह जजपा में शामिल हुए और करनाल सीट से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन 3,175 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
इस पार्टी में शामिल हुए BSF के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव, सीएम खट्टर के खिलाफ लड़ेंगे चुनाव
यादव ने कहा, "चुनाव से पहले ही मैंने घोषणा कर दी थी कि अगर उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया तो मैं जजपा छोड़ दूंगा." यादव ने सरकार गठन के लिये भाजपा को समर्थन देने के लिये जजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह साफ हो गया है कि जजपा, भाजपा की बी-टीम है. उन्होंने कहा, "उन्होंने भाजपा को समर्थन देकर मतदाताओं को धोखा दिया है." बीएसएफ के पूर्व जवान ने कहा, "जजपा को वोट देने वाली जनता उसके इस कदम का विरोध कर रही है. जब से जजपा ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया है तभी से बड़ी संख्या में पार्टी समर्थक उनके झंडे और पुतले जला रहे हैं."
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(इनपुट: भाषा से भी)
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