Employee's Pension Scheme: सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए निजी सेक्टर( Private Employee's) के लाखों कर्मचारियों को भारी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कर्मचारी भविष्य निधि(EPF) में अंशदान करने वाले लाखों कर्मचारियों की पेंशन(Pension) एक झटके में कई गुना तक बढ़ सकती है. दरअसल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(EPFO) ने कर्मचारियों की पेंशन के लिए उनकी अधिकतम सेलरी 15 हजार रुपये तय की थी. कहने का मतलब, आपकी सेलरी भले ही 15 हजार रुपये महीने से अधिक हो, मगर आपकी पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये सेलरी पर ही होगी. मगर सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ की ओर से निर्धारित इस सेलरी-सीमा को तोड़ दिया है. अब कर्मचारियों की पेंशन की गणना आखिरी सेलरी यानी उच्चतम सेलरी के आधार पर होगी. जिससे इस फैसले से कर्मचारियों को कई गुना ज्यादा पेंशन मिलेगी. यहां बता दें कि पेंशन पाने के लिए 10 साल तक कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान करना जरूरी है. वहीं 20 साल की सर्विस पूरी करने पर दो साल का वेटेज मिलता है.
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कैसे बढ़ेगी आपकी पेंशन, समझें उदाहरण से
अभी तक जो पुरानी व्यवस्था थी, उसके मुताबिक अगर रजनीश कुमार नामक व्यक्ति एक जून 2015 से कहीं नौकरी कर रहे हैं. तब वह अगर 14 साल नौकरी पूरी कर पेंशन लेना चाहते हैं तो और उनकी पेंशन की गणना 15 हजार रुपये पर ही होती, भले ही वह 20 हजार रुपये की सेलरी पर रिटायर होते. इस प्रकार देखें तो पुराने फॉर्मूले के मुताबिक रजनीश को 14 साल पूरा होने पर दो जून 2030 से करीब तीन हजार रुपये पेंशन मिलती. पेंशन का गणना का फॉर्मूला है-(कुल सेवा काल x15,000/70).मगर, अब सुप्रीम कोर्ट के एक अप्रैल 2019 को दिए नए फैसले के मुताबिक रजनीश की सेलरी बढ़ जाएगी. क्योंकि अब उनकी पेंशन की गणना 15 हजार की जगह आखिरी महीनों की सेलरी यानी 20 हजार रुपये पर होगी. पेंशन के फॉर्मूले से गणना करने पर उनकी सेलरी होती है चार हजार रुपये(20,000 X 14)/70 =4000 रुपये. इसी तरह जिनकी सेलरी अच्छी-खासी होगी तो उन्हें काफी ज्यादा पेंशन में लाभ होगा. ऐसे लोगों की पेंशन में तीन सौ प्रतिशत की उछाल हो सकती है.
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बानगी के तौर पर देखें तो मान लीजिए कोई विवेक नामक शख्स नौकरीशुदा हैं. वह 33 साल की नौकरी पूरी करते हैं. उनकी आखिरी सेलरी 50 हजार रुपये है. पुरानी व्यवस्था के तहत इनकी पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये की सेलरी पर ही होती. इस प्रकार इन्हें (फॉर्मूला: 33 साल + 2= 35/70 x15,000) के फॉर्मूले के तहत 7,500 रुपये ही पेंशन प्राप्त होती. यानी पुरानी व्यवस्था के तहत विवेक को साढ़े सात हजार रुपये मासिक पेंशन मिलती. जबकि अब नई व्यवस्था में आखिरी सेलरी के हिसाब से पेंशन जोड़ने पर उन्हें 25000 हजार रुपये पेंशन मिलेगी. देखें गणित- ( 33 साल + 2= 35/70 x50,000=25000. यहां बता दें कि ईपीएफओ के नियम के मुताबिक अगर आपने 20 साल या अधिक सेवा करते हुए अंशदान किया है तो आपके सेवाकाल में दो साल और जोड़ लिया जाता है. इस प्रकार विवेक ने भले ही 33 साल की नौकरी पूरी की, मगर पेंशन की गणना 35 साल के लिए हुई. इस प्रकार विवेक की सेलरी में 333 प्रतिशत तक इजाफा हो जाता है.
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कर्मचारियों ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से एक सितंबर 2014 से अधिसूचना निकालकर कर्मचारी पेंशन संशोधन स्कीम, 2014 लागू की गई थी. जिसका निजी सेक्टर के कर्मचारियों ने विरोध किया. सरकार की ओर से राहत न दिए जाने पर पिछले साल कर्मचारियों ने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ये सभी कर्मचारी, EPF और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 की सुविधाओं से कवर्ड थे. कर्मचारियों ने ईपीएफओ के नियमों का विरोध करते हुए कहा कि इससे उन्हें कम पेंशन सुनिश्चित होती है. क्योंकि भले ही आपकी सेलरी 15 हजार से ज्यादा हो, मगर पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये की सेलरी पर ही बांध दी गई है. हालांकि, केंद्र सरकार के एक सितंबर 2014 को किए संसोधन से पहले यह धनराशि 6,500 रुपये ही थी.केरल हाई कोर्ट ने ईपीएफओ के नियमों को औचित्यहीन मानते हुए कर्मचारियों की रिट को मंजूर कर फैसला सुना दिया था. इस पर ईपीएफ ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
ईपीएफओ का क्या था तर्क
2014 में पेंशन स्कीम में किए गए संशोधनों का बचाव करते हुए, ईपीएफओ ने केरल उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि, कर्मचारियों द्वारा उनके वास्तविक वेतन पर किए गए योगदान के आधार पर अगर पेंशन की गणना की गई तो इससे फंड की समस्या उत्पन्न होगी. जिससे योजना के संचालन में कठिनाई होगी. सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकतम सेलरी की जगह 15 हजार की सेलरी के आधार पर पेंशन की गणना को मनमाना करार दिया.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट में एक अप्रैल, 2019 को ईपीएफओ की SLP पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुरेंद्र मोहन और न्यायमूर्ति एएम बाबू की खंडपीठ ने कहा- कर्मचारी, जो आवश्यक रूप में अपने नियोक्ताओं के साथ एक संयुक्त विकल्प प्रस्तुत करने के बाद अपने वास्तविक वेतन के आधार पर योगदान दे रहे हैं, वें पेंशन योजना के लाभो से बिना औचित्य के वंचित हैं. पेंशन के लिए वेतन को 15 हजार रुपये निर्धारित करने का औचित्य नहीं है. खंडपीठ ने कहा कि 15 हजार मासिक का मतलब होता है पांच सौ रुपये प्रतिदिन. यह सामान्य ज्ञान है कि एक दिहाड़ी मजदूर को भी इससे ज्यादा धनराशि का भुगतान होता है. इसलिए पेंशन के लिए अधिकतम वेतन 15000 हजार रुपये तक सीमित करना एक सभ्य पेंशन से अधिकांश कर्मचारियों को वृद्धावस्था में वंचित करेगा. जहां तक पेंशन फंड समाप्त होने की बात कही जा रही, तो समय-समय पर योगदान की दरों को बढ़ाकर फंड की व्यवस्था होनी चाहिए. पीठ ने कहा कि पेंशन को कम करके फंड की स्थिरता बनाए रखने का प्रयास केवल प्रति उत्पादक होगा. बल्कि संबंधित उद्देश्य को परास्त कर देगा.
कैसे मिलती है आपको पेंशन
कर्मचारी भविष्य निधि सुविधा प्रदान करने वाले संस्थानों में नौकरी पर आपका EPFO में पंजीकरण होता है. आपकी सेलरी से 12 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफओ के लिए कटता है, उतनी ही धनराशि आपकी नियोक्ता कंपनी भी देती है. यह आपके ईपीएफ खाते में पूरी धनराशि माहवार जमा होती है. इस धनराशि का हर महीने 8.33 प्रतिशत हिस्सा सेलरी के रूप में जाता है. अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक आखिरी 12 महीने की औसतन सेलरी पर पेंशन की गणना होती है. हालांकि पेंशन योग्य अधिकतम सेलरी 15 हजार रुपये ही तय थी.
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