अपराजिता ने कहा, "उनका आचरण अनैतिक था और उन्हें संसद द्वारा इसी के लिए दंडित किया गया. ऐसा नहीं है कि उन्हें एक या दो व्यक्तियों द्वारा दंडित किया गया है. यह मामला संसद की स्थायी समिति के पास गया, शिकायतकर्ता और प्रतिवादी को सुना गया. उन्हें समय दिया गया था कि अपनी बात रखें. जब वह समिति के सामने पेश हुईं तो बहुत गुस्से में थीं और उन्होंने कई असंसदीय बातें कहीं, यहां तक कि समिति के अध्यक्ष के खिलाफ भी.''
सांसद के खिलाफ बड़ा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनके संसद लॉगिन क्रेडेंशियल का इस्तेमाल किसी और ने किया था.
अपराजिता ने कहा, "उनका संसद लॉगिन क्रेडेंशियल्स किसी ने 47 बार उपयोग किया. उन्होंने इसका उपयोग नहीं किया, लेकिन किसी को इसका उपयोग करने के लिए दिया. सवाल दुबई, अमेरिका, बेंगलुरु और दिल्ली से अपलोड किए गए थे. यह अनुचित व्यवहार की ओर इशारा करता है और इस वजह से ही हमने उनके निष्कासन का सुझाव दिया."
उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष के पास भेजा गया था और फिर इसे आज पेश किया गया.
मोइत्रा का सांसद बने रहना उचित नहीं : बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "...यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि एक सांसद के रूप में सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और अशोभनीय था. इसलिए उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है..."
एथिक्स कमेटी ने हर नियम तोड़ा : मोइत्रा
वहीं महुआ मोइत्रा का कहना है कि एथिक्स कमेटी ने हर नियम तोड़ा और कहा कि "कंगारू कोर्ट (सजा देने वाली गैर कानूनी अदालत) ने बिना सबूत के मुझे दंडित किया."
'... फांसी पर लटकाने का फैसला किया'
उन्होंने कहा, "मेरे खिलाफ पूरा मामला लॉगिन विवरण साझा करने पर आधारित है, लेकिन कोई नियम इसे नियंत्रित नहीं करता है." उन्होंने कहा, "नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है, एथिक्स पैनल ने मुद्दे की जड़ को जाने बिना मुझे फांसी पर लटकाने का फैसला किया." तृणमूल ने अपने सांसद के खिलाफ कार्रवाई को "अति सक्रियता" और लोकसभा में भाजपा द्वारा अपने प्रचंड बहुमत के इस्तेमाल का प्रदर्शन बताया है.
सांसद का निष्कासन "दुर्भाग्यपूर्ण" : सारंगी
अपराजिता ने कहा कि सांसद का निष्कासन "दुर्भाग्यपूर्ण" है और यह "हमें खुश नहीं करता है." उन्होंने कहा, "हमें ऐसा करना पड़ा क्योंकि संसद की प्रतिष्ठा दांव पर थी. इसलिए हमें ऐसा करना पड़ा और कुछ स्तर पर यह हम सांसदों के लिए एक सबक भी है."
अन्य एजेंसी से जांच की आवश्यकता नहीं : सारंगी
यह पूछे जाने पर कि क्या एक अलग जांच की आवश्यकता है अपराजिता ने कहा, "चूंकि संसद सर्वोच्च है, उसने जो निर्णय लिया है, मुझे किसी अन्य एजेंसी द्वारा इसकी जांच करने का कोई कारण नहीं दिखता है."
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